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मोदी जी का ‘कैश-मुक्त’ भारत दरअसल ‘मजदूर-किसान-छोटा व्यापारी’ मुक्त भारत है: राहुल गांधी

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर मोदी सरकार को लगातार आड़े...
मोदी जी का ‘कैश-मुक्त’ भारत दरअसल ‘मजदूर-किसान-छोटा व्यापारी’ मुक्त भारत है: राहुल गांधी

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर मोदी सरकार को लगातार आड़े हाथों ले रहे हैं। गुरुवार को अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर उन्होंने अपनी वीडियो सीरीज का दूसरा हिस्सा जारी किया। इसमें उन्होंने केंद्र सरकार को नोटबंदी के मुद्दे पर घेरा और इसे गरीबों के खिलाफ लिया गया फैसला करार दिया। राहुल ने कहा कि 'मोदी जी का ‘कैश-मुक्त’ भारत दरअसल ‘मजदूर-किसान-छोटा व्यापारी’ मुक्त भारत है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी से केवल अमीरों को फायदा मिला है। 

कांग्रेस सांसद ने कहा कि नोटबंदी हिंदुस्तान के गरीब-किसान-मजदूर पर आक्रमण था। आठ नवंबर की रात को आठ बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500-1000 के नोट बंद कर दिए जिसके बाद पूरा देश बैंक के सामने जाकर खड़ा हो गया। उन्होंने पूछा कि क्या इससे काला धन मिटा? क्या लोगों को इससे फायदा हुआ? दोनों के ही जवाब नहीं है। राहुल ने आरोप लगाया कि नोटबंदी से केवल अमीरों को फायदा मिला।

राहुल गांधी ने वीडियो जारी करते हुए ट्वीट किया, 'मोदी जी का ‘कैश-मुक्त’ भारत दरअसल ‘मजदूर-किसान-छोटा व्यापारी’ मुक्त भारत है। जो पासा 8 नवंबर 2016 को फेंका गया था, उसका एक भयानक नतीजा 31 अगस्त 2020 को सामने आया। जीडीपी में गिरावट के अलावा नोटबंदी ने देश की असंगठित अर्थव्यवस्था को कैसे तोड़ा ये जानने के लिए मेरा वीडियो देखिए।'

 

वीडियो में राहुल ने कहा, 'प्रधानमंत्री ने 500-1000 के नोटों को रद्दी कर दिया। पूरा हिंदुस्तान बैंक के सामने खड़ा हो गया। आपने अपना पैसा, अपनी आमदनी बैंक के अंदर डाली। पहला सवाल काला धन मिटा? जवाब नहीं। दूसरा सवाल हिंदुस्तान की गरीब जनता को नोटबंदी से क्या फायदा मिला? जवाब कुछ नहीं।'

कांग्रेस नेता ने कहा, '2016-18 के बीच 50 लाख लोगों ने नौकरी गंवाई। तो फायदा किसको मिला। फायदा हिंदुस्तान के सबसे बड़े अरबपतियों को मिला। कैसे? आपका जो पैसा था, आपकी जेब से, आपके घरों में से निकालकर उसका प्रयोग सरकार ने इन लोगों का कर्जा माफ करने में किया। 50 बड़े उद्योगपतियों का 68,607 करोड़ का कर्ज माफ किया गया। किसान, मजदूर, छोटे दुकानकारों के कर्ज का एक रुपये भी माफ नहीं किया गया।'

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