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हार की जिम्मेदारी लेते हुए राहुल गांधी ने की इस्तीफे की पेशकश, वर्किंग कमेटी ने किया खारिज

लोकसभा चुनावों में बीजेपी को प्रचंड जीत मिली है तो कांग्रेस को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है।...
हार की जिम्मेदारी लेते हुए राहुल गांधी ने की इस्तीफे की पेशकश, वर्किंग कमेटी ने किया खारिज

लोकसभा चुनावों में बीजेपी को प्रचंड जीत मिली है तो कांग्रेस को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है। शनिवार को कांग्रेस मुख्यालय में इसी हार की समीक्षा के लिए कांग्रेस वर्किंग कमेटी की मैराथन बैठक करीब चार घंटे तक चली। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि राहुल गांधी ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफे की पेशकश की थी लेकिन वर्किंग कमेटी ने इसे सर्वसम्मति से खारिज कर दिया।

बैठक में कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्यों ने अपनी बात रखी। सभी की बात सुनने के बाद राहुल ने बैठक को संबोधित किया। इस दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कैप्टन अमरिंदर सिंह, अशोक गहलोत, पी चिदम्बरम, एके एंटनी, अहमद पटेल, शीला दीक्षित, अंबिका सोनी, आनंद शर्मा, ज्योतिरादित्य सिंधिया, मल्लिकार्जुन खड़गे, गुलाम नबी आजाद, मोतीलाल वोरा आदि नेता मौजूद रहे। वहीं, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ बैठक में नहीं पहुंचे।

इससे पहले राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस बात की घोषणा की थी कि हार की समीक्षा के लिए वर्किंग कमेटी की बैठक होगी। वर्किंग कमेटी में इस बारे में भी चर्चा होगी कि पार्टी को किस तरह से मजबूत किया जा सकता है। इसके साथ बैठक में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में पार्टी की करारी हार के कारणों की समीक्षा भी की जाएगी, जहां पार्टी ने 5 महीने पहले ही सरकार बनाई है।

वहीं, सोमवार को हार की नौतिक जिम्मेदारी लेते हुए उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर,  ओडिशा के कांग्रेस अध्यक्ष निरंजन पटनायक, कर्नाटक के चुनाव कैंपेन समिति के अध्यक्ष एचके पाटिल ने राहुल गांधी को अपना इस्तीफा भेज दिया है।

महज आठ सीटों का इजाफा

चुनाव नतीजे राहुल गांधी और कांग्रेस के लिए हैरान करने वाले हैं। राहुल गांधी भले ही वायनाड से बंपर वोटों से जीत गए हों लेकिन कांग्रेस के गढ़ अमेठी को स्मृति ईरानी ने राहुल से छीन लिया। पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले इस चुनाव में कांग्रेस की सिर्फ 8 सीटें बढ़ीं हैं। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने 44 सीटें जीती थीं, जबकि इस बार भी पार्टी की जीत 52 सीट तक  ही पहुंच पाई है। ऐसे में उसे इस बार भी लोकसभा में विपक्ष का दर्जा नहीं मिलेगा। मोदी की आंधी ऐसी चली कि समूचे विपक्ष का सूपड़ा साफ हो गया और राहुल की कांग्रेस 17 राज्यों में शून्य पर सिमट गई।

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