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सीपीआई (एम) ने की 49 हस्तियों पर ‘राजद्रोह’ लगाने की निंदा, कहा-पीएम को पत्र लिखना राष्ट्र विरोध नहीं

भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने विभिन्न क्षेत्रों के 49 हस्तियों पर राजद्रोह का मामला दर्ज...
सीपीआई (एम) ने की 49 हस्तियों पर ‘राजद्रोह’ लगाने की निंदा, कहा-पीएम को पत्र लिखना राष्ट्र विरोध नहीं

भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने विभिन्न क्षेत्रों के 49 हस्तियों पर राजद्रोह का मामला दर्ज किए जाने की कड़ी निंदा की है। इन हस्तियों ने मॉब लिंचिंग को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक चिट्ठी लिखी थी जिसके बाद पिछले दिनों उन पर एफआईआर दर्ज होने की बात सामने आई। सीपीआई(एम) ने गांधी की 150वीं वर्षगांठ के मौके पर प्रधानमंत्री से राजद्रोह जैसी धारा को तुरंत हटाने की भी मांग की है।

सीपीआई(एम) ने बयान जारी कर कहा कि जिन 49 व्यक्तियों के खिलाफ राजद्रोह के आरोप लगाए गए हैं वे अपने-अपने क्षेत्र के दक्ष लोग हैं। प्रधानमंत्री को पत्र लिखना, महत्वपूर्ण मामलों पर राय व्यक्त करना अपराध के रूप में नहीं माना जा सकता है और ना ही इसे राष्ट्र-विरोधी करार दिया जा सकता है। पार्टी ने कहा कि यह उन सभी लोगों को दंडित करने के लिए समान है, जो वर्तमान सरकार की नीतियों पर असहमति रखते हैं। यह लोकतांत्रिक अधिकारों की उपेक्षा और देश में बढ़ते अधिनायकवाद को दर्शाता है।

गांधी की 150वीं वर्षगांठ में राजद्रोह को हटाना होगा उचित

पार्टी ने कहा कि सीपीआई(एम) ने हमेशा आजादी के बाद राजद्रोह को जारी रखने का विरोध किया है। यह प्रावधान ब्रिटिश ताज और उनके संप्रभु की रक्षा के लिए लाया गया था। साथ ही गांधीजी सहित प्रमुख भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों को हिरासत में लेने और चुप कराने के लिए व्यापक रूप से इस्तेमाल किया गया था। ऐसे में जब देश गांधीजी की 150 वीं वर्षगांठ मना रहा है तो कानून की किताबों से इसे हटाना सबसे उपयुक्त होगा।

मामला तुरंत रद्द हो

सीपीआई(एम) ने कहा, “यह आश्चर्य की बात है कि मुजफ्फरपुर की एक अदालत ने इस मामले को दर्ज करने का आदेश दिया है, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने 1962 की शुरुआत में फैसला सुनाया था कि जब तक राज्य के खिलाफ हिंसा नहीं होगी, तब तक राजद्रोह का मुकदमा नहीं चलाया जा सकता। पोलित ब्यूरो इसलिए मांग करता है कि प्रख्यात बुद्धिजीवियों / कलाकारों के खिलाफ आरोपों को तुरंत रद्द कर दिया जाए।

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