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गुजरात हाई कोर्ट की टिप्पणी को लेकर कांग्रेस ने साधा निशाना, कहा- कभी नहीं सुने ऐसे शब्द, हालात बदतर

गुजरात हाईकोर्ट की टिप्पणी के बाद कांग्रेस ने केंद्र और राज्य सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस ने...
गुजरात हाई कोर्ट की टिप्पणी को लेकर कांग्रेस ने साधा निशाना, कहा- कभी नहीं सुने ऐसे शब्द, हालात बदतर

गुजरात हाईकोर्ट की टिप्पणी के बाद कांग्रेस ने केंद्र और राज्य सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस ने कहा कि अहमदबाद में कोरोना को लेकर कोर्ट ने जो शब्द कहे और भर्त्सना की, पहले कभी नहीं सुने। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने पीएम मोदी के गृह प्रदेश गुजरात और गृहमंत्री अमित शाह के संसदीय क्षेत्र अहमदाबाद में कोरोना की स्थिति सबसे बदतर है और यदि इस महामारी के खिलाफ लड़ाई छेड़ने वाले इन दोनों नेताओं के गृह क्षेत्र की यह स्थिति है तो जनता उन पर कैसे भरोसा करेगी कि वे देश को इस महासंकट से निजात दिला सकते हैं।

मीडिया से बातचीत में कांग्रेस नेता ने रविवार को कहा कि मोदी-शाह की जोड़ी देश को महामारी से बचाने के लिए आश्वस्त कर रही है लेकिन ये दो बड़े नेता अपने प्रदेश को ही संभालने में असमर्थ साबित हो रहे हैं। अहमदाबाद अमित शाह का संसदीय क्षेत्र है लेकिन इस क्षेत्र में कोरोना संकट बन गया है। इसे लेकर गुजरात हाई कोर्ट की टिप्पणी चौंकाने वाली है। इस तरह कोर्ट की फटकार पहले कभी नहीं सुनी। उन्होंने केंद्र और राज्य से सवाल पूछते हुए कहा, “क्या उनको मालूम है कि प्रधानमंत्री-गृहमंत्री के गृह राज्य में क्या हो रहा है? अगर हां, तो इन मामलों में क्या कोई ठोस एक्शन लिया है? क्या गुजरात के विषय में समान मापदंड अपनाए गए हैं?”

'वेंटीलेटर, पीपीआ और आईसीयू की गंभीर कमी'

सिंघवी ने कहा कि कोर्ट ने अपने 143 पेज के आदेश में कहा है कि गुजरात का अहमदाबाद शहर कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित है, जहां वेंटीलेटर, पीपीई और आईसीयू की गंभीर कमी है। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने सिविल अस्पताल को लेकर तीखी टिप्पणी की है। शहर के इस प्रमुख अस्पताल की हालत बहुत खराब है। अहमदाबाद में कोरोना से जो मौत हो रही है, उसमें 62 फीसदी मामले  इसी  अस्पताल से हैं और कोरोना संक्रमित 85 मामले राज्य में इसी शहर से हैं।

'अस्पताल के हालात तहखाने से बदतर'

उन्होंने कहा कि कोर्ट ने कहा है कि कोरोना को लेकर पूरी तरह लापरवाही बरती जा रही हैं और किसी का कोई नियंत्रण नजर नहीं आता। स्वास्थ्य मंत्री शायद इस अस्पताल में झांकने गए होंगे जिससे अस्पताल की स्थिति तहखाने से भी बदतर हुई है। कोर्ट ने निजी अस्पतालों को टेस्ट करने की अनुमति होने को भी संज्ञान में लिया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली समेत कई प्रदेशों में निजी अस्पतालों को जांच की अनुमति है लेकिन हैरानी की बात है कि गुजरात सरकार ने यह सुविधा नहीं दी है।

एन-95 मास्क की ज्यादा कीमत वसूलना का आरोप

उन्होंने राज्य सरकार पर N-95 मास्क की ज्यादा कीमत वसूलना का आरोप लगाते हुए कहा, “एन-95 मास्क को 31% के लाभ पर 65 रुपये में क्यों बेचा जा रहा है? एक तरफ बिना मास्क के निकलने पर भारी जुर्माना लगाते हैं, दूसरी तरफ 49 रुपये के मास्क को 65 रुपये में बेचते हो।” सिंघवी ने आगे कहा कि पूरे देश की जनता इन सवालों के जवाब मांग रही है, गुजरात जवाब मांग रहा है। मगर दुर्भाग्य है कि ये जवाब आने वाला नहीं है।

कोर्ट ने डूबते हुए टाइटैनिक जहाज से की गुजरात की तुलना

बता दें कि मालूम हो कि गुजरात हाई कोर्ट ने कोविड-19 के कारण बिगड़ती स्थिति पर राज्य सरकार को कड़ी फटकरा लगाई है. इतना ही नहीं कोर्ट ने अहमदाबाद के सिविल अस्पताल को काल कोठरी से भी बदतर बताया है। हाई कोर्ट ने राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं की तुलना ‘डूबते हुए टाइटैनिक जहाज’ से की है।

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