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मणिपुर में कांग्रेस ने किया सरकार बनाने का दावा पेश, नौ विधायकों ने दिया था इस्तीफा

मणिपुर में चार मंत्रियों समेत भाजपा के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के 9 विधायकों के इस्तीफे के बाद,...
मणिपुर में कांग्रेस ने किया सरकार बनाने का दावा पेश, नौ विधायकों ने दिया था इस्तीफा

मणिपुर में चार मंत्रियों समेत भाजपा के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के 9 विधायकों के इस्तीफे के बाद, कांग्रेस के नेतृत्व में नवगठित सेक्युलर प्रोग्रेसिव फ्रंट (एसपीएफ) ने राज्य में सरकार बनाने का दावा किया है। कांग्रेस नेता और तीन बार के मुख्यमंत्री रहे ओ इबोबी सिंह के नेतृत्व में उपराज्यपाल नजमा हेपतुल्ला को ज्ञापन सौंपकर विधानसभा का विशेष बुलाने का अनुरोध किया गया है।

एसपीएफ में नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) और तृणमूल कांग्रेस के विधायक शामिल हैं। एसपीएफ के नेता इबोबी सिंह ने कहा कि जल्द ही भाजपा के नेतृत्व वाली एन बीरेन सिंह सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि जल्द ही राज्य में भाजपा की अल्पसंख्यक सरकार उपराज्यपाल द्वारा खारिज कर दी जाएगी। मैं यह भी प्रार्थना करता हूं कि भारत के संविधान को सभी द्वारा बरकरार रखा जाएगा। लोकतंत्र के हित में और हमारे संविधान को बनाए रखने के लिए, मणिपुर में नई एसपीएफ़ सरकार होनी चाहिए।

उच्च न्यायलय ने सात विधायकों पर लगाई है रोक

मणिपुर के उच्च न्यायालय द्वारा कांग्रेस के सात विधायकों को सदन में प्रवेश करने से रोक दिया गया। इसके बाद सदन में कांग्रेस की संख्या अब 20 हो गई है जबकि भाजपा के अपने तीन विधायकों के इस्तीफे के बाद उसकी संख्या 18 हो गई है। वर्तमान सरकार को अब केवल 23 विधायकों का समर्थन प्राप्त है जिसमें भाजपा के 18, नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के चार और एक लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) का है।

कांग्रेस ने किया 26 विधायकों के समर्थन का दावा

दूसरी ओर, सदन में कुळ 49 विधायकों में एसपीएफ ने राज्यपाल को सौंपे ज्ञापन में 26 विधायकों के समर्थन का दावा किया है जिसमें 20 कांग्रेस विधायक, चार एनपीपी विधायक, एक टीएमसी और एक अन्य निर्दलीय विधायक हैं। इससे पहले, कांग्रेस और एनपीपी ने राज्य विधानसभा के स्पीकर को हटाने की मांग की थी।  कांग्रेस के प्रवक्ता निंगोबम बुपेन्दा मीतेई ने कहा, कि एनपीपी सहित कांग्रेस के नेतृत्व में 12 विधायकों ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 179 (सी) के तहत अध्यक्ष को हटाने के लिए मणिपुर विधान सभा को नोटिस भेजा है। यह नोटिस मणिपुर में कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन सरकार के गठन को और मजबूती प्रदान करेगा।

राज्यसभा चुनाव में भाजपा का गणित गड़बड़ाया

हाल ही में, मणिपुर उच्च न्यायालय ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले सात विधायकों को विधान सभा में प्रवेश करने को लेकर अगले आदेश तक रोक दिया था। और एक सीट श्यामकुमार के अयोग्य होने के बाद खाली हुई है, जिन्होंने विधायक के रूप में शपथ लेने से पहले ही कांग्रेस से भाजपा का दामन थाम लिया था।

मणिपुर से एक राज्यसभा सीट के लिए 19 जून को मतदान होना है और ऐसे में यह यह काफी अहम घटनाक्रम है। एक राज्यसभा सीट पर तीन प्रत्याशी किस्मत आजमा रहे हैं। इसमें भाजपा से तितुलर किंग महाराजा संजाओबा लिसीम्बा, कांग्रेस से पूर्व मंत्री टोंगब्रम मंगिबाबू और नगा पीपुल्स फ्रंट होनरीकुई काशुंग के बीच मुकाबला है। वोटिंग से एक दिन पहले सभा चुनाव में भाजपा का गणित बिगड़ता नजर आ रहा है।

बता दें कि 2017 के चुनाव के बाद मणिपुर में त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति सामने आई थी। 28 विधायकों के साथ कांग्रेस नंबर वन पार्टी बनकर उभरी थी जबकि भाजपा के 21 विधायक जीतकर आए थे. लेकिन, भाजपा सभी गैर-कांग्रेसी विधायकों को अपने पाले में लाकर सरकार बनाने में सफल रही थी।

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