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राहुल गांधी की वो तीन मीटिंग, जिन पर मच गया घमासान

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल डील को लेकर एक ऐसा दावा किया है, जिस पर घमासान मच गया है। इसके लिए...
राहुल गांधी की वो तीन मीटिंग, जिन पर मच गया घमासान

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल डील को लेकर एक ऐसा दावा किया है, जिस पर घमासान मच गया है। इसके लिए उन्होंने मंगलवार को गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर से हुई मुलाकात का हवाला दिया। दिल्ली में यूथ कांग्रेस के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राहुल ने आरोप लगाया कि पीएम मोदी ने राफेल डील को बदलते समय रक्षा मंत्री से भी नहीं पूछा था। राहुल ने कहा, 'मैं कल पर्रिकर जी से मिला था। पर्रिकर जी ने स्वयं कहा है कि डील बदलते समय पीएम ने हिंदुस्तान के रक्षा मंत्री से नहीं पूछा था।' हालांकि मनोहर पर्रिकर ने राहुल के इस दावे का खंडन किया है।

पर्रिकर का पलटवार, राफेल पर चर्चा नहीं हुई

मनोहर पर्रिकर ने कांग्रेस अध्यक्ष के आरोप पर पलटवार करते हुए एक पत्र के जरिए राहुल के दावे को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, 'मुझे काफी निराशा हुई कि आपने (राहुल गांधी) इस मुलाकात को अपने राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल किया। आपने मेरे साथ 5 मिनट बिताए। इस दौरान न तो आपने राफेल का कोई जिक्र किया और न हमने इससे संबंधित कोई चर्चा की।'

यह राहुल गांधी की पहली राजनैतिक मुलाकात नहीं है, जिसे लेकर उथल-पुथल मची हो। इससे पहले भी उनकी राजनैतिक मुलाकातों और दावों पर बवाल हो चुका है।

फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों से मुलाकात पर राहुल के दावे पर उठे सवाल

राफेल मुद्दे पर पिछले दिनों राहुल गांधी के इस बयान पर घमासान हुआ था, जब उन्होंने दावा किया था कि उनकी फ्रांस के राष्ट्रपति इमैन्युएल मैक्रों के साथ मुलाकात हुई और कथित तौर पर उन्होंने (मैक्रों) कहा कि भारत सरकार विमान की कीमत बता सकती है। हालांकि फ्रांस सरकार ने इस बात को खारिज कर दिया था।

यह मुद्दा तब उठा था जब फ्रांसीसी मीडिया के मुताबिक, फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने कथित तौर पर कहा था कि भारत सरकार ने 58,000 करोड़ रुपए के राफेल विमान सौदे में फ्रांस की विमान बनाने वाली कंपनी दासौ एविएशन के ऑफसेट साझेदार के तौर पर अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस का नाम प्रस्तावित किया था और ऐसे में फ्रांस के पास कोई विकल्प नहीं था। हालांकि बाद में फ्रांस की मौजूदा सरकार ने इसका भी खंडन किया था।

मानसून सत्र में मोदी सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के दौरान राहुल के इस बयान की तीखी आलोचना हुई थी। अरुण जेटली ने कहा था, ‘मैक्रों के साथ मुलाकात की कहानी गढ़कर उन्होंने खुद की विश्वसनीयता को कम किया है और विश्व के सामने किसी भारतीय राजनीतिज्ञ की छवि को गंभीर नुकसान पहुंचाया है। किसी को भी किसी राष्ट्र प्रमुख के साथ वार्ता के बारे में कभी भी गलत उद्धरण नहीं देना चाहिए।‘

डोकलाम विवाद के दौरान चीनी राजदूत से मुलाकात पर विवाद

जुलाई, 2017 में चीन से डोकलाम विवाद के दौरान राहुल गांधी चीनी दूतावास में 8 जुलाई को चीन के राजदूत लियो झाओहुई से मिले थे। इसे लेकर काफी विवाद हुआ था और भाजपा ने कांग्रेस अध्यक्ष को आड़े हाथों लिया था।

पहले कांग्रेस ने इस बात से इनकार किया लेकिन बाद में खुद कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने माना कि कांग्रेस उपाध्यक्ष ने ना सिर्फ चीनी राजदूत बल्कि भूटान के राजदूत और पूर्व एनएसए शिवशंकर मेनन से भी मुलाकात की थी। सुरजेवाला ने बताया था कि कई राजदूत कांग्रेस अध्यक्ष और उपाध्यक्ष से शिष्टाचार के आधार पर समय-समय पर मिलते रहते हैं। इस मसले को इतना सनसनीखेज नहीं बनाना चाहिए।

वहीं, राहुल गांधी ने भी इस पर ट्वीट करते हुए कहा था, ‘महत्‍वपूर्ण मुद्दों पर जानकारी लेना मेरा काम है। मैं चीनी राजदूत से मिला। पूर्व राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, पूर्वोत्तर के कांग्रेसी नेताओं और भूटान के राजदूत से भी मुलाकात की।‘ उन्होंने कहा था, ‘अगर सरकार चीनी राजदूत के साथ मेरी मुलाकात को लेकर इतनी ही चिंतित है, तो उन्‍हें इस बात का जवाब भी देना चाहिए कि जब सीमा पर विवाद है तो क्‍यों 3 मंत्री चीन की यात्रा पर हैं।‘

 

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