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कांग्रेस ने वेंकैया नायडू की ईमानदारी पर उठाए सवाल, बेटा-बेटी को फायदा पहुंचाने का आरोप

कांग्रेस के प्रवक्ता जयराम रमेश ने कहा कि पारदर्शिता की बात करने वाले नायडू ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर सरकार को नुकसान पहुंचाया और बेटी तथा बेटे को पांच सौ करोड़ रुपए का फायदा पहुंचाया।
कांग्रेस ने वेंकैया नायडू की ईमानदारी पर उठाए सवाल, बेटा-बेटी को फायदा पहुंचाने का आरोप

कांग्रेस ने सोमवार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की ओर से उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार एम. वेंकैया नायडू पर निशाना साधा।

कांग्रेस के प्रवक्ता जयराम रमेश ने यहां संसद भवन परिसर में आयोजित विशेष संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि हमेशा जवाबदेही और पारदर्शिता की बात करने वाले नायडू ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर सरकार को नुकसान पहुंचाया और बेटी तथा बेटे को पांच सौ करोड़ रुपए का फायदा पहुंचाया। ईमानदारी, पारदर्शिता तथा जवाबदेही को लेकर उन्हें इन सवालों पर देश की जनता को जवाब देना चाहिए।

पीटीआई के मुताबिक जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि नायडू के प्रभाव में तेलंगाना सरकार ने गत 20 जून को एक विशेष आदेश जारी किया और स्वर्णभारत ट्रस्ट को सरकार को दो करोड़ रुपए से ज्यादा के विकास शुल्क का भुगतान करने से छूट दे दी। इस ट्रस्ट में नायडू की बेटी प्रबंधन ट्रस्टी हैं। उन्होंने कहा कि इसी तरह से नायडू के बेटे को फायदा पहुंचाने के लिए तेलंगाना सरकार ने बिना टेंडर निकाले ही दो कंपनियों को 270 करोड़ रुपए का ऑर्डर दिया। इन कंपनियों में एक के मालिक नायडू के बेटे हैं और दूसरी कंपनी के मालिक राज्य के मुख्यमंत्री के बेटे हैं। 

कांग्रेस नेता ने कहा कि भोपाल में उच्चतम न्यायालय के आदेश पर छह अप्रैल 2011 को कुशाभाऊ ठाकरे स्मारक ट्रस्ट को दी गई 20 एकड़ जमीन का आवंटन रद्द किया गया था। यह जमीन भोपाल के अहम इलाके में थी और इसकी कीमत करीब छह सौ करोड़ रुपए थी। श्री नायडू इस ट्रस्ट के अध्यक्ष थे। उन्होंने आरोप लगाया कि 1978 में नायडू जब आंध्र प्रदेश विधानसभा में विधायक थे तो उन्होंने नल्लोर में भूमिहीनों की करीब पांच एकड़ जमीन अपने नाम करा ली थी लेकिन अगस्त 2002 में उन्हें यह जमीन प्रशासन को लौटाने के लिए बाध्य होना पड़ा था।

उन्होंने पूछा, 'क्या यह सच नहीं है कि मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार ने यह भूमि मात्र 25 लाख रुपए के एक बार के प्रीमियम और एक रुपए के वार्षिक किराए पर आवंटित की थी? क्या यह सही नहीं है कि बीजेपी सरकार ने पक्षपात करते हुए 'भू-उपयोग' को भी 'आवासीय और वन' से 'व्यावसायिक' में तब्दील कर दिया था?' कांग्रेस नेता ने पूछा, 'क्या यह सच नहीं है कि सर्वोच्च न्यायालय ने छह अप्रैल, 2011 को यह आवंटन रद्द कर दिया था?' रमेश ने आरोप लगाया कि नायडू पर आंध्र प्रदेश में गरीबों और निराश्रितों के लिए आरक्षित 4.95 एकड़ भूमि हड़पने का आरोप है। उन्होंने सवाल किया, 'क्या यह सही नहीं है कि सार्वजनिक शर्मिंदगी और गड़बड़ी के आरोपों के बाद नायडू को 17 अगस्त, 2002 को 4.95 एकड़ की यह भूमि लौटानी पड़ी थी?'

उन्होंने कहा कि नायडू को इन सभी सवालों का जवाब देना चाहिए और देश की जनता को इस बारे में स्पष्टीकरण देना चाहिए।

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