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कांग्रेस का दावा, मोदी सरकार ने लिया 57 महीनों में 30 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज

कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि देश की मोदी सरकार ने 57 महीनों में 30 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा कर्ज लेकर देश...
कांग्रेस का दावा, मोदी सरकार ने लिया 57 महीनों में 30 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज

कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि देश की मोदी सरकार ने 57 महीनों में 30 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा कर्ज लेकर देश को कर्जदार बना दिया और अर्थव्यवस्था का बंटाधार कर दिया। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि इस सरकार में हर देशवासी पर 23300 रुपये का अतिरिक्त कर्ज हो गया है।

कांग्रेस प्रवक्ता सुरजेवाला ने कहा, 'वित्त मंत्रालय के सनसनीखेज आंकड़े बताते हैं कि मोदी सरकार ने मात्र चार साल नौ महीने के कार्यकाल में मार्च, 2014 से दिसंबर, 2018 तक 30,28,945 करोड़ रुपये का कर्ज लिया और देशवासियों को कंगाल बनाने का घिनौना षडयंत्र किया। 70 साल में यानी मार्च, 2014 तक देश पर 53,11,081 करोड़ रुपये का कर्ज था लेकिन मोदी सरकार के 57 महीनों के दौरान कर्ज 57 फीसदी बढ़कर दिसंबर,18 में 83,40,026 करोड़ रुपये हो गया यानी कि कर्ज में 30,28,945 करोड़ रूपये की बढ़ोत्तरी की गई।' 

'अर्थव्यवस्था का किया बंटाधार'

कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, 'इस सरकार ने कर्ज लेकर पैसा लुटाया और अर्थव्यवस्था का बंटाधार किया। पीएम मोदी ने अपने वित्तीय कुप्रबंधन, प्रचार प्रसार और चुनिंदा उद्योगपति मित्रों को फायदा पहुंचाने के लिए आजीविका के संकट से जूझते हर देशवासी को कर्जदार बना दिया। पूरा देश कह रहा है, सूटबूट की सरकार, देश को बनाया कर्जदार।'

'बट्टे खाते में डाला कर्जा'

कांग्रेस प्रवक्ता ने आरोप लगाया, 'एक तरफ देशवासियों को कर्ज के बोझ में डुबोया जा रहा है, तो दूसरी ओर चुनिंदा उद्योगपति मित्रों का 5,50,000 करोड़ रुपये का कर्ज मोदी सरकार ने बट्टे खाते में डाल दिया। बैंकों का एनपीए बढ़कर 12,00,000 करोड़ रुपये पहुंच गया है।' उन्होंने कहा, 'एक तरफ मोदी सरकार ने पांच साल में अकेले पेट्रोल-डीज़ल पर टैक्स लगाकर 13 लाख करोड़ अतिरिक्त कमा लिया, तो दूसरी तरफ देश पर ₹37 लाख करोड़ के अतिरिक्त कर्ज का बोझ डाल देशवासियों को कर्ज के कुचक्र में फंसा दिया।'

'बंदी के कगार पर हैं सरकारी कंपनियां'

रणदीप सुरजेवाला ने दावा किया, 'सरकारी कंपनियों को कर्ज में धकेलकर एक षडयंत्र के तहत डुबोया या बंद किया जा रहा है। अकेले राष्ट्रीय राजमार्ग प्रधिकरण ने पिछले पांच सालों में 1,67,399 करोड़ रुपये का कर्ज ले लिया. बीएसएनएल, एमटीएनएल, पवन हंस, इंडिया पोस्ट आदि बंद होने की कगार पर हैं।'

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