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कौन है वो पुलिस कमिश्नर जिसे लेकर ममता और मोदी सरकार के बीच खींची तलवार

  शारदा चिटफंड घोटाला मामले में आरोपों से घिरी पश्चिम बंगाल सरकार और केंद्रीय जांच ब्‍यूरो (सीबीआई)...
कौन है वो पुलिस कमिश्नर जिसे लेकर ममता और मोदी सरकार के बीच खींची तलवार

 

शारदा चिटफंड घोटाला मामले में आरोपों से घिरी पश्चिम बंगाल सरकार और केंद्रीय जांच ब्‍यूरो (सीबीआई) के बीच विवाद अपने चरम पर पहुंच गया है। राज्‍य की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी रविवार रात से ही सीबीआई के खिलाफ धरने पर बैठी हैं। उन्‍होंने आरोप लगाया है कि देश में 'सुपर इमरजेंसी' लगी है और राजनीतिक विद्वेष के तहत बीजेपी सीबीआई का इस्‍तेमाल उनके खिलाफ कर रही है। कमिश्नर राजीव कुमार के सपोर्ट में धरने पर बैठीं ममला बनर्जी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा। इस धरने में राजीव कुमार भी शामिल हुए।

रविवार को हुए इस टकराव के बाद धरने पर बैठीं पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, आंध्र के सीएम चंद्रबाबू नायडू, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समेत कई विपक्षी दलों के नेताओं ने समर्थन दिया है।

मामल यहां तक पहुंचने के यह जानना भी जरूरी हो जाता है कि आखिर कौन है वह अधिकारी जिसके समर्थन में एक राज्य की मुख्यमंत्री आधी रात धरने पर बैठ गईं।

कौन हैं कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार

पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार पश्चिम बंगाल के 1989 बैच के आईपीएस अधिकार हैं और वह इस समय कोलकाता पुलिस आयुक्त हैं। राजीव कुमार को पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी का करीबी माना जाता है। उन्हें 2016 में सुरजीत कर पुरकायस्थ की जगह कोलकाता पुलिस कमिश्नर के तौर पर नियुक्त किया गया था। इससे पहले कुमार विधाननगर पुलिस कमिश्नरी में बतौर पुलिस कमिश्नर भी तैनात रह चुके हैं।

कुमार को 2013 में शारदा चिटफंड घोटाला मामले की जांच के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम के अध्यक्ष चुना गया था। राजीव कुमार पर आरोप है कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए घोटाले की दिशा और दशा बदली है।

बताया जाता है कि एसआईटी के अध्यक्ष के तौर पर राजीव कुमार ने जम्मू-कश्मीर में शारदा प्रमुख सुदीप्त सेन और उनके सहयोगी देवयानी को गिरफ्तार किया था और उनके पास से मिली एक डायरी को गायब कर दिया था। इस डायरी में उन सभी नेताओं के नाम थे जिन्होंने चिटफंड कंपनी से रुपये लिए थे। इस मामले में कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने राजीव कुमार को आरोपित किया था। घोटाले की जांच के लिए सीबाआई राजीव कुमार से बात करने के लिए लंदन स्ट्रीट स्थित आधिकारिक आवास पर गई थी।

 

यूपी के चंदौसी के रहने वाले हैं राजीव  

पश्चिम बंगाल कैडर के आईपीएस अधिकारी राजीव कुमार यूपी के चंदौसी के रहने वाले हैं। उन्‍होंने आईआईटी रुड़की से कंप्‍यूटर साइंस में इंजिनियरिंग की पढ़ाई की थी। टेक्‍नो फ्रेंडली राजीव कुमार ने अपनी पढ़ाई का भरपूर इस्‍तेमाल अपने काम में किया। 

क्यों राजीव कुमार के पीछे है सीबीआई

रविवार को कोलकाता में तेजी से बदलते घटनाक्रम के बीच सीबीआई के अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव ने कहा कि उनके पास राजीव कुमार के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा, 'हम सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर चिट फंट मामलों की जांच कर रहे हैं। कोर्ट के निर्देश से पहले पश्चिम बंगाल की सरकार ने राजीव कुमार की अध्यक्षता में एक एसआईटी का गठन किया था। उन्होंने सभी सबूतों का चार्ज अपने हाथ में ले लिया और सभी कागजात जब्त कर लिए। वह कागजात सौंपने में हमारा सहयोग नहीं कर रहे। कई सबूत मिटा दिए गए हैं या फिर छिपा दिए गए हैं।

जानें क्या है चिटफंड घोटाला
पश्चिम बंगाल का चर्चित चिटफंड घोटाला 2013 में सामने आया था. कथित तौर पर तीन हजार करोड के इस घोटाले का खुलासा अप्रैल 2013 में हुआ था. आरोप है कि शारदा ग्रुप की कंपनियों ने गलत तरीके से निवेशकों के पैसे जुटाए और उन्हें वापस नहीं किया। इसके बाद इस घोटाले को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार पर सवाल उठे थे।

चिट फंड एक्ट-1982 के मुताबिक चिट फंड स्कीम का मतलब होता है कि कोई शख्स या लोगों का समूह एक साथ समझौता करे। इस समझौते में एक निश्चित रकम या कोई चीज एक तय वक्त पर किश्तों में जमा की जाए और तय वक्त पर उसकी नीलामी की जाए। जो फायदा हो बाकी लोगों में बांट दिया जाए। इसमें बोली लगाने वाले शख्स को पैसे लौटाने भी होते हैं।

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