महाराष्ट्र भाजपा इकाई के मुख्य प्रवक्ता केशव उपाध्ये ने सोमवार को मांग की कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे अपनी पार्टी की वार्षिक दशहरा रैली रद्द करें और इस पर होने वाला खर्च मराठवाड़ा में बाढ़ राहत के लिए इस्तेमाल करें।
उपाध्ये ने आरोप लगाया कि जब ठाकरे राज्य के मुख्यमंत्री थे, तो वह ‘काम करने में विफल रहे और घर पर ही बैठे रहे’। उन्होंने कहा कि यह ‘प्रायश्चित’ करने का समय है।
महाराष्ट्र के कई हिस्से, जिनमें आमतौर पर सूखे से सबसे ज्यादा प्रभावित रहने वाला मराठा क्षेत्र भी शामिल है, भारी बारिश से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। इसके कारण आयी बाढ़ से व्यापक क्षति हुई है।
दशहरा रैली आयोजित करना ठाकरे परिवार और शिवसेना के लिए एक पुरानी परंपरा रही है। इस साल भी वह दो अक्टूबर को दशहरा के अवसर पर मुंबई के शिवाजी पार्क में रैली को संबोधित करने वाले हैं।
उपाध्ये ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘मराठवाड़ा भयंकर बाढ़ से जूझ रहा है, लोग अपना सब कुछ खो चुके हैं। (उद्धव) ठाकरे पहले ही पांच जिलों में तीन घंटे का दौरा कर चुके हैं और प्रभावितों के दर्द और पीड़ा पर अपनी चिंता व्यक्त कर चुके हैं। अब कार्रवाई का समय है। उन्हें दशहरा रैली रद्द कर देनी चाहिए और वह राशि बाढ़ पीड़ितों पर खर्च करनी चाहिए। इससे उनकी सहानुभूति को अभिव्यक्ति मिलेगी।’ उन्होंने आगे कहा, ‘यह प्रायश्चित करने का समय है। रैली रद्द करना और धनराशि को भेज देना, लोगों के प्रति उनकी सच्ची चिंता को दर्शाएगा।’
उपाध्ये ने ठाकरे की वार्षिक रैली में बोले जाने वाले विषयों की भी आलोचना की और कहा कि अतीत में शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे के कार्यकाल में यह आयोजन अपनी वैचारिक दशा-दिशा के लिए जाना जाता था। उन्होंने कहा, ‘अब, यह (रैली) उसी पटकथा को दोहराने तक ही सीमित हो गयी है जिसमें दूसरों को गद्दार बताने और उनकी पार्टी को चुराने के आरोप लगाये जाते हैं। इस तरह की नाटकबाजी के लिए साधारण कार्यकर्ताओं पर लाखों रुपये का बोझ क्यों डाला जाना चाहिए, जबकि यही विलाप (शिवसेना (उबाठा) का मुखपत्र) ‘सामना’ में रोजाना किया जाता है।’
ठाकरे ने हाल में मराठवाड़ा के पांच जिलों के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया, जहां उन्होंने प्रभावित लोगों से मुलाकात की और उनकी शिकायतें सुनीं।