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विपक्ष के जम्मू-कश्मीर दौरे पर मायावती ने साधा निशाना, कहा- थोड़ा इंतजार किया जाए तो बेहतर

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद राजनीतिक दलों की तकरार खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। अब...
विपक्ष के जम्मू-कश्मीर दौरे पर मायावती ने साधा निशाना, कहा- थोड़ा इंतजार किया जाए तो बेहतर

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद राजनीतिक दलों की तकरार खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। अब बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने कांग्रेस समेत विपक्ष के कश्मीर दौरे को लेकर निशाना साधा है। मायावती ने कहा कि कांग्रेस या अन्य पार्टी के नेताओं के कश्मीर जाने से केंद्र और वहां के राज्यपाल सत्यपाल मलिक को राजनीति करने का मौका मिल रहा है। उन्होंने कहा कि हालात सामान्य होने में थोड़ा समय अवश्य ही लगेगा। इसका थोड़ा इंतजार किया जाए तो बेहतर है।

मायावती ने ट्वीट किया, 'बाबा साहेब डॉ. भीमराव आम्बेडकर हमेशा ही देश की समानता, एकता और अखंडता के पक्षधर रहे हैं, इसलिए वे जम्मू-कश्मीर राज्य में अलग से धारा 370 का प्रावधान करने के कतई भी पक्ष में नहीं थे। इसी खास वजह से बीएसपी ने संसद में इस धारा को हटाए जाने का समर्थन किया।'

हालात सामान्य होने में लगेगा थोड़ा समय

बसपा सुप्रीमो ने आगे लिखा, “देश में संविधान लागू होने के लगभग 69 वर्षों के बाद इस आर्टिकल 370 की समाप्ति के बाद अब वहां पर हालात सामान्य होने में थोड़ा समय अवश्य ही लगेगा। इसका थोड़ा इंतजार किया जाए तो बेहतर है, जिसको माननीय कोर्ट ने भी माना है।”

थोड़ा विचार कर लिया जाता, तो यह उचित होता

मायावती ने लिखा, 'ऐसे में अभी हाल ही में बिना अनुमति के कांग्रेस और अन्य पार्टियों के नेताओं का कश्मीर जाना क्या केंद्र और वहां के गवर्नर (सत्यपाल मलिक) को राजनीति करने का मौका देने जैसा कदम नहीं है? वहां पर जाने से पहले इस पर भी थोड़ा विचार कर लिया जाता, तो यह उचित होता।'

प्रतिनिधिमंडल को एयरपोर्ट से ही लौटना पड़ा

गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद शनिवार को घाटी की स्थिति का जायजा लेने के लिए गए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ विपक्षी दलों के प्रतिनिधिमंडल को श्रीनगर एयरपोर्ट पर रोक दिया गया था। जिसके बाद वह विपक्षी नेताओं के साथ देर शाम दिल्ली वापस लौट आए थे। इस प्रतिनिधिमंडल में राहुल गांधी के अलावा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के नेता डी. राजा, मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता सीताराम येचुरी, कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा और के.सी. वेणुगोपाल, लोकक्रांति जनता दल (लोजद) प्रमुख शरद यादव, तृणमूल कांग्रेस नेता दिनेश त्रिवेदी, द्रमुक के त्रिचि शिवा, राकांपा नेता मजीद मेमन, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता मनोज झा और जनता दल (सेकुलर) के डी.कुपेंद्रा रेड्डी शामिल थे।

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