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भाजपा का ‘मनुवादी तंत्र’ कमजोर वर्गों के लिए अभिशाप बन चुका है: मल्लिकार्जुन खड़गे का आरोप

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने हरियाणा के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के वरिष्ठ अधिकारी वाई....
भाजपा का ‘मनुवादी तंत्र’ कमजोर वर्गों के लिए अभिशाप बन चुका है: मल्लिकार्जुन खड़गे का आरोप

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने हरियाणा के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के वरिष्ठ अधिकारी वाई. पूरण कुमार की कथित आत्महत्या के मामले को लेकर आरोप लगाया कि भाजपा का मनुवादी तंत्र इस देश के अनुसचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्ग और कमज़ोर वर्गों के लिए अभिशाप बन चुका है।

वाई. पूरण कुमार (52) 2001 बैच के आईपीएस अधिकारी थे और वह मंगलवार को चंडीगढ़ स्थित अपने आवास में मृत पाए गए थे। अधिकारी के सेक्टर 11 स्थित आवास के भूतल के एक कमरे में उनका शव मिला। उनके शरीर पर गोली लगने के निशान थे।

खड़गे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘भाजपा का मनुवादी तंत्र इस देश के एससी, एसटी, ओबीसी और कमज़ोर वर्गों के लिए एक अभिशाप बन चुका है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हरियाणा के वरिष्ठ दलित आईपीएस अधिकारी वाई. पूरण कुमार की मजबूरन आत्महत्या की खबर न केवल स्तब्ध करने वाली है, बल्कि सामाजिक अन्याय, अमानवीयता और संवेदनहीनता का भयावह प्रमाण है। परिवार के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं।’’

कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि पिछले 11 वर्षों में इस देश में भाजपा ने मनुवादी मानसिकता इतनी गहरी कर दी है कि एडीजीपी रैंक के दलित अधिकारी को भी न्याय और सुनवाई का मौका नहीं मिलता है।

उन्होंने कहा, ‘‘जब उच्चतम न्यायालय में सरेआम माननीय प्रधान न्यायाधीश पर हमले का प्रयास हो सकता है और भाजपा का तंत्र जातिवाद और धर्म का हवाला देकर उसका बचाव कर सकता है, तो हमें ये समझ लेना चाहिए कि “सबका साथ” का नारा एक भद्दा मज़ाक़ था।’’

खड़गे ने कहा, ‘‘हज़ारों वर्षों से मनुवादी मानसिकता की शोषण करने की आदत इतनी जल्दी तो नहीं बदल सकती। तभी हरिओम वाल्मिकी जैसे निहत्थे दलित की ‘मॉब लिंचिंग’ से नृशंस हत्या हो जाती है और प्रधानमंत्री (नरेन्द्र) मोदी जी निंदा के दो शब्द भी नहीं बोलते।’’

उनका कहना था, ‘‘यह सिर्फ कुछ व्यक्तियों की त्रासदी नहीं, बल्कि यह उस भाजपा और संघ द्वारा पोषित अन्यायपूर्ण व्यवस्था का आईना है, जो दलित, आदिवासी, पिछड़े व अल्पसंख्यक वर्गों के आत्मसम्मान को बार-बार कुचलती रही है। ये संविधान और लोकतंत्र के लिए घातक है।’’

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