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भाजपा का घोषणा-पत्रः पुराने वादों का राग, किसान और राष्ट्रीय सुरक्षा पर फोकस

भारतीय जनता पार्टी ने 2019 लोकसभा चुनाव के लिए अपना संकल्पपत्र यानी घोषणापत्र या  जारी कर दिया है। अगर...
भाजपा का घोषणा-पत्रः पुराने वादों का राग, किसान और राष्ट्रीय सुरक्षा पर फोकस

भारतीय जनता पार्टी ने 2019 लोकसभा चुनाव के लिए अपना संकल्पपत्र यानी घोषणापत्र या  जारी कर दिया है। अगर पार्टी के पुराने वादों और घोषणा-पत्र को देखें, तो अधिकांश वादे पुराने हैं, कुछ की समय सीमा बढ़ा दी गई है, तो कुछ को दोहराया गया है। इस बार राष्ट्रवाद पर फोकस करते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा पर जोर दिया गया है, तो कई राज्यों के विधानसभा चुनाव में किसानों की नाराजगी से हार को देखते हुए आय दोगुनी करने और हर साल अकाउंट में छह हजार रुपये देने की सहायता राशि के बजट ऐलान को अब सभी किसानों को देने का वादा किया गया है। 

युनिफॉर्म सिविल कोड और अनुच्छेद 35 ए

भारतीय जनता पार्टी का जोर मुख्य रूप से यूनिफॉर्म सिविल कोड, कश्मीर से अनुच्छेद 35ए को हटाने और नागरिकता संशोधन विधेयक पर है। अगर भाजपा के इन तीनों वादों को देखें तो पिछले चुनावों में भी पार्टी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड और 35ए हटाने का वादा किया था। ले‌किन जम्मू-कश्मीर (पीडीपी के साथ) और केंद्र में सत्ता में रहने के बावजूद वह इस पर अमल करने से कतराती रही। नागरिकता संशोधन विधेयक को लागू करने की बात भी दोहराई गई है। इसे लेकर पूर्वोत्तर में भाजपा के सहयोगियों के बीच ही घमासान मचा हुआ है। असम सहित कई राज्यों में हिंसक प्रदर्शन भी हुए।

राम मंदिर पर पुराना सुर

पार्टी की तरफ से अपने घोषणापत्र में राम मंदिर के संकल्प को दोहराया गया है। कहा गया है कि संविदान के दायरे में अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए सभी संभावनाओं को तलाशा जाएगा। यह एक ऐसा मुद्दा है, जिसे भाजपा घोषणापत्र और राजनीतिक मंचों से हर चुनाव में दोहराती रही है। यही वह मुद्दा था, जिसने पार्टी को देश में पहली बार एक व्यापक जनाधार दिया था। लेकिन यह मुद्दा अब भी असुलझा है और पार्टी के घोषणापत्र में ‌फिर मौजूद है।

वादे वही, डेडलाइन बढ़ी

भाजपा ने संविधान में संशोधन के जरिए संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण देने का वादा किया है। यह भी कोई नया वादा नहीं है और कांग्रेस ने भी इस वादे को अपने घोषणापत्र में जगह दी है। लेकिन आज तक यह संसद से पास नहीं हो पाया। इसके अलावा 2022 तक किसानों की आय दोगुनी, स्वच्छ गंगा जैसे वादे भी हैं, जो नए नहीं हैं। स्वच्छ गंगा के तहत ‘नमामि गंगे’ योजना की डेडलाइन अब 2020 से बढ़ाकर 2022 तक कर दी गई है।

6,000 रुपये की सालाना मदद अब सभी किसानों को

अब किसान सम्मान निधि योजना के तहत सभी किसानों को हर साल 6,000 रुपये दिए जाएंगे। अपने आखिरी बजट में भाजपा की अगुआई वाली एनडीए सरकार ने यह घोषणा की थी। हालांकि, इसमें से अब दो हेक्टेयर की सीमा को समाप्त कर दिया गया है। साथ ही पांच साल तक किसान क्रेडिट कार्ड से कर्ज लेने वाले एक लाख रुपये तक के कर्ज पर जीरो फीसदी ब्याज लगेगा। इसके अलावा प्रशासनिक सुधार के तहत पुलिस सुधार का भी वादा किया गया है, जो काफी अरसे से धूल फांक रहा है और अभी तक कोई भी सरकार इस पर अमल नहीं कर पाई। 

स्वास्थ्य पर भी नया कुछ नहीं

घोषणापत्र में आयुष्मान भारत के तहत उपलब्धियों का ढिंढोरा पीटा गया है। इसके तहत कहा गया है कि 2022 तक 1,50,000 स्वास्थ्य कल्याण केंद्र स्थापित करने का कार्यक्रम बनाया गया  है, जो अभी तक 17,150 ही बन पाए हैं। 

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