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अगले लोकसभा चुनाव के साथ हो सकते हैं 11 राज्यों के चुनाव!

भारतीय जनता पार्टी लगातार 'एक देश एक चुनाव' पर जोर दे रही है लेकिन इस पर सर्वसम्मति नहीं बन पा रही है। अब...
अगले लोकसभा चुनाव के साथ हो सकते हैं 11 राज्यों के चुनाव!

भारतीय जनता पार्टी लगातार 'एक देश एक चुनाव' पर जोर दे रही है लेकिन इस पर सर्वसम्मति नहीं बन पा रही है। अब भाजपा की कोशिश है कि लोकसभा चुनाव से कुछ पहले या बाद होने वाले राज्यों के चुनाव एक साथ करा दिए जाएं। इस कड़ी में भाजपा ने उन 11 राज्यों के विधानसभा चुनाव कराने की सम्भावनाओं को तलाशना शुरू कर दिया है जिनके चुनाव 2019 के लोकसभा चुनावों के साथ कराए जा सकते हैं। पार्टी का मानना है कि इसके लिए किसी तरह के संविधान संशोधन या चुनावी नियमों में किसी बड़े बदलाव करने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, भाजपा की योजना है कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मिजोरम के चुनाव आगे बढ़ाए जाएं। ओड़िशा, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के चुनाव तय वक्त पर लोकसभा के साथ हों और हरियाणा, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और झारखंड के चुनाव जल्दी कराए जाएं।

भाजपा सूत्रों के अनुसार लोकसभा चुनावों के साथ 11 राज्यों के चुनाव कराने पर भाजपा शासित तीन राज्यों का चुनाव देरी से किया जा सकता है और 2019 में बाद में होने वाले कुछ राज्यों के चुनाव पहले कराए जा सकते हैं। ऐसे 11 राज्यों की पहचान की गई है जिनके चुनाव एक साथ हो सकते हैं। ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और सिक्किम में मतदान सामान्य तौर पर लोकसभा चुनावों के साथ होते हैं।

मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ विधानसभाओं का कार्यकाल जनवरी 2019 में समाप्त हो रहा है। पार्टी का मानना है कि यहां कुछ समय के लिए राज्यपाल शासन की संभावना तलाशी जा सकती है ताकि वहां विधानसभा चुनाव अगले साल लोकसभा चुनाव के साथ कराए जा सकें।

झारखंड़, हरियाणा और महाराष्ट्र में चुनाव बाद में होने हैं तो यहां कुछ महीने पहले चुनाव कराए जा सकते हैं। कांग्रेस शासित मिजोरम विधानसभा का कार्यकाल भी इस साल दिसंबर में समाप्त हो रहा है।

पार्टी का मानना है इन हालात इन 11 राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मिजोरम, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, झारखंड, हरियाणा, सिक्किम और अरुणाचल में एक साथ चुनाव कराए जा सकते हैं।

'एक देश एक चुनाव' को लेकर विधि आयोग के चेयरमेन बीएस चौहान ने देश की दोनों बड़ी राष्ट्रीय पार्टियों के प्रतिनिधिमंडलों से मुलाकात कर एक देश एक चुनाव पर उनकी पार्टी राय जानने के लिए बुलाया था। इससे पहले पिछले महीने कई क्षेत्रीय पार्टियों को 'एक देश एक चुनाव' पर राय जानने के लिए बुलाया गया था। चुनाव आयोग और अधिकांश राजनीतिक पार्टियां 'एक देश एक चुनाव' के फ़ॉर्मूले पर तैयार हैं लेकिन इसके बाद भी संविधान में संशोधन करना पड़ेगा। इसके लिए संसद के अगले शीतकालीन सत्र तक इंतजार करना पड़ सकता है। इससे बचने के लिए ही भाजपा उन राज्यों के चुनाव एक साथ कराने पर विचार कर रही है जिनके चुनाव लोकसभा चुनाव के आसपास हैं।

 

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