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दिग्गजों को पछाड़ भूपेंद्र पटेल को मिली गुजरात की कमान, जानें रेस जीतने की क्या रही वजह

गुजरात के सीएम की रेस में तमाम बड़े-बड़े दिग्गजों के नाम थे लेकिन सभी को पछाड़कर भूपेंद्र पटेल का नाम...
दिग्गजों को पछाड़ भूपेंद्र पटेल को मिली गुजरात की कमान, जानें रेस जीतने की क्या रही वजह

गुजरात के सीएम की रेस में तमाम बड़े-बड़े दिग्गजों के नाम थे लेकिन सभी को पछाड़कर भूपेंद्र पटेल का नाम सामने आया हैं। ऐसा नाम जो जमीन से तो जुड़ा है लेकिन कभी चर्चा में नहीं रहा। इसी के साथ राज्य की राजनीति में अब नया अध्याय शुरू होने जा रहा है। गुजरात के नए सीएम के तौर पर जिन लोगों के नाम सामने आ रहे थे उनमें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया, डिप्टी सीएम नितिन पटेल, पुरुषोत्तम रुपाला और आर.सी फालदू के नाम थे लेकिन बीजेपी विधायक दल की बैठक में इससे अलग नाम का ऐलान किया गया। सवाल है कि आखिर भूपेंद्र पटेल को ही गुजरात की कमान क्यों दी गई।

विजय रूपाणी के अचानक सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद अब भूपेंद्र पटेल को गुजरात की कमान सौंपी गई है। बीजेपी का यह निर्णय काफी चौंकाने वाला रहा क्योंकि भूपेंद्र पटेल सीएम पद की रेस में ही नहीं थे। भूपेंद्र पटेल आनंदी बेन पटेल के काफी करीबी हैं और जब आनंदी बेन पटेल ने इस्तीफा दिया था तो भूपेंद्र पटेल ही उनकी सीट से लड़े थे।

गुजरात पीएम नरेंद्र मोदी का गृह राज्य है जिसकी 182 विधानसभा सीटों के लिए अगले साल 2022 दिसबंर में चुनाव होने हैं। गुजरात बीजेपी का गढ़ रहा है और बीजेपी के लिए अपना गढ़ बचाए रखना चुनौती है। पिछले चुनाव में पाटीदार आंदोलन और कांग्रेस से कड़ी टक्कर मिली थी। इस बार चुनौती ज्यादा न हो, इसलिए किसी पटेल नेता को लाना जरूरी था।

गुजरात में कहने को बीजेपी के पास पाटीदार समुदाय से नितिन पटेल जैसे बड़े नेता मौजूद थे। मंडाविया को भी केंद्र में बड़ी भूमिका दी जा चुकी थी।. सीआर पाटिल भी गुजरात बीजेपी के अध्यक्ष थे।फिर सभी से अलग भूपेंद्र पटेल के नाम पर मोहर लगी। इसकी वजह है कि भूपेंद्र कोई बहुत बड़े नेता नहीं हैं। हां जमीन से जुड़े हैं। पार्टी ने नीति के अनुसार जमीनी नेता  से पार्टी की अंदरूनी लड़ाई से बचा ज सकेगा और वरिष्ठ नेताओं की नारजगी भी नहीं झेलनी पड़ेगी। साथ ही एंटी इन्कंबेसी का भी असर कम होगा।

विजय रुपाणी के प्रस्ताव के बाद ही भूपेंद्र पटेल के नाम का एलान किया गया। यानी उन्हीं की पसंद को गुजरात का नया मुख्यमंत्री बना दिया गया है। ये भी बीजेपी की एक पुरानी रणनीति रही है जिसके जरिए कई मौकों पर पार्टी आपसी तालमेल बैठाने की कोशिश करती है। पार्टी ने यह रणनीति बिहार में अपनाई थी। जब सुशील कुमार मोदी से डिप्टी सीएम का पद छिना था, तब भी उन्हीं के सुझाए नाम पर बाद में मोहर लगाई गई थी ताकि बड़े नेता की नारजगी से बचा जा सके।

भूपेंद्र पटेल भी पाटीदार समुदाय से आते हैं लेकिन वे कदवा पाटीदार हैं। उऩके नाम का एलान कर बीजेपी ने कई सिसायी समीकरण साधने की कोशिश की है। 25 साल से गुजरात की सत्ता पर काबिज भाजपा ने गुजरात में 150 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। चुनावों को लेकर भाजपा कोई जोखिम नहीं लेना चाहती और पाटीदार समुदाय गुजरात में वोटबैंक रहा है। 2017 में पाटीदार आंदोलन ने ही बीजेपी की जीत को काफी संघर्षपूर्ण बना दिया था, सौराष्ट्र में तो पार्टी का सूपड़ा साफ रहा था। भूपेंद्र ने बीजेपी में तो एक लंबी पारी खेली ही है, लेकिन इससे पहले आरएसएस  पृष्ठभूमि वाले नेताओं को आगे करने की कोशिश की है।

बता दें कि भूपेंद्र पटेल घाटलोदिया विधानसभा से विधायक है। घाटलोदिया में कार्यकर्ताओं और जनता के बीच भूपेंद्र पटेल की अच्छी पकड़ है। वे यहां काका और दादा के नाम से जाने जाते हैं। भूपेंद्र पटेल राज्य के 17वें मुख्यमंत्री के तौर पर सोमवार को शपथ ग्रहण करेंगे।

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