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इस्तीफा देने से पहले कमलनाथ ने भाजपा पर लगाए पांच बड़े आरोप

मध्य प्रदेश में जारी राजनीतिक घमासान का शुक्रवार दोपहर 12.30 बजे अंत हो गया। फ्लोर टेस्ट के पहले ही...
इस्तीफा देने से पहले कमलनाथ ने भाजपा पर लगाए पांच बड़े आरोप

मध्य प्रदेश में जारी राजनीतिक घमासान का शुक्रवार दोपहर 12.30 बजे अंत हो गया। फ्लोर टेस्ट के पहले ही कमलनाथ ने प्रेस कॉन्फ्रेस कर अपने इस्तीफे का ऐलान कर दिया। लेकिन इस ऐलान से पहले उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा को प्रदेशहित में किए गए मेरे काम रास नहीं आए। बौखलाहट में वे मेरे खिलाफ साजिश करते रहे।

आरोप-1- भाजपा रचती रही सरकार गिराने की साजिश

कमलनाथ ने कहा,  “11 दिसंबर 2018 को मध्यप्रदेश विधानसभा का नतीजा आया। मेरे 40 साल के राजनीतिक जीवन में मैंने हमेशा विकास में विश्वास रखा है। भाजपा को 15 साल मिले। मुझे 15 महीने मिले। ढाई-तीन महीने लोकसभा चुनाव और आचार संहिता में गए। प्रदेश का हर नागरिक गवाह है कि भाजपा को प्रदेशहित में किए गए मेरे काम रास नहीं आए। बौखलाहट में वे मेरे खिलाफ साजिश करते रहे। आप सब जानते हैं कि महीनेभर में जब हमारी सरकार बनी थी तो हर 15 दिन में भाजपा नेता कहते थे कि ये सरकार पंद्रह दिन-महीनेभर की सरकार है।”

आरोप-2- लालच का खेल

कमलनाथ ने कहा, “आज हमारे 22 विधायकों को लालच देकर भाजपा ने बंधक बनाने का काम किया। करोड़ों रुपए खर्चकर प्रलोभन का खेल खेला गया। आज पूरा प्रदेश इसका गवाह है। एक महाराज और उनके द्वारा प्रोत्साहित 22 लोभियों के साथ मिलकर भाजपा ने लोकतंत्र की हत्या की है। प्रदेश की जनता के साथ धोखा करने वाले इन लोभियों और बागियों को जनता कभी माफ नहीं करेगी।”

आरोप-3- सरकार को अस्थिर भाजपा ने जनता के साथ विश्वासघात किया

कमलनाथ ने कहा, “पिछले 15 महीने में हमने कई बार विधानसभा में बहुमत साबित किया। हमने जब यह बहुमत साबित किया तो उन्होंने इसे बर्दाश्त नहीं किया। मेरी सरकार को अस्थिर कर प्रदेश की जनता के साथ विश्वासघात किया गया। भाजपा को चिंता है कि प्रदेश नई दिशा में चल रहा है। वो लगे रहे कि वे मेरी सरकार को अस्थिर कैसे किया जाए।”

आरोप-4- भाजपा को रास नहीं आए हमारे काम

कमलनाथ ने कहा, “15 महीनों में हमने तीन लाख किसानों का कर्ज माफ किया। दूसरे चरण में साढ़े सात किसानों के कर्ज माफ करने की प्रक्रिया हुई। प्रदेश की सड़कों पर घूम रही हमारी गो-माता के संरक्षण के लिए एक हजार गोशाला बनाने का फैसला किया। यह भाजपा को रास नहीं आया। प्रदेश की जनता को 100 यूनिट बिजली का फायदा प्रदेश के 1 करोड़ लोगों को हुआ। भाजपा को यह भी रास नहीं आया। कन्या विवाह में 28 हजार से बढ़कर 51 हजार रुपए की मदद की। भाजपा को यह रास नहीं आया। राम वनपथ गमन के निर्माण का संकल्प लिया। सीता माता का मंदिर श्रीलंका में बनाने का निर्णय लिया। यह भाजपा को रास नहीं आया। हमने ओंकारेश्वर मंदिर के विकास की योजना बनाई। यह भाजपा को रास नहीं आया। पुजारियों का मानदेय हमने तीन गुना बढ़ाया। यह भाजपा को रास नहीं आया। आदिवासी भाइयों के लिए काम किया। वहां स्कूल खोले। 15 महीने में हमने 400 वादे पूरे किए। भाजपा को यह रास नहीं आया। आरक्षण का प्रावधान किया। भाजपा को यह रास नहीं आया। आर्थिक रूप से सामान्य कमजोर वर्ग के लिए काम किया। यह भी रास नहीं आया। प्रदेश में निवेश विश्वास से आता है। हमने मध्यप्रदेश को ऐसा प्रदेश बनाया, जहां झूठी घोषणाएं नहीं थीं।

आरोप-5-  किसने पैसा दिया, किसने दबाव डाला

कमलनाथ ने कहा, “भाजपा सोचती है कि वह मेरे प्रदेश को हराकर जीत सकती है। व न मेरे प्रदेश को हरा सकती है और न मेरे हौसले को हरा सकती है। 9 मार्च को 16 विधायकों को लेकर ले गए थे। किसने पैसा दिया, किसने दबाव डाला, ये समय के साथ सामने आ जाएगा। आज के बाद कल आता है, कल के बाद परसों भी आता है। परसों आएगा। जनता तय करेगी।’’

क्या है पूरा घटनाक्रम

कांग्रेस के दिग्ग नेता रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद  कांग्रेस के 22 विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया था, जिसमें से 6 विधायकों का इस्तीफा स्पीकर ने स्वीकार कर लिया था और 16 विधायकों का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया था। भाजपा ने सरकार से सदन में बहुमत साबित करने की मांग की थी। राज्यपाल ने भी इस संबंध में कमलनाथ को पत्र लिखे।  लेकिन मांग को दरकिनार करते हुए स्पीकर ने 26 मार्च तक सदन को स्थगित किया गया था। इसके बाद भाजपा की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी और तुरंत फ्लोर टेस्ट की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को स्पीकर को फटकार लगाई थी और 16 बागी विधायकों के इस्तीफे ना स्वीकारने का कारण पूछा और आज शाम 5 बजे तक फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया था। इसके बाद स्पीकार ने सभी 16 विधायकों का इस्तीफा स्वीकार कर लिया। विधायकों का इस्तीफा स्वीकार होने के बाद कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई। अब कमलनाथ सरकार के पास सिर्फ 99 विधायक हैं, जबकि बहुमत के लिए 104 का आंकड़ा चाहिए। लेकिन फ्लोर टेस्ट से पहले ही कमलनाथ ने इस्तीफे की घोषणा कर दी है।

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