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वायनाड में राहुल ही नहीं, चुनावी मैदान में उतरे हैं ये तीन ‘गांधी’, क्या दे पाएंगे टक्कर

इस बार लोकसभा चुनाव 2019 कई मायनों में अहम है। जहां कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पहली बार दो लोकसभा सीटों...
वायनाड में राहुल ही नहीं, चुनावी मैदान में उतरे हैं ये तीन ‘गांधी’, क्या दे पाएंगे टक्कर

इस बार लोकसभा चुनाव 2019 कई मायनों में अहम है। जहां कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पहली बार दो लोकसभा सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं। वे अमेठी के साथ-साथ केरल के वायनाड सीट से भी चुनाव लड़ेंगे। वहीं इस सीट से राहुल गांधी ही इकलौते गांधी नहीं हैं जो यहां से उम्मीदवारी कर रहे हैं। बल्कि मिलते-जुलते नाम और सरनेम वाले तीन और प्रत्याशी हैं जो इस लोकसभा सीट के लिए रेस में हैं। केरल के कोट्टयम के राहुल गांधी केई. ने भी वायनाड से नामांकन भरा है। इसके अलावा तमिलनाडु के राहुल जैसे नाम वाले राघुल गांधी के. भी वायनाड से प्रत्याशी बने हैं। जबकि तीसरे उम्मीदवार का नाम केएम शिवप्रसाद गांधी है।

राहुल गांधी केई

राहुल गांधी केई. भी वायनाड सीट से लोकसभा प्रत्याशी के तौर पर पर्चा भरे हैं। बताया गया है कि केई. के पिता कुंजुमन कांग्रेस के बड़े समर्थक थे। कुंजुमन के छोटे बेटे का नाम देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाम पर है। खबरों के मुताबिक, कुंजुमन कांग्रेस कार्यकर्ता थे। इसीलिए गांधी परिवार से प्रभावित होकर उन्होंने अपने बेटों का नाम राहुल और राजीव रखा। लेकिन राहुल और राजीव का कांग्रेस से कोई संबंध नहीं है। राहुल के छोटे भाई राजीव मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के बड़े समर्थक हैं।

राघुल गांधी के.

राहुल के नाम से मिलते जुलते राघुल गांधी के. भी वायनाड सीट से चुनावी मैदान में हैं। राघुल तमिलनाडु के कोयंबटूर के रहने वाले हैं। वे अगिला इंडिया मक्कल कझगम पार्टी की ओर से प्रत्याशी हैं। राघुल के पिता कृष्णन बी स्थानीय कांग्रेस नेता थे। इसलिए उन्होंने बेटे का नाम राघुल गांधी और बेटी का नाम इंदिरा प्रियदर्शनी रखा। राघुल इससे पहले भी दो बार चुनाव लड़ चुके हैं।

केएम शिवप्रसाद गांधी

वायनाड सीट से एक गांधी और मैदान में जिनका नाम केएम शिवप्रसाद गांधी है। गांधी थ्रिसुर के एक स्कूल में संस्कृत के शिक्षक हैं। उनके पिता केके मुकुंदन कांग्रेस कार्यकर्ता थे। उन्होंने इंडियन गांधियन पार्टी से जुड़ने के बाद नाम के आगे गांधी जोड़ लिया।

राजनीतिक दल अपनाते रहे हैं ऐसे हथखंडे

राजनीति के मैदान में एक जैसे नाम वाले उम्मीदवारों के खड़े होने के कई मामले देखे जाते रहे हैं। कई बार तो यह बाजी भी पलट देते हैं। अक्सर राजनीतिक दल अपनी रणनीति के तहत ऐसे उम्मीदवारों को खुद खड़ा करते हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी पर आरोप लगे थे कि उन्होंने भाजपा के उम्मीदवार चंदूलाल साहू को हराने के लिए 10 चंदूलाल साहू को मैदान में उतारा था। वैसे ही 2004 में अलपुझा से कांग्रेस नेता वीएम सुधीरन अपने जैसे नाम वाले वीएस सुधीरन से हार गए थे। 2009 में कोझिकोड में एक जैसे नाम वाले चार प्रत्याशियों के कारण से माकपा के ए मुहम्मद रियास को भारी घाटा उठाना पड़ा था। हालांकि ऐसी किसी स्थिति से निपटने के लिए चुनाव आयोग ने पहली बार ईवीएम में प्रत्याशी की फोटो भी लगाना शुरू किया है।

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