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एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा, नेताओं को जोड़ने पर काम करेगी पार्टी

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के...
एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा, नेताओं को जोड़ने पर काम करेगी पार्टी

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार ने कहा कि उनकी पार्टी नेताओं को जोड़ने पर फोकस करेगी। पार्टी की शिवसेना का समर्थन करने की कोई योजना नहीं थी। इन चुनावों में एनसीपी को गठबंधन में सहयोगी कांग्रेंस पार्टी से 10 सीटें ज्यादा और शिवसेना से केवल 2 सीटें कम मिली हैं। भाजपा 102 सीटें लेकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सामने आई है। 2014 के विधानसभा चुनावों से उसे 20 सीटें कम मिली हैं।

भाजपा को सत्ता से दूर रखने और एनसीपी द्वारा सरकार बनाने के लिए शिवसेना को समर्थन देने की संभावनाओं पर शरद पवार ने कहा, हम चाहते हैं कि नेताओं का समूह बने। मेरी सबसे ज्यादा चिंता कृषि, उद्योग और बेरोजगारी को लेकर है।‘ उन्होंने कहा, ‘हम जनहित के मुद्दों को लेकर चिंतित हैं इसलिए हमें अन्य चीजों में कोई दिलचस्पी नहीं है।‘

'सतारा और परली पर भाजपा को हराया'

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उन्हें परली विधानसभा क्षेत्र में एनसीपी के जीत की उम्मीद थी, जहां भाजपा की पंकजा मुंडे को उनके चचेर भाई और एनसीपी उम्मीदवार धनंजय मुंडे ने हराया। सतारा लोकसभा उपचुनाव में एनसीपी के श्रीनिवास पाटिल ने 80 हजार से अधिक मतों से उदयनराजे भोंसले को पराजित किया। भोंसले ने चुनाव से कुछ समय पहले ही एनसीपी सांसद पद से इस्तीफा देकर भाजपा ज्वाइन की थी जिन्हें भाजपा ने उपचुनाव में मैदान में उतारा था।

पवार ने कहा, 'मैं सतारा के नतीजों से हैरान नहीं था। मुझे नतीजे पर यकीन था। मुझे परली में भी नतीजे को लेकर कोई संदेह नहीं था। मुझे यकीन था कि नतीजा धनंजय मुंडे के पक्ष में होगा।'

'हम संतुष्ट नहीं हैं, चाहते थे बहुमत'

नतीजे आने के बाद गुरुवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि पवार के पास जश्न मनाने का कोई कारण नहीं था क्योंकि विपक्ष सरकार बनाने की स्थिति में नहीं था। इसके बारे में पूछे जाने पर शरद पवार ने कहा कि हम संतुष्ट नहीं हैं क्योंकि हम बहुमत चाहते थे। लेकिन हम भी दुखी नहीं हैं, क्योंकि भाजपा भी अपना दावा पर खरी नहीं उतर पाई। पवार ने कहा कि मतदाताओं को विपक्षी दलों के नेताओं को भाजपा में जाना पसंद नहीं आया।  

 

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