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आज से 44 साल पहले जब एक फैसला बन गया देश में आपातकाल की वजह

आजाद भारत के इतिहास से आपातकाल का नाम शायद ही कभी मिट पाए। दरएसल आज से ठीक 44 साल पहले देश में आपातकाल...
आज से 44 साल पहले जब एक फैसला बन गया देश में आपातकाल की वजह

आजाद भारत के इतिहास से आपातकाल का नाम शायद ही कभी मिट पाए। दरएसल आज से ठीक 44 साल पहले देश में आपातकाल यानी इमरजेंसी लगा दी गई थी। कुछ लोगों ने तो इसे 'भारतीय लोकतंत्र में काला दिन' और 'तानाशाही' का नाम भी दिया। 25 जून 1975 की आधी रात को आपातकाल की घोषणा की गई थी जो 21 मार्च 1977 तक लगी रही। तो आइए जानते हैं इमरजेंसी को लेकर कुछ तथ्यों को- 

संविधान की धारा 352 के अधीन देश में आपातकाल की घोषणा

तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार की सिफारिश पर भारतीय संविधान की धारा 352 के अधीन देश में आपातकाल की घोषणा की थी। 26 जून को रेडियो से इंदिरा गांधी ने इसे दोहराया।

आकाशवाणी पर प्रसारित अपने संदेश में इंदिरा गांधी ने कहा था कि जब से मैंने आम आदमी और देश की महिलाओं के फायदे के लिए कुछ प्रगतिशील कदम उठाए हैं, तभी से मेरे खिलाफ गहरी साजिश रची जा रही थी।

आपातकाल के पीछे बताई जाती है ये वजह

आपातकाल के पीछे सबसे अहम वजह 12 जून 1975 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से इंदिरा गांधी के खिलाफ दिया गया फैसला बताया जाता है।

जब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा के चुनाव को कर दिया था खारिज

दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी को रायबरेली के चुनाव अभियान में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करने का दोषी पाया था। साथ ही उनके चुनाव को खारिज कर दिया था। इतना ही नहीं, इंदिरा गांधी पर छह साल तक के लिए चुनाव लड़ने या कोई पद संभालने पर भी रोक लगा दी गई थी।

उस वक्त जस्टिस जगमोहनलाल सिन्हा ने यह फैसला सुनाया था। हालांकि 24 जून 1975 को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश बरकरार रखा, लेकिन इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बने रहने की इजाजत दी।

आधी रात को आपातकाल

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जब इंदिरा गांधी के निर्वाचन को अवैध करार दिया तो उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। सुप्रीम कोर्ट ने भी इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को बरकार रखा था। इस पर पूर्व पीएम इंदिरा ने 25 जून, 1975 को आधी रात को आपातकाल लगा दिया था। 

सुप्रीम कोर्ट ने 2 जनवरी, 2011 को यह स्वीकार किया था कि देश में आपातकाल के दौरान इस कोर्ट से भी नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन हुआ था। आपातकाल लागू होते ही आंतरिक सुरक्षा कानून (मीसा) के तहत राजनीतिक विरोधियों की गिरफ्तारी शुरू हो गई थी।

गिरफ्तार होने वालों में जयप्रकाश नारायण, जॉर्ज फर्नांडिस और अटल बिहारी वाजपेयी भी शामिल थे। 21 महीने तक इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लागू रखा इस दौरान विपक्षी नेताओं को जेलों में डाल दिया गया।

असीमित अधिकार लिया

इंदिरा गांधी ने सविंधान के अनुच्छेद 352 के तहत देश में इमरजेंसी लगाकर खुद को असीमित अधिकार दे दिए थे। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार की सिफारिश पर आपातकाल को लागू करने का फैसला तत्कालीन संघ कैबिनेट की मंजूरी के बिना लिया गया था। 

मीडिया पर लगी सेंसरशिप

आपातकाल लगने के बाद अखबारों की खबरों पर कड़ा पहरा था। मीडिया पर सेंशरशिप लगी थी। अखबारों में क्या छपेगा क्या नहीं यह संपादक नहीं बल्कि सेंसर अधिकारी द्वारा तय किया जा रहा था। इस दौरान कई अखबारों ने तो विरोध में पन्ने तक काले छोड़ दिए थे।

आपातकाल के लगभग दो साल बाद विरोध की लहर तेज

आपातकाल लागू करने के लगभग दो साल बाद विरोध की लहर तेज होती देख प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लोकसभा भंग करके आम चुनाव कराने की सिफारिश कर दी। कहा जाता है कि आपातकाल के दौरान संजय गांधी और उनके दोस्तों का गुट ही देश को चला रहे थे और उन्होंने इंदिरा गांधी को एक तरह से कब्जे में कर लिया था।

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