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क्या मोदी के लिए द्वार खोल पाएगी ओडिशा की ये सीट, अमित शाह ने खेला है बड़ा दांव

लोकसभा चुनावों के तहत ओडिशा के चुनावों में प्रतिष्ठा की लड़ाई में केंद्रपारा का चुनाव सबसे महत्वपूर्ण...
क्या मोदी के लिए द्वार खोल पाएगी ओडिशा की ये सीट, अमित शाह ने खेला है बड़ा दांव

लोकसभा चुनावों के तहत ओडिशा के चुनावों में प्रतिष्ठा की लड़ाई में केंद्रपारा का चुनाव सबसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जहां ओडिशा में सरकार बनाने और लोकसभा में यहां से अपनी संख्या बढ़ाने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बीजेडी छोड़कर भाजपा में आए बैजयंत जय पांडा को उम्मीदवार बनाया है। वहीं, दूसरी ओर बीजेडी बीते 21 साल से पार्टी का गढ़ रहे इस संसदीय क्षेत्र को बचाने के लिए फिल्म स्टार और राज्यसभा सदस्य अनुभव मोहंती के सहारे है।

ओडिशा की केंद्रपाड़ा सीट के चुनाव पर सबकी निगाहें टिकी हैं, लेकिन देखना ये होगा कि क्या पीएम नरेंद्र मोदी के लिए बैजयंत जय पांडा केंद्रपाड़ा से यहां के लिए दरवाजा खोल देंगे। दरअसल नवीन पटनायक के करीबी माने जाने वाले और बीजेडी के एक प्रमुख चेहरे बैजयंत पांडा बीजेपी में शामिल होने के बाद इस सीट की लड़ाई खासी दिलचस्प हो गई। इस सीट पर चौथे चरण (29 अप्रैल) में वोट डाले जाने हैं।

2014 में इस सीट से पांडा ने पाई थी शानदार जीत

2014 की मोदी लहर के बीच भी इस सीट पर बैजयंत पांडा ने बीजेडी उम्मीदवार के तौर पर शानदार सफलता पाई थी। उन्हें 6,01,574 (52.72%) वोट मिले थे जबकि दूसरे नंबर रहे कांग्रेस के उम्मीदवार रहे जिन्हें 3,92,466 (34.4%) वोट मिले थे।

बीजेपी में शामिल हुए पांडा

लेकिन इस बार पांडा बीजेपी के साथ हैं, उनके सामने बीजेडी ने पार्टी के बड़े चेहरे और उड़िया फिल्मों के स्टार अनुभव मोहंती को उतारा है। वहीं, कांग्रेस ने इस सीट से धरणीधर नायक को टिकट दिया है।

बीजेडी का गढ़ रही है यह सीट

अगर इस सीट के राजनीतिक इतिहास पर एक नजर डाला जाए तो यह स्पष्ट दिखाई देता है कि यहां बीजेडी का दबदबा रहा है। वहीं, कांग्रेस इस सीट पर अब तक सिर्फ एक ही बार कब्जा जमा पाई है जबकि बीजेपी इस सीट पर कभी चुनाव नहीं जीत सकी है।

इस सीट पर कांग्रेस पहली और अखिरी बार 1952 के चुनाव में जीती थी। इसके बाद अगले तीन चुनावों 1957, 1962, 1967 में यहां से प्रजा सोशलिस्ट पार्टी ने जीत हासिल की थी। वहीं, आगे के चार चुनावों 1977, 1980, 1984, 1985 में इस सीट पर बीजू जनता पार्टी का कब्जा रहा। अगले तीन चुनाव 1989, 1991, 1996 में इस सीट पर बीजू जनता दल ने जीत हासिल की।

1998 से इस सीट पर बीजेडी का एकछत्र राज रहा है। 1999, 2004 के चुनावों में भी बीजेडी की कामयाबी जारी रही। 2009 में यहां से बैजयंत पांडा ने बीजेडी उम्मीदवार के तौर पर जीत हासिल की। वहीं, 2014 में भी वह इस सीट पर जीत दर्ज करने में कामयाब रहे।

 

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