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झारखंड विधानसभा चुनाव में कौन मारेगी बाजी, इन 10 सीटों पर है सबकी नजर

झारखंड में इस बार किसकी सरकार बनेगी...इसका फैसला कुछ ही घंटों में हो जाएगा। लेकिन झारखंड विधानसभा चुनाव...
झारखंड विधानसभा चुनाव में कौन मारेगी बाजी, इन 10 सीटों पर है सबकी नजर

झारखंड में इस बार किसकी सरकार बनेगी...इसका फैसला कुछ ही घंटों में हो जाएगा। लेकिन झारखंड विधानसभा चुनाव में 10 ऐसी सीटें हैं, जहां के नतीजों पर हर किसी की नजर है।

मुख्यमंत्री रघुबर दास को जमशेदपुर पूर्वी सीट पर उन्हीं की सरकार में मंत्री रहे सरयू राय ने बगावत करते हुए चुनौती दी। इसके साथ ही बरहेट सीट पर जेएमएम नेता और पूर्व सीएम हेमंत सोरेन के लिए भी प्रतिष्ठा की लड़ाई है। आइए जानते हैं, इन 10 सीटों का क्या है हाल:

1. जमशेदपुर पूर्वी- रघुबर दास (भाजपा), सरयू राय (निर्दलीय), गौरव बल्लभ (कांग्रेस)

जमशेदपुर पूर्वी सीट पर मुख्यमंत्री रघुबर दास चुनाव लड़े हैं। उन्हें यहां अपनी सरकार में मंत्री रहे सरयू राय से चुनौती मिली। भाजपा ने सरयू राय का टिकट काटा तो उन्होंने बगावत करते हुए रघुबर के खिलाफ मैदान में उतरने का ऐलान कर दिया। वहीं चर्चित कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने भी यहां से रघुबर को चुनौती दी।

2. बरहेट- हेमंत सोरेन (जेएमएम), सिमोन मालतो (भाजपा)

बरहेट सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री और जेएमएम नेता हेमंत सोरेन किस्मत आजमा रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में दुमका में हार के बावजूद जेएमएम के पास यह गढ़ बरकरार रहा था। सोरेन को जेएमएम-कांग्रेस-आरजेडी गठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री फेस के रूप में देखा जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने यहां भाजपा प्रत्याशी सिमोन मालतो के लिए रैली की थी। ऐसे में यहां का मुकाबला दिलचस्प है।

3. दुमका- हेमंत सोरेन (जेएमएम), लुइस मरांडी (भाजपा)

जेएमएम के सोरेन परिवार का गढ़ मानी जाने वाली संथाल क्षेत्र की इस सीट पर हेमंत सोरेन मैदान में हैं। उनका मुकाबला रघुबर सरकार में मंत्री लुइस मरांडी से है। पिछली बार वह इस सीट से हार गए थे। लोकसभा चुनाव में जेएमएम प्रमुख शिबू सोरेन भी दुमका से हार गए थे।

4. रांची- सीपी सिंह (भाजपा), महुआ मांझी (जेएमएम), वर्षा गाड़ी (एजेएसयू)

रांची सीट से रघुबर दास सरकार में मंत्री सीपी सिंह लगातार जीतते रहे हैं। रांची में इस बार कम मतदान हुआ था। जेएमएम की महुआ मांझी उन्हें कड़ी चुनौती दे रही हैं।

5. धनवार- बाबूलाल मरांडी (जेवीएम), लक्ष्मण प्रसाद सिंह (भाजपा), राजकुमार यादव (सीपीआई एमएल)

धनवार सीट पर आदिवासी नेता और झारखंड विकास पार्टी (जेवीएम) के प्रमुख बाबूलाल मरांडी मैदान में हैं। उनका मुकाबला भाजपा के लक्ष्मण प्रसाद सिंह से है। पिछला चुनाव भी मरांडी यहां से हार गए थे। ऐसे में उनकी जीत-हार पर पार्टी का भविष्य टिका है।

6. सिल्ली- सुदेश महतो (एजेएसयू), सीमा महतो (जेएमएम)

सिल्ली सीट इस चुनाव की अहम सीटों में से है। ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष सुदेश महतो यहां से चुनाव लड़ रहे हैं। एजेएसयू ने भाजपा से गठबंधन तोड़कर अकेले चुनाव लड़ा है। पिछले चुनाव और उपचुनाव में वह यहां से हार गए थे। हालांकि पहले वह इस सीट से लगातार जीतते रहे हैं। ऐसे में उनके सियासी करियर के लिए परिणाम महत्वपूर्ण है।

7. मांडू- जय प्रकाश भाई पटेल (भाजपा), राम प्रकाश भाई पटेल (जेएमएम), चंद्रनाथ भाई पटेल (जेवीएम)

मांडू सीट पर तीन भाइयों की टक्कर पर हर किसी की निगाह है। चुनाव के ऐलान के बाद जयप्रकाश भाई पटेल ने जेएमएम छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया। वहीं, बड़े भाई रामप्रकाश भाई पटेल ने जेएमएम जॉइन कर ली। चचेरे भाई चंद्रनाथ भाई पटेल को जेवीएम ने उम्मीदवार बनाया है।

8. झरिया- रागिनी सिंह (भाजपा), पूर्णिमा सिंह (कांग्रेस)

यह सीट सूरजदेव सिंह की पारिवारिक जंग की वजह से चर्चित है। जहां एक ओर सूरजदेव सिंह की बहू रागिनी सिंह को भाजपा ने उतारा है, वहीं उनके सामने सूरजदेव सिंह के भाई राजनारायण सिंह की बहू पूर्णिमा सिंह कांग्रेस के टिकट पर मैदान में हैं। पिछले चुनाव में रागिनी के पति संजीव और पूर्णिमा के पति नीरज आमने-सामने थे, जिसमें संजीव को जीत मिली थी। कुछ महीने बाद नीरज की हत्या से पारिवारिक विवाद चरम पर पहुंच गया।

9. डालटनगंज- आलोक चौरसिया (भाजपा), केएन त्रिपाठी (कांग्रेस)

पहले चरण के मतदान के दौरान इस सीट पर काफी विवाद हुआ था। भाजपा उम्मीदवार आलोक चौरसिया के समर्थकों से झड़प के दौरान कांग्रेस प्रत्याशी केएन त्रिपाठी ने यहां एक पोलिंग बूथ पर पिस्तौल लहराई थी, जिस पर चुनाव आयोग ने रिपोर्ट तलब की है।

10. चक्रधरपुर- लक्ष्मण गिलुवा (भाजपा), सुखराम उरांव (जेएमएम), शशिभूषण सामद (जेवीएम)

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा की यह सीट चुनावों में काफी सुर्खियों में रही। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने यहां रैली में कई बार राम मंदिर का जिक्र किया था। जेएमएम ने यहां शशिभूषण सामद का टिकट काटकर सुखराम उरांव को टिकट दिया तो सामद बागी हो गए।

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