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खंडित जनादेश में किसे मिले सरकार बनाने का न्योता, क्या कहता है सरकारिया कमीशन?

कर्नाटक का सियासी ‘खेल’ अभी जारी है। राज्य में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है लेकिन किसी...
खंडित जनादेश में किसे मिले सरकार बनाने का न्योता, क्या कहता है सरकारिया कमीशन?

कर्नाटक का सियासी ‘खेल’ अभी जारी है। राज्य में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है लेकिन किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिल रहा है। शुरुआती रुझानों में भाजपा बहुमत के करीब पहुंच गई थी और भाजपाईयों ने जश्न भी मनाना करना शुरू कर दिया था लेकिन दोपहर में स्थिति पलटने लगी और नतीजों में भाजपा 104 सीटों पर अटक गई। बहुमत के लिए 112 सीटें चाहिए।

राजनीतिक घटनाक्रम तब और तेज हुआ, जब कांग्रेस और जनता दल (एस) ने साथ आने का ऐलान कर दिया। कांग्रेस को 78 और जेडीएस गठबंधन को 38 सीटें मिली हैं। कांग्रेस और जेडीएस के नेता मंगलवार को कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला से मिले और सरकार बनाने का दावा पेश किया। बीजेपी सीएम उम्मीदवार येदियुरप्पा ने भी सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है। अभी गुणा-गणित और जोड़-तोड़ जारी है।

ऐसे में एक संवैधानिक सवाल भी खड़ा हो गया है कि राज्यपाल किसे सरकार बनाने के लिए बुलाएंगे। इससे पहले गोवा, मणिपुर में अकेली सबसे बड़ी पार्टी सरकार नहीं बना पाई थी। भाजपा ने गठबंधन से यहां सरकार बनाईं। इस बार भाजपा अकेली बड़ी पार्टी है लेकिन दूसरे गठबंधन के पास बहुमत है। सबकी नजरें राजभवन पर टिकी हैं।

लेकिन संविधान क्या कहता है यह भी देखना होगा।

संविधान की परंपरा के मुताबिक, किसी को स्पष्ट बहुमत न मिलने की स्थिति में सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने का न्योता देने की परंपरा है। सरकारिया कमीशन ने अपनी सिफारिशों में इसे रेखांकित किया है। 2005 के रामेश्वर परसाद बनाम यूनियन ऑफ इंडिया केस में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने इस सिफारिश का समर्थन किया था लेकिन सबसे बड़ी पार्टी को बुलाने की संविधान में परंपरा ही है, कोई स्पष्ट निर्देश नहीं है। इसलिए राज्यपाल ‘स्वविवेक’ पर किसी भी पार्टी को बुला कर सरकार बनाने का न्योता देकर उसे बहुमत साबित करने के लिए कह सकते हैं।

क्या कहता है सरकारिया कमीशन?

1983 में केंद्र सरकार ने केंद्र और राज्य के संबंधों और शक्ति संतुलन की पड़ताल के लिए सरकारिया कमीशन का गठन किया था।इसके अध्यक्ष सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजिन्दर सिंह सरकारिया थे। इस कमीशन ने राज्य में मुख्यमंत्री चुनने में राज्यपाल की भूमिका के बारे में भी बात की थी।

1. एक पार्टी या पार्टियों का गठबंधन, जिसने बहुमत हासिल किया हो, उसे सरकार गठन के लिए बुलाया जाना चाहिए।

2. राज्यपाल का काम ये देखना है कि राज्य में सरकार बन जाए ना कि उसे सरकार बनाने में खुद मदद करनी चाहिए।

3. अगर किसी पार्टी के पास स्पष्ट बहुमत नहीं है तो सरकार को इन लोगों को बुलाना चाहिए।

a) चुनाव पूर्व गठबंधन

b) अकेली सबसे बड़ी पार्टी, जो बहुमत साबित करने में समर्थ हो

c) चुनाव के बाद का गठबंधन, जिसके पास आवश्यक संख्या हो

d) चुनाव के बाद का गठबंधन, जिसमें सहयोगी दल या निर्दलीय बाहरी समर्थन देने को तैयार हों

कमीशन ने सिफारिश की थी कि 30 दिनों के भीतर मुख्यमंत्री को बहुमत सिद्ध करना होगा। कमीशन ने कहा कि राज्यपाल को हाउस के बाहर बहुमत सिद्ध करवाने का रिस्क नहीं लेना चाहिए और बहुमत फ्लोर पर सिद्ध किया जाना चाहिए।

इसके अलावा विभिन्न स्तरों पर सरकारों के रोल, जिम्मेदारी और आपसी संबंधों की फिर से पड़ताल करने के लिए 2007 में पुंछी कमीशन का भी गठन किया गया था। कमीशन ने कहा था कि मुख्यमंत्री की नियुक्ति के लिए स्पष्ट गाइडलाइंस होनी चाहिए। कमीशन ने कहा था कि राज्यपाल के 'स्वविवेक' पर कुछ रेगुलेशन होना चाहिए। कमीशन ने सिफारिश की थी कि चुनाव-पूर्व गठबंधन को एक पार्टी की तरह देखा जाना चाहिए। अकेली सबसे बड़ी पार्टी को तरजीह देनी चाहिए। अगर ऐसा न हो तब चुनाव पश्चात् गठबंधन को बुलाया जाना चाहिए।

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