सवा महीने चले लोकसभा चुनाव के नतीजों में कुछ घंटे बचे हैं। यह मतदाताओं की भागीदारी के हिसाब से अब तक का सबसे बड़ा चुनाव रहा और इसका प्रबंधन भी खासा विस्तृत था। चुनाव के लिए 22 लाख 30 हजार बैलेट यूनिट, 10 लाख 63 हजार कंट्रोल यूनिट और 10 लाख 73 हजार वीवीपैट का इस्तेमाल हुआ। इसमें कुछ रिजर्व में भी रहे। कई जगह उम्मीदवारों की तादाद ज्यादा होने से दोहरे बैलेट यूनिट का इस्तेमाल किया गया।
बनाए गए हैं चार हजार से अधिक मतगणना केंद्र
12 लाख से अधिक ईवीएम में मतदाताओं के मत और उम्मीदवारों की किस्मत बंद है। पूरे देश में 10 लाख 35 हजार केंद्रों पर मतदान हुआ था। हर जिले में अमूमन एक या दो जगह स्ट्रॉन्ग रूम बनाए गए हैं यानी चार हजार से ज्यादा मतगणना केंद्र बनाए गए हैं। स्ट्रॉन्ग रूम के चारों ओर सुरक्षाकर्मियों का पहरा है। अंदर और बाहर सीसीटीवी लगाए गए हैं। उनके आउटपुट पर सभी पार्टियों और उम्मीदवारों के कार्यकर्ताओं का पहरा है यानी कई स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था चौबीस घंटे सातों दिन चाकचौबंद है।
सबसे पहले चार टेबल पर पोस्टल बैलेट की गिनती
वोटों की गिनती भले 23 मई को सवेरे आठ बजे से होगी, लेकिन कामकाज तो आज रात से शुरू हो जाएगा। चुनाव आयोग के प्रोटोकॉल के मुताबिक मतगणना की भी एक तय प्रक्रिया है। आयोग की ओर से हरेक मतगणना केंद्र पर इसे फॉलो किया जाएगा। मतगणना की शुरुआत सवेरे आठ बजे से होगी। सबसे पहले पोस्टल बैलेट की गिनती होती है। इसके लिए चार टेबल तय होते हैं। सभी राजनीतिक दलों या उम्मीदवारों के नुमाइंदे इस गणना के गवाह होते हैं। कायदे से हरेक टेबल पर मतगणना कर्मचारी को हरेक राउंड के लिए पांच सौ से ज्यादा बैलेट पेपर नहीं दिए जाते हैं। इसमें गलत भरे हुए या गलत निशान लगाए हुए बैलेट पेपर अवैध हो जाते हैं।
पोस्टल बैलेट और ईटीपीबीएस की गिनती के बाद ईवीएम की गिनती
कई लोकसभा क्षेत्र ऐसे भी हैं जहां 30 हजार से 45 हजार तक पोस्टल बैलेट होते हैं। ऐसे में उनकी गिनती में ही करीब आठ दस घंटे लग जाते हैं। इसके बाद इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफरेबल पोस्टल बैलेट भी अगर आए हों तो उनकी गिनती होती है। इन पर क्यू आर कोड होता है। उसके जरिए गिनती होती है। आयोग की नियमावली के मुताबिक पोस्टल बैलेट और ईटीपीबीएस की गिनती पूरी होने के आधा घंटा बाद ईवीएम में दिए गए मतों की गिनती शुरू होती है। इसके लिए हरेक विधान सभा इलाके के हिसाब से सेंटर में 14 टेबल लगाए जाते हैं। टेबल के चारों ओर जाली की घेराबंदी की जाती है।
30 से 45 मिनट में होती है एक राउंड की गणना
हरेक टेबल पर एक-एक ईवीएम भेजी जाती है। इस तरह हरेक विधान सभा क्षेत्र के लिए एक साथ चौदह ईवीएम की गिनती एक साथ होती है। अमूमन हर दौर में 30 से 45 मिनट का समय लगता है। मतगणना टेबल के चारों ओर पार्टियों या उम्मीदवारों के एजेंट रहते हैं, जो मतगणना पर पैनी निगाह रखते हैं। उनके लिए भी मतगणना अधिकारी तय फार्म 17 सी का अंतिम हिस्सा भरवाते हैं। फॉर्म 17 सी का पहला हिस्सा मतदान के पोलिंग एजेंट की मौजूदगी और दस्तखत के साथ पोलिंग प्रक्रिया शुरू करते समय भरा जाता है। फिर मशीनों की सीलिंग के समय अगला हिस्सा भरते हैं। फिर मतगणना के समय आखिरी हिस्सा भरा जाता है। ताकि हरेक चरण में ईवीएम और अन्य मशीनों के सही सलामत होने का सबूत रहे।
ईवीएम और वीवीपेट की पर्चियों के मिलान में लगता है एक घंटा
बैलेट यूनिट पर जितने उम्मीदवारों के नाम दर्ज होते हैं, उनके लिए एक-एक एजेंट का नाम पता और अन्य जरूरी जानकारियां दर्ज कर अंदर प्रवेश करने दिया जाता है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से आयोग औचक आधार पर पांच मशीनों को पहले ही अलग कर लेता है, जिनकी ईवीएम और वीवीपैट की पर्चियों की गिनती का मिलान सबसे आखिर में होता है। एक ईवीएम और वीवीपैट की पर्चियों के मिलान में एक घंटा लगता है तो पांच ईवीएम और वीवीपैट की गिनती के मिलान में औसतन पांच घंटे तो लग ही जाएंगे।