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10 साल में आपराधिक मामलों वाले सांसदों की संख्या में 44% की बढ़ोतरी: एडीआर रिपोर्ट

पिछले तीन लोकसभा चुनाव में निर्वाचित होकर आने वाले सांसदों में करोड़पति और आपराधिक मामलों में घिरे...
10 साल में आपराधिक मामलों वाले सांसदों की संख्या में 44% की बढ़ोतरी: एडीआर रिपोर्ट

पिछले तीन लोकसभा चुनाव में निर्वाचित होकर आने वाले सांसदों में करोड़पति और आपराधिक मामलों में घिरे सदस्यों की संख्या का लगातार इजाफा हो रहा है। चुनाव प्रक्रिया से जुड़ी शोध संस्था ‘एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफार्म’ (एडीआर) द्वारा लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद जारी अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार, आपराधिक मामलों में फंसे सांसदों की संख्या दस साल (2009-2019) में 44 प्रतिशत बढ़ी है। करोड़पति सांसदों की संख्या 2009 में 58 प्रतिशत थी जो 2019 में 88 प्रतिशत हो गई।

233 सांसदों के खिलाफ आपराधिक मुकदमे लंबित

एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार, 17वीं लोकसभा के लिए चुनकर आए 542 सांसदों में 233 (43 प्रतिशत) सांसदों के खिलाफ आपराधिक मुकदमे लंबित है। इनमें से 159 (29 प्रतिशत) के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले चल रहे हैं। इतना ही नहीं राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय 25 राजनीतिक दलों में छह दलों (लगभग एक चौथाई) के शत प्रतिशत सदस्यों ने उनके खिलाफ आपराधिक मामलों की जानकारी दी है।

दोबारा सत्तारूढ़ होने जा रहे राजग के घटक लोजपा के निर्वाचित सभी छह सदस्यों ने अपने हलफनामे में उनके खिलाफ आपराधिक मामले लंबित होने की जानकारी दी है। इसके अलावा एआईएमआईएम के दोनों सदस्यों तथा एक एक सांसद वाले दल आईयूडीएफ, एआईएसयूपी, आरएसपी और वीसीआर के सांसद आपराधिक मामलों में घिरे हैं।

केरल और बिहार से सबसे ज्यादा

रिपोर्ट में नवनिर्वाचित सांसदों के आपराधिक रिकॉर्ड के राज्यवार विश्लेषण से पता चलता है कि आपराधिक मामलों में फंसे सर्वाधिक सांसद केरल और बिहार से चुनकर आए हैं। केरल से निर्वाचित 90 फीसदी और बिहार के 82 फीसदी सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं।

सबसे कम यहां से

इस मामले में पश्चिम बंगाल से 55 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश से 56 और महाराष्ट्र से 58 प्रतिशत नवनिर्वाचित सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित है। वहीं, सबसे कम नौ प्रतिशत सांसद छत्तीसगढ़ के और 15 प्रतिशत गुजरात के हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, पिछली तीन लोकसभा में आपराधिक मुकदमों से घिरे सांसदों की संख्या में 44 प्रतिशत इजाफा दर्ज किया गया है। इसके मुताबिक 2009 के लोकसभा चुनाव में आपराधिक मुकदमे वाले 162 सांसद (30 प्रतिशत) चुनकर आए थे, जबकि 2014 के चुनाव में निर्वाचित ऐसे सांसदों की संख्या 185 (34 प्रतिशत) थी।

एडीआर ने नवनिर्वाचित 542 सांसदों में 539 सांसदों के हलफनामों के विश्लेषण के आधार पर बताया कि इनमें से 159 सांसदों (29 प्रतिशत) के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, बलात्कार और अपहरण जैसे गंभीर आपराधिक मामले लंबित हैं।

पिछली लोकसभा में गंभीर आपराधिक मामलों के मुकदमों में घिरे सदस्यों की संख्या 112 (21 प्रतिशत) थी, वहीं 2009 के चुनाव में निर्वाचित ऐसे सांसदों की संख्या 76 (14 प्रतिशत) थी। स्पष्ट है कि पिछले तीन चुनाव में गंभीर आपराधिक मामलों का सामना कर रहे सांसदों की संख्या में 109 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।

नए सांसदों में कांग्रेस के डीन कुरियाकोस सबसे ज्यादा लंबित आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं। केरल के इडुक्की लोकसभा क्षेत्र से चुनकर आए एडवोकेट कुरियाकोस ने अपने हलफलनामे में बताया है कि उनके खिलाफ 204 आपराधिक मामले लंबित हैं। इनमें गैर इरादतन हत्या, लूट, किसी घर में जबरन घुसना और अपराध के लिए किसी को उकसाने जैसे मामले शामिल हैं।

सर्वाधिक सांसद भाजपा के टिकट पर चुन कर आए

आपराधिक मामलों का सामना कर रहे सर्वाधिक सांसद भाजपा के टिकट पर चुन कर आए। रिपोर्ट में भाजपा के 303 में से 301 सांसदों के हलफनामे के विश्लेषण में पाया गया कि साध्वी प्रज्ञा सिंह सहित 116 सांसदों (39 प्रतिशत) के खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं। वहीं, कांग्रेस के 52 में से 29 सांसद (57 प्रतिशत) आपराधिक मामलों में घिरे हैं।

इनके अलावा बसपा के आधे (10 में से पांच), जदयू के 16 में से 13 (81 प्रतिशत), तृणमूल कांग्रेस के 22 में से नौ (41 प्रतिशत) और माकपा के तीन में से दो सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं। इस मामले में बीजद के 12 निर्वाचित सांसदों में सिर्फ एक सदस्य ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले की हलफनामे में घोषणा की है।

17वीं लोकसभा के 88 प्रतिशत सदस्य करोड़पति

इसी प्रकार 17वीं लोकसभा के 88 प्रतिशत सदस्य करोड़पति हैं। भाजपा के 88 प्रतिशत, कांग्रेस के 84 प्रतिशत, द्रमुक के 96 प्रतिशत और तृणमूल कांग्रेस के 91 प्रतिशत करोड़पति उम्मीदवार सांसद बनने में कामयाब रहे। इनके अलावा भाजपा के सहयोगी दल लोजपा और शिवसेना के सभी सांसद करोड़पति हैं। शत प्रतिशत करोड़पति सांसदों वाले दलों में सपा, बसपा, तेदेपा, टीआरएस, आप, एआईएमआईएम और नेशनल कांफ्रेंस भी शामिल हैं।

राज्यों के लिहाज से देखा जाये तो पंजाब, दिल्ली, महाराष्ट्र और हिमाचल प्रदेश सहित 15 राज्यों एवं केन्द्र शासित राज्यों के निर्वाचित सभी सांसद करोड़पति हैं। ओडिशा से सबसे कम (67 प्रतिशत) करोड़पति सांसद चुने गए।

रिपोर्ट के मुताबिक, 17वीं लोकसभा के लिए चुने गए सांसदों की औसत संपत्ति की कुल कीमत 20.93 करोड़ रुपये आंकी गई है। सर्वाधिक धनी सांसद के रूप में कांग्रेस के नकुल नाथ हैं और जी माधवी सबसे कम संपत्ति वाली सांसद हैं।

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा से निर्वाचित कांग्रेस सांसद नकुल नाथ के पास 660 करोड़ रुपये से अधिक कीमत की चल अचल संपत्ति है। जबकि वाईएसआर कांग्रेस के टिकट पर आंध्र प्रदेश की अराकू सीट से निर्वाचित माधवी के पास महज एक लाख रुपये अधिक कीमत की चल अचल संपत्ति है।

17वीं लोकसभा के 24 प्रतिशत सदस्य 12वीं तक पढ़े हैं

17वीं लोकसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों में 24 प्रतिशत (128) सदस्य 12वीं तक पढ़े हैं, जबकि 392 (73 प्रतिशत) सदस्य स्नातक हैं. एक सदस्य ने खुद को महज साक्षर तो एक अन्य ने खुद को निरक्षर बताया है। नए सदस्यों में 194 (36 प्रतिशत) की उम्र 25 से 50 साल है। वहीं 343 (64 प्रतिशत) सदस्य 51 से 80 साल की उम्र के हैं। दो सदस्य 80 साल से अधिक उम्र के हैं।

(एजेंसी इनपुट)

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