Advertisement

हिमाचल में मोदी के भरोसे भाजपा, वीरभद्र कांग्रेस के खेवनहार

हिमाचल प्रदेश की सत्ता पर कब्जे की लड़ाई अब निर्णायक और स्‍प्‍ष्ट हो चुकी है। भाजपा प्रधानमंत्री...
हिमाचल में मोदी के भरोसे भाजपा, वीरभद्र कांग्रेस के खेवनहार

हिमाचल प्रदेश की सत्ता पर कब्जे की लड़ाई अब निर्णायक और स्‍प्‍ष्ट हो चुकी है। भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे को आगे रखकर राज्य की सत्ता में वापसी की रणनीति बना रही है। वहीं, कांग्रेस मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में दोबारा चुनाव जीतने की जुगत में है। दोनों दलों के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा का सवाल है।

राज्य में नौ नवंबर को विधानसभा चुनाव होने हैं। ओपिनियन पोल भाजपा को स्पष्ट बढ़त दिखा रहे हैं। हालांकि वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस एकतरफा दिख रहे मुकाबले को कांटे की टक्कर में तब्दील करने के लिए पूरा जोर लगा रही है।

कांग्रेस अभी तक अपने स्टार प्रचारक भी तय नहीं कर पाई है, दूसरी ओर मोदी खुद भाजपा के प्रचार अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं। इससे यह चुनाव भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के बीच की सीधी लड़ाई बन गया है।

मोदी पहले ही संकेत दे चुके हैं कि प्रचार का मुख्‍य मुद्दा मुख्यमंत्री और उनके परिजनों पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप होंगे। मोदी के अलावा केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अरुण जेटली, नितिन गडकरी, सुषमा स्वराज, जेपी नड्डा, थावरचंद गहलोत, स्मृति ईरानी, उमा भारती, विजय सांपला और वीके सिंह पार्टी के स्टार प्रचारक हैं। स्‍थानीय स्तर पर पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार और प्रेम कुमार धूमल, हमीरपुर के सांसद अनुराग ठाकुर और भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने मोर्चा संभाल रखा है। भाजपा शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, मनोहर लाल खट्टर, योगी आदित्यनाथ और रमन सिंह भी प्रचार करेंगे।

सूत्रों के मुताबिक राज्य के चारों संसदीय क्षेत्र में पार्टी उम्मीदवारों के समर्थन में प्रधानमंत्री रैली करेंगे। प्रदेश का सघन दौरा कर रहे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह खुद उनकी रैलियों की रूपरेखा बना रहे हैं। शिमला में मोदी की रैली का एक कारण शिमला ग्रामीण सीट से मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह का चुनाव लड़ना है। पहले इस सीट का प्रतिनिधित्व खुद वीरभद्र करते थे, जो इस बार अर्की से चुनाव लड़ रहे हैं।

कांग्रेस के मुख्य प्रचारक स्वयं वीरभद्र सिंह हैं। वे पार्टी की चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष भी हैं। प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर सिंह और उनके बीच मनमुटाव भी है। सुखविंदर नादौन से मैदान में हैं। सात अक्टूबर को मंडी में रैली करते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने घोषणा की थी कि यदि कांग्रेस सत्ता में लौटी तो वीरभद्र सिंह ही मुख्यमंत्री होंगे।

विवाद से बचने के लिए भाजपा ने बिना मुख्यमंत्री के चेहरे के चुनाव मैदान में उतरने का फैसला किया है। सुजनपुर से चुनाव लड़ रहे धूमल को पार्टी ने सीएम उम्मीदवार घोषित नहीं करके कर इस पद के लिए दौड़ जारी होने की अटकलों को हवा दे दी है। इस पद के दूसरे प्रमुख दावेदार केंद्रीय स्वास्‍थ्य मंत्री जेपी नड्डा हैं। सुर्खियों से दूर रहने वाले नड्डा खामोशी से चुनाव प्रचार में जुटे हैं।

दिग्गज नेता विद्या स्टोक्स का थियोग से नामांन रद होने से भी कांग्रेस को एक बड़ा झटका लगा है। टिकट नहीं मिलने के कारण पार्टी के कई नेता बागी के रूप में चुनावी मैदान में हैं। इनमें शिमला से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हरीश जनारथा जैसे वीरभद्र के वफादार भी हैं।अंदरूनी लड़ाई से भाजपा भी कम प्रभावित नहीं है। धूमल के खिलाफ शांता कुमार और नड्डा ने एक हो गए हैं और दोनों अपने वफादारों को टिकट दिलाने में भी कामयाब रहे हैं। स्‍थानीय नेताओं की बार-बार मांग के बावजूद पार्टी ने सीएम उम्मीदवार नहीं घोषित कर साफ कर दिया है कि इस बार भाजपा प्रचार अभियान के लिए दो ही नेता मायने रखते हैं और वे हैं मोदी और शाह।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad