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मोदी-राहुल-मायावती-ममता का इस बार लगा ये हैं दांव, जानिए कितना है मजबूत

11 अप्रैल से शुरू हुए लोकसभा चुनाव 2019 का अंतिम चरण 19 मई को खत्म हो जाएगा। लंबे और थकाऊ चुनाव अभियान में...
मोदी-राहुल-मायावती-ममता का इस बार लगा ये हैं दांव, जानिए कितना है मजबूत

11 अप्रैल से शुरू हुए लोकसभा चुनाव 2019 का अंतिम चरण 19 मई को खत्म हो जाएगा। लंबे और थकाऊ चुनाव अभियान में पार्टियों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी, जो चुनाव प्रचार से लेकर गठबंधन की कवायदों तक दिखायी दी। 23 मई को पता चलेगा कि ये कोशिशें क्या रंग दिखाती हैं। फिर भी यह तो तय है कि नेताओं और पार्टियों का बहुत कुछ दांव पर लगा है। इस दांव को खेलने में कौन कितना कामयाब होगा और कैसे? हालांकि 19 मई को होने वाली अंतिम लड़ाई काफी अहम है। 

तो आइए जानते हैं लोकसभा चुनाव में किन राजनीतिक पार्टियों का क्या दांव पर है?

बीजेपी को बचाना होगा अपना गढ़

सत्ता में बने रहने के लिए चुनाव का आखिरी दौर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए बेहद अहम बताया जा रहा है। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह लगातार दावा कर रहे हैं कि देश में एकबार फिर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनने जा रही है। अंतिम चरण के चुनाव से दो दिन पहले उन्होंने फिर कहा कि बीजेपी 300 से ज्यादा सीटें जीतेगी और केंद्र में एनडीए की सरकार बनेगी। अमित शाह ने दावा किया कि  2014 में जिन 120 सीटों पर हमारी पार्टी नहीं जीती थी उनमें से 80 सीटों पर हमारी जीत होगी। इन 80 सीटों पर इस बार हम पूरी मजबूती से लड़े।

वहीं, अगर सिर्फ मौजूदा राजनीतिक समीकरण और पिछले नतीजों की समीक्षा की जाए तो इस बार यूपी में बीजेपी के लिए रास्ते आसान नहीं हैं। पिछले चुनाव में जिन इलाकों में मोदी की लहर चली थी, इस बार बीजेपी की नजर जातिगत समीकरण और यूपी में केंद्र और राज्य सरकार द्वारा किए गए विकास कामों पर भी है।

लोकसभा चुनाव में एसपी-बीएसपी गठबंधन की नजर भी जातिगत समीकरण पर है। बीजेपी को उम्मीद है कि अपर कास्ट के वोट तो उन्हें मिलेंगे ही साथ ही उनकी निगाहें गैर-यादव ओबीसी और गैर जाटव दलित वोटों पर भी है। ये वो इलाका है जहां अति पिछड़ा वर्ग और कई गैर जाटव दलित वोट काफी अहम है। ये दोनों किसी की भी जीत में अहम रोल निभा सकते हैं।

2014 में बिहार, उत्तर प्रदेश और हिमाचल की इन सभी सीटों पर बीजेपी और उसके सहयोगी दलों ने जीत हासिल की थी। चंडीगढ़ की एकमात्र सीट पर भी कमल खिला था। मध्य प्रदेश और झारखंड की सभी सीटें बीजेपी को मिली थीं। पार्टी के सामने अपने इन इलाकों को बचाने के साथ-साथ पश्चिम बंगाल में 9 सीटों पर खाता खोलने की भी चुनौती है। उसने इस बार सबसे अधिक मेहनत इसी राज्य में की है।

राहुल गांधी की लीडरशीप पर दांव

इस लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी की अध्यक्षता पर दांव लगा है। अगर केंद्र में कांग्रेस की दावेदारी मजबूत होती है तो इसका पूरा श्रेय राहुल गांधी को ही जाएगा। इससे पहले राहुल गांधी ने पिछले वर्ष पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में अपने नेतृत्व को प्रदर्शित किया था जो काफी प्रशंसनीय, सराहनीय और अनुकरणीय रहा।

वहीं, चुनाव के अंतिम चरण की बात करें तो इसमें कांग्रेस खासकर मध्य प्रदेश और पंजाब में बेहतर करना चाहेगी। पंजाब में सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुवाई में उसे अधिकतम बढ़त की उम्मीद है। 

एसपी-बीएसपी का गठबंधन

अगर इस बार के लोकसभा चुनाव में एसपी-बीएसपी का गठबंधन बीजेपी को मात दे देने में सफल होता है तो इस गठबंधन को आगे मजबूती मिलेगी यानी गठबंधन के साथ उन्हें लंबी पारी खेलते हुए देखा जा सकता है। वहीं, चुनाव के आखिरी चरण की बात करें तो उत्तर प्रदेश में जिन 13 सीटों पर चुनाव होने हैं, उनमें वाराणसी भी है, जहां से पीएम मोदी खड़े हैं। वाराणसी को छोड़कर बाकी जगह कड़ा मुकाबला माना जा रहा है। पूर्वांचल में महागठबंधन को बेहद उम्मीद है। दरअसल लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण में जिन 13 सीटों पर मतदान होने हैं, उन पर 2014 में एसपी-बीएसपी को 10 जगहों पर बीजेपी से ज्यादा वोट मिले थे। वहीं, इसी चरण में गोरखपुर में वोटिंग है, जहां सबसे पहले महागठबंधन का प्रयोग सफल हुआ था।

अपना घर बचाने में टीएमसी ने नहीं छोड़ी कोई कसर  

पश्चिम बंगाल में चुनाव के हर चरण में बीजेपी और टीएमसी के बीच टकराव की खबरें आईं। अंतिम दौर आते-आते इसकी आंच कोलकाता तक पहुंच गई। बीजेपी ने बंगाल में पैर पसारने के लिए पूरा जोर लगाया और टीएमसी ने भी अपना घर बचाने में कोई कसर नहीं बाकी रखी। पिछले चुनाव में भाजपा को 42 में से केवल दो सीटें मिली थीं। इस बार पार्टी को कई सीटें मिलने की उम्मीद है।

ममता बनर्जी ने 2011 के विधानसभा चुनाव में 34 वर्ष तक राज करने वाले वामपंथी मोर्चे को उखाड़ फेंका था। लगातार चुनाव जीतने के कारण उनकी पार्टी की जड़ें शहरों और ग्रामीण इलाकों में फैली हुई हैं और मजबूत हैं।

आखिरी चरण में वोटिंग पर रहेगी नजर

वोटिंग परसेंटेज पर नजर रहने के दो कारण हैं। चुनाव वाले अधिकतर इलाकों में कुछ दिनों से भीषण गर्मी पड़ रही है। फिर रमजान का महीना भी शुरू हो गया है। 12 मई को छठे चरण में कई मुस्लिम इलाकों में अपेक्षाकृत कम मतदान हुआ था। अब तक का ट्रेंड देखें तो वोटिंग अनियमित ही रही है। पश्चिम बंगाल में मतदान का प्रतिशत बढ़ रहा है, जबकि यूपी, बिहार जैसे राज्यों में अपेक्षाकृत कम हुआ है।

अंतिम चरण में इन सीटों पर मतदान

लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण में यूपी (13 सीट), पंजाब (13 सीट), पश्चिम बंगाल (9 सीट), झारखंड (3 सीट), मध्य प्रदेश (8 सीट), हिमाचल प्रदेश (4 सीट), चंडीगढ़ (1 सीट), बिहार (8 सीट) में मतदान होने हैं।

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