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इंटरव्यू | चांदनी चौक के व्यापारी नोटबंदी-जीएसटी और सीलिंग से परेशान: जेपी अग्रवाल

दिल्ली की चांदनी चौक लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के मौजूदा सांसद और केंद्रीय मंत्री...
इंटरव्यू | चांदनी चौक के व्यापारी नोटबंदी-जीएसटी और सीलिंग से परेशान: जेपी अग्रवाल

दिल्ली की चांदनी चौक लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के मौजूदा सांसद और केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन के सामने कांग्रेस ने यहां से तीन बार सांसद रह चुके जय प्रकाश अग्रवाल (जेपी अग्रवाल) को टिकट दिया है। आम आदमी पार्टी (आप) की तरफ से पंकज गुप्ता मैदान में हैं।

जेपी अग्रवाल कुल चार बार लोकसभा सांसद और एक बार राज्य सभा सांसद रह चुके हैं। 1984, 1989 और 1996 में उन्होंने चांदनी चौक का तीन बार प्रतिनिधित्व किया। 2009 में वह नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली से चुनाव लड़े और भाजपा के बीएल शर्मा को 2,22,243 वोटों के अंतर से हराया। अग्रवाल को 5,18,191 वोट और बीएल शर्मा को 2,95,948 वोट मिले थे। 2014 में एक बार फिर वह नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली से भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और मौजूदा सांसद मनोज तिवारी के सामने उतरे लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा और वह तीसरे स्थान पर रहे। इस चुनाव में मनोज तिवारी ने 5,96,125 वोट के साथ जीत दर्ज की। 'आप' के प्रोफेसर आनंद कुमार 4,52,042 वोट और जेपी अग्रवाल को 2,14,792 वोट मिले थे।

इस बार कांग्रेस ने जेपी अग्रवाल को उनकी पुरानी जमीन चांदनी चौक पर लौटने का फिर से मौका दिया। 2014 में चांदनी चौक से भाजपा के हर्षवर्धन ने जीत दर्ज की थी। 'आप' छोड़ चुके आशुतोष दूसरे स्थान पर और कांग्रेस के कपिल सिबल तीसरे स्थान पर रहे थे। हर्षवर्धन को 4,37,938 वोट, आशुतोष को 3,01,938 वोट और कपिल सिबल को 1,76,206 वोट मिले थे।

जेपी अग्रवाल चांदनी चौक को अपना जन्म स्थान बताते हैं। ‘आउटलुक’ से बातचीत में उन्होंने बताया कि वह हमेशा यहां के लोगों से जुड़े रहे हैं और यह उनका होम ग्राउंड है। चांदनी चौक के लिए जीएसटी, नोटबंदी और सीलिंग को वह बड़ा मुद्दा बताते हैं और कहते हैं कि मौजूदा सांसद हर्षवर्धन ने व्यापारियों के लिए कुछ नहीं किया। जेपी अग्रवाल से बातचीत के प्रमुख अंश:

भाजपा उम्मीदवार हर्षवर्धन ने पिछले दिनों कहा कि यहां ‘आप’ और कांग्रेस दूसरे और तीसरे नंबर के लिए लड़ रहे हैं। इस पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है और आप उन्हें कितनी बड़ी चुनौती मानते हैं?

अगर हर्षवर्धन नंबर वन की बात कर रहे हैं तो वह नॉन परफॉर्मेंस में नंबर वन हैं। उन्होंने कोई काम नहीं किया। वह केंद्रीय मंत्री थे तो कम से कम दो-तीन हजार के प्रोजेक्ट चांदनी चौक में लाते। क्या हमने उन्हें संसद में सुना? क्या उन्होंने कोई लड़ाई लड़ी? क्या पैसा आया? क्या कोई विजन उन्होंने दिया? उनके आने का क्या फायदा हुआ? बुनियादी समस्याओं से वह बेफिक्र रहे। 2009 से 2014 के बीच मैं अपने संसदीय क्षेत्र के लिए 1500 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट ले आया।

चांदनी चौक में 'आप' के उम्मीदवार नये हैं लेकिन पार्टी अपने काम को लेकर लोगों के बीच जा रही है। कांग्रेस का दिल्ली में एक भी सांसद या विधायक नहीं है। कांग्रेस यहां कमजोर है। अपनी खोयी हुई जमीन वापस पाना आपके लिए चुनौती भरा होगा? क्या त्रिकोणीय मुकाबला है?

दोनों उम्मीदवारों में से कोई भी इस लोकसभा क्षेत्र में पैदा नहीं हुआ। मैं यहां पैदा हुआ। दोनों में से किसी का भी इलेक्शन आईकार्ड यहां का नहीं है। त्रिकोणीय मुकाबला क्यों होगा जब ‘आप’ के कैंडिडेट को कोई जानता नहीं और वह दिल्ली से संबंध नहीं रखते। यहां की बुनियादी समस्याएं उन्हें मालूम नहीं हैं। वह सड़क पर निकल जाएं तो कोई उन्हें पहचानेगा भी नहीं। उन्हें (आप) कोई उम्मीदवार नहीं मिला तो इन्हें लाकर खड़ा कर दिया। इन्हें पांच परसेंट से भी कम वोट मिलेंगे और हर्षवर्धन साहब से मुकाबला मैं क्यों मानूं? मैं तब मुकाबला मानता जब वह लोगों के हक में बोलते। संसदीय कार्रवाई में मेरी होम मिनिस्टर के साथ बहस दर्ज है, जब मैंने कहा कि आप फ्रीडम फाइटर की पेंशन बढ़ाएं। रिकॉर्ड में है जब मैंने कहा था कि मैं हाउस फ्लोर पर धरने पर बैठ जाऊंगा, अगर मेरे यहां मेट्रो नहीं आयी। मुकाबला काम का हो रहा है।

कपिल सिबल ने कहा था कि वह अगर चुनाव लड़ेंगे तो चांदनी चौक से ही लड़ेंगे। बाद में पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। खबरें आईं कि इससे वह नाराज हैं?

देखिए, वह हमारे बड़े नेता है और पहली पंक्ति में रहते हैं। मैं उनके बारे में क्या कहूं। यह तो हाईकमान जाने और वह जानें। आपस में क्या तय हुआ, मुझे मालूम नहीं है।

चांदनी चौक में व्यापारी बड़ी संख्या में हैं। यहां के अहम मुद्दे क्या हैं? 

यहां लोग बहुत परेशान हैं। जिस तरह नोटबंदी हुई और जिस तरह जीएसटी लागू हुई, लोग उससे तंग हुए। अब तक पचासों संशोधन जीएसटी में ये लोग कर चुके हैं। सीलिंग अभी तक रुकी नहीं। सवाल यह है कि समस्या आई लेकिन किसी ने उस पर ध्यान नहीं दिया। सातों सांसद तमाशा देखते रहे। लोग सख्त नाराज हैं।

हाल ही में सीबीएसई के 12वीं के नतीजे आए। मनीष सिसोदिया का कहना है कि शिक्षा के क्षेत्र में हमारे काम का असर दिख रहा है।

दिल्लीवालों के लिए 70 मुद्दों को लेकर उन्होंने जो विजन दिया था, उस पर पहले वह बहस कर लें। पहले पांच मुद्दे ले लें। क्या दिल्ली में वाई-फाई फ्री हो गया? क्या सीसीटीवी कैमरे लग गए? क्या डीटीसी बसों में होमगार्ड लग गए? इन्होंने 500 स्कूल बनाने का वादा किया था। क्या बन गए? 200 अस्पतालों का वादा किया था। क्या बन गए? इन्होंने कहा था कि सारे अस्थायी सफाई कर्मचारियों को स्थायी करेंगे। क्यो वो हो गया? ये लोग झूठ पर झूठ बोलते चले जा रहे हैं।

चांदनी चौक में मुस्लिम मतदाता काफी हैं। वोट के गणित के लिए ‘आप’ ने कांग्रेस से गठबंधन की कोशश भी की। क्या कांग्रेस को वोट का बंटवारा होने का डर है?

कांग्रेस ने गठबंधन में कोई रुचि नहीं दिखाई। किसी तरह के वोटों का बंटवारा नहीं होगा। कांग्रेस स्पष्ट रूप से जीत रही है।

आप लंबे समय बाद चांदनी चौक से चुनाव लड़ रहे हैं। मतदाताओं से दोबारा जुड़ने में मुश्किल हो रही है?

मैं 6 लोकसभा चुनाव यहां से लड़ चुका हूं। लोग मुझे अच्छी तरह जानते हैं। यह मेरा होम ग्राउंड है। किसी तरह का डिसकनेक्ट नहीं है। मैं पदयात्राएं कर रहा हूं और लोगों से खूब मिल रहा हूं। 

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