मौजूदा लोकसभा चुनाव में केरल में सबरीमला मामला भारी उलटफेट का फैक्टर बनता दिख रहा है। वहां कांग्रेस के नेतृत्व वाले युनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंड (यूडीएफ) को शानदार सफलता मिलती दिख रही है। जबकि सत्तारूढ़ लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट के खाते में सिर्फ एक सीट गई है। पिछले लोकसभा चुनाव में उसने आठ सीटों पर जीत दर्ज की थी।
वामपंथियों से हिंदू मतदाता नाराज
केरल के राजनीतिक परिदृश्य में मुस्लिम वोटर आमतौर पर कांग्रेस के साथ रहता है। जबकि हिंदू वोटर वामपंथी दलों को पसंद करता है। लेकिन सबरीमला मामले में राज्य सरकार के रवैये से हिंदू मतदाता नाराज हो गया। इसके चलते उन्होंने वामपंथियों को वोट नहीं दिया। भाजपा ने सबरीमला मामले का तुरंत फायदा उठाया। उन्होंने हिंदुओं का समर्थन करके अपनी ओर लाने की भरसक कोशिश की। इसी का नतीजा है कि चुनाव में हिंदू मतदाता वामपंथी दलों से छिटक गया। हिंदुओं का वोट भाजपा और कांग्रेस के बीच बंटने का अनुमान है। जानकारों का कहना है कि कांग्रेस का वोट न सिर्फ मुस्लिम वोट बढ़ा बल्कि उसने हिंदुओं मतदाताओं को आकर्षित किया। इसी वजह से उसके प्रत्याशियों को भारी सफलता मिल रही है। राहुल गांधी के वायनाड से खड़े होने से भी कांग्रेस के पक्ष में माहौल बना।
यूडीएफ की झोली में 19 सीटें, राहुल बड़ी जीत की राह पर
राज्य की 20 लोकसभा सीटों में से 19 में यूडीएफ के उम्मीदवारों को सफलता मिलती दिख रही है। इन सीटों पर या तो उनके उम्मीदवार जीत चुके हैं या खासी बढ़त पार चुके हैं। केरल की ही वायनाड सीट से कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी 431,770 वोटों से आगे चल रहे हैं। दूसरी ओर राज्य में सत्तारूढ़ वामपंथी दलों के गठबंधन लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) को भारी नुकसान हो रहा है। सिर्फ एक सीट पर उसका उम्मीदवार जीत दर्ज कर पाया।
शशि थरूर तीन लाख से ज्यादा मतों से जीते
केरल में कांग्रेस खुद के दम पर ही 15 सीटें जीत गई। त्रिवेंद्रम में कांग्रेस के उम्मीदवार 3,34,415 वोट पाकर जीत गए। इसके अलावा उसके प्रत्याशियों ने 14 सीटों पर जीत हासिल की। यूडीएफ के घटक दल इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के प्रत्याशी दो सीटों पर और केरल कांग्रेस (एम) का प्रत्याशी एक सीट पर जीता। दूसरी ओर, राज्य में सत्तासीन मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) के नेतृत्व वाले लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट के अधिकांश उम्मीदवार पिछड़ गई। सीपीएम के सभी उम्मीदवार पिछड़ गए। जबकि उसके फ्रंट के घटक दल रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) का उम्मीदवार सिर्फ एक अलप्पुझा सीट पर आगे चल रहा है।
भाजपा का खाता नहीं खुला, फिर भी खुश
सबरीमाला मामले से राज्य में खासी सक्रिय रही भाजपा इस बार दो-तीन न सही तो कम से कम एक सीट की जीत के साथ राज्य में खाता खुलने की उम्मीद कर रही थी। लेकिन उसके किसी भी प्रत्याशी के जीतने की उम्मीद नहीं है। इसके बावजूद वह निराश नहीं है क्योंकि उसने कुछ सीटों पर जोरदार टक्कर दी है और आगामी चुनावों में जीत की उम्मीद कर सकती है। त्रिवेंद्रम में भाजपा प्रत्याशी कुमानेम राजशेखरन दूसरे स्थान पर रहे। यहां कांग्रेस के प्रत्याशी शशि थरूर ने उन्हें 16,0000 वोटों से हरा दिया। पाथनमथित्ता लोकसभा सीट, जिस क्षेत्र में सबरीमाला मंदिर आता है, में भाजपा उम्मीद के. सुरेंद्रन कुछ समय आगे रहने के बाद पिछड़ गए।
धार्मिक आधार पर मतदाता बंटेः मंत्री
राज्य की पिनयारी विजयन सरकार में दूसरे नंबर के वरिष्ठ मंत्री और सीपीआइ-एम के नेता ई. पी. जयराजन ने कहा कि केरल में धार्मिक आधार पर मतदाता बंट गया जिससे कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ को फायदा हुआ। उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए धक्का है, हम देखेंगे कि क्या हआ। लेकिन यह राज्य सरकार के खिलाफ नतीजा नहीं है। राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस ने सफाया किया है। 2014 से चुनाव में सीपीआइ-एम का गठबंधन आठ सीटें जीतने में सफल रहा था।
वायनाड में राहुल के आने से मिला फायदा
केरल में दो बार मुख्यमंत्री रहे कांग्रेस नेता ओमन चांडी ने अपनी पार्टी के प्रदर्शन पर कहा कि हमें सभी वर्गों के मतदाताओं का समर्थन मिला। उन्होंने कहा कि यह नतीजा केरल सरकार के खिलाफ भी जनादेश है। वायनाड से राहुल गांधी के चुनाव लड़ने से भी कांग्रेस को काफी फायदा मिला।