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एक्सक्लूसिव | यूपी में भाजपा को दस से ज्यादा सीटें नहीं मिलेंगी: राहुल गांधी

राहुल गांधी की रूबेन बनर्जी, भावना विज-अरोड़ा से विशेष बातचीत कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आउटलुक...
एक्सक्लूसिव | यूपी में भाजपा को दस से ज्यादा सीटें नहीं मिलेंगी: राहुल गांधी

राहुल गांधी की रूबेन बनर्जी, भावना विज-अरोड़ा से विशेष बातचीत

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आउटलुक को दिए विशेष इंटरव्यू में दावा किया है कि उनकी पार्टी दिल्ली में चार लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज करेगी। जब उनसे पूछा गया कि अगर उत्तर प्रदेश और दिल्ली में गठबंधन हो जाता तो कांग्रेस की बेहतर स्थिति में होती, इस पर राहुल गांधी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में औपचारिक गठबंधन के बिना भी उन्होंने अपनी बहन कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया से कहा है कि जिन सीटों पर वे मुकाबले हैं, वहां जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक दें।

गांधी ने कहा कि जिन सीटों पर हमें लगता है कि हम टक्कर में नहीं है, वहां हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि भाजपा हारे। उत्तर प्रदेश में विपक्ष की ऊर्जा संगठित है। आपको चुनाव नतीजों में यह दिखाई देगा। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में भाजपा दस से ज्यादा सीटें नहीं जीतेगी। हमें इसकी पूरी उम्मीद है।

आप के साथ गठबंधन पर

दिल्ली के बारे में राहुल ने कहा कि कांग्रेस दिल्ली में आम आदमी पार्टी के साथ मिलकर भाजपा को टक्कर देने के पक्ष में थी लेकिन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल संयुक्त मोर्चा बनाने में विफल रहे।

2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस दिल्ली की सभी सीटों पर बुरी तरह हार गई थी। वह सभी सीटों पर आप के बाद तीसरे स्थान पर रही। उसके और आप उम्मीदवारों के बीच वोटों का अंतर भी काफी ज्यादा था। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर कांग्रेस-आप में समझौता हो जाता तो वे दिल्ली में सभी सीटों पर जीत दर्ज कर सकते थे।

गांधी ने कहा कि समूची कांग्रेस इकाई आप के साथ हाथ मिलाने के खिलाफ थी। विपक्ष और केजरीवाल के साथ एक बैठक हुई थी। केजरीवाल ने उनसे अनुरोध किया कि दिल्ली में गठबंधन किया जाना चाहिए।

राहुल ने बताया कि उन्होंने चार सीटें आप को देने का प्रस्ताव किया। तीन सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ती। हालांकि शुरू में विचार था कि एक स्वतंत्र उम्मीदवार को समर्थन दिया जाए और कांग्रेस-आप तीन-तीन सीटों पर चुनाव लड़ें। हमने अपने पार्टी के लोगों से बात की और उनसे कहा कि दिल्ली में आप के साथ मिलकर चुनाव लड़ें। लेकिन केजरीवाल ने अपना रुख बदल लिया और वे हरियाणा और पंजाब को भी गठबंधन के बीच में ले आए। उन्होंने कहा कि सच्चाई सबके सामने है। वास्तव में वह दिल्ली में गठबंधन चाहते ही नहीं थे। वह कांग्रेस पर सवारी करके राष्ट्रीय स्तर पर अपनी मौजूदगी बनाने का प्रयास कर रहे थे।

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