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छत्तीसगढ़ में भाजपा ने दिया कांग्रेस को वाकओवर?

लगता है छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को वाकओवर दे दिया है। भाजपा ने...
छत्तीसगढ़ में भाजपा ने दिया कांग्रेस को वाकओवर?

लगता है छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को वाकओवर दे दिया है। भाजपा ने ऐसे लोगों को लोकसभा का प्रत्याशी बना दिया है, जिन्हें पार्टी ने विधानसभा में टिकट के लायक भी नहीं समझा था। वहीं कुछ ऐसे प्रत्याशी भी हैं, जिनका नाम लोग पहली बार सुन रहे हैं। भाजपा ने रायपुर सीट पूर्व महापौर पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष सुनील सोनी को प्रत्याशी बनाया है। सात बार के सांसद रमेश बैस का टिकट काटकर सुनील सोनी पर भाजपा ने दांव लगाया है। सुनील सोनी ने विधानसभा चुनाव 2018 में रायपुर उत्तर सीट से दावेदारी की थी, लेकिन उन्हें प्रत्याशी नहीं बनाया गया था। सोनी करीब एक दशक पहले रायपुर के महापौर थे, उनका मुकाबला लोकसभा में कांग्रेस प्रत्याशी प्रमोद दुबे से होगा, जो अभी रायपुर के महापौर हैं। सुनील सोनी को ओबीसी के नाते टिकट दिया गया है।

महासमुंद से खल्लारी के पूर्व विधायक चुन्नीलाल साहू को प्रत्याशी बनाया गया है। इनका मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी धनेन्द्र साहू से होगा, जो अभी रायपुर जिले के अभनपुर से विधायक हैं। चुन्नीलाल साहू 2013 में पहली बार विधायक बने। 2018 में पार्टी ने उन्हें दुबारा उम्मीदवार नहीं बनाया। अब दो बार के सांसद चन्दूलाल साहू की जगह उन्हें नए चेहरे के तौर पर लोकसभा की लड़ाई में उतारा है।

ज्योतिनंद को कोरबा से भाजपा उम्मीदवार बनाए जाने पर विरोध

कोरबा से ज्योतिनंद दुबे को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है। वे कोरबा के सांसद डॉ. बंशीलाल महतो के प्रतिनिधि थे। भाजपा ने डॉ. बंशीलाल महतो का टिकट काटकर उन्हें चुनाव लड़ने का फैसला किया। पूर्व में खाद्य आयोग के अध्यक्ष थे। ज्योतिनंद दुबे ने 2018 में कटघोरा से विधायक की टिकट मांगी थी, लेकिन नहीं मिली। ज्योतिनंद दुबे को कोरबा से भाजपा उम्मीदवार बनाए जाने का पूर्व विधायक लखनलाल देवांगन ने विरोध शुरू कर दिया है। कोरबा से कांग्रेस ने अभी तक प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। यहां से विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरण दस महंत की पत्नी ज्योत्सना महंत प्रबल दावेदार हैं।  

दुर्ग लोकसभा से पूर्व विधायक विजय बघेल को उम्मीदवार बनाया है। पाटन से विधायक रहे विजय बघेल ने वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को 2008 में पराजित किया था। पूर्व में भिलाई 3 चरौदा के नगर पंचायत अध्यक्ष रहे। 2013 में विधानसभा चुनाव हार गए थे। 2018 में पार्टी ने प्रत्याशी नहीं बनाया था। वर्तमान में भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य हैं। जातिगत समीकरण के आधार पर विजय बघेल भाजपा के सबसे मुफीद प्रत्याशी हैं। कांग्रेस ने अभी यहां के लिए प्रत्याशी घोषित नहीं किया है, लेकिन प्रतिमा चंद्राकर को लड़ाए जाने की संभावना है। ऐसे में दोनों पार्टी के उम्मीदवार कुर्मी जाति के होंगे।

बिलासपुर से अरुण साव चुनावी मैदान में

बिलासपुर लोकसभा से इस बार पार्टी ने अरुण साव को चुनाव मैदान में उतारा है। कांग्रेस के अटल श्रीवास्तव बनाम अरुण साव का मुकाबला जातिगत समीकरण के मुताबिक काफी रोमांचक हो सकता है। दोनों ही पहली बार चुनाव लड़ेंगे। पेशे से अधिवक्ता अरुण साव अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रदेश मंत्री का दायित्व निभा चुके हैं। भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश महामंत्री रह चुके हैं। पार्टी ने लखनलाल साहू की जगह अरुण साव को चुनाव मैदान में उतारा है। बिलासपुर में साहू जाति के वोटर काफी हैं, इसके बाद सतनामी वोटरों की संख्या ज्यादा है।  

बेहद सधे हुए नेता माने जाते हैं संतोष पांडेय

राजनांदगांव सीट पर इस बार भाजपा ने संतोष पांडेय को उम्मीदवार बनाया है। भाजपा के प्रदेश महामंत्री संतोष पांडेय को बेहद सधा हुआ नेता माना जाता है। पार्टी ने इस बार पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के पुत्र अभिषेक सिंह के स्थान पर संतोष पांडेय को चुनाव मैदान में उतारा है। इस सीट से डॉ रमन सिंह को लड़ने की चर्चा थी। रमन सिंह यहां से सांसद रह चुके हैं। अचानक पार्टी ने संतोष पांडेय को उम्मीदवार बनाकर सबको चौंका दिया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े संतोष पार्टी के विभिन्न पदों का दायित्व निभा चुके हैं। राज्य युवा आयोग के अध्यक्ष भी रहे हैं। पंडरिया विधानसभा से चुनाव भी लड़ चुके हैं। युवा मोर्चा के विभिन्न दायित्वों में रह चुके हैं। उन्हें संगठन का तेज तर्रार रणनीतिकार माना जाता है। संतोष पांडेय का मुकाबला कांग्रेस के भोलाराम साहू से होगा, जो खुज्जी के पूर्व विधायक हैं। कांग्रेस ने 2018  में भोलाराम को टिकट नहीं दिया था। 

कमलभान सिंह का टिकट काटकर रेणुका सिंह को बनाया प्रत्याशी

भाजपा ने सरगुजा से पूर्व मंत्री रेणुका सिंह को प्रत्याशी बनाया है। रेणुका सिंह का मुकाबला प्रेमनगर के विधायक खेलसाय सिंह से होगा। खेलसाय सिंह ने 2013 में रेणुका सिंह को विधानसभा में हराया था। भाजपा ने 2018 में रेणुका सिंह को उम्मीदवार नहीं बनाया। खेलसाय सिंह पहले भी सांसद रह चुके हैं, लेकिन 2004 में उन्हें भाजपा के नंद कुमार साय ने हरा दिया था। तब से यहां लगातार भाजपा जीत दर्ज कर रही है, सांसद कमलभान सिंह का टिकट काटकर रेणुका सिंह को प्रत्याशी बनाया गया  है। सरगुजा में गोंड आदिवासियों की संख्या ज्यादा है। दोनों उम्मीदवार इसी समाज से हैं। 

गुहाराम अजगले का मुकाबला कांग्रेस के रवि भारद्वाज से

राज्य के एक मात्र एससी सीट जांजगीर से भाजपा ने अपने पूर्व सांसद गुहाराम अजगले को प्रत्याशी बनाया है। गुहाराम अजगले सारंगढ़ से सांसद थे, परिसीमन के बाद यह सीट जांजगीर हो गई, उसके बाद पार्टी ने कमला पाटले को टिकट दे दिया। गुहाराम अजगले सारंगढ़ क्षेत्र के रहने वाले हैं, उन्हें बाहरी प्रत्याशी बताया जा रहा है। गुहाराम अजगले का मुकाबला कांग्रेस के रवि भारद्वाज से होगा, जिनके पिता स्व. परशराम भारद्वाज को उन्होंने हराया था। रवि भारद्वाज को लेकर भी कांग्रेस में कुछ लोग खफा हैं।

बस्तर से पूर्व विधायक बैदूराम कश्यप

बस्तर लोकसभा में भाजपा ने पूर्व विधायक बैदूराम कश्यप को उम्मीदवार बनाया है। उनका मुकाबला चित्रकोट के विधायक दीपक बैज से होगा। 2013 में दीपक बैज ने इसी विधानसभा से बैदूराम कश्यप को हराया था। 2018 में पार्टी ने बैदूराम कश्यप को प्रत्याशी नहीं बनाया था। अब लोकसभा लड़ा रही है। बैदूराम कश्यप अभी बस्तर जिला भाजपा अध्यक्ष हैं। कांकेर लोकसभा से भाजपा ने नए चेहरे के रूप में मोहन मंडावी को मैदान में उतारा है। बैदूराम कश्यप को सांसद दिनेश कश्यप का टिकट काटकर प्रत्याशी बनाया गया है। दिनेश कश्यप भाजपा के दिग्गज आदिवासी नेता स्व.बलीराम कश्यप के बेटे हैं। मोहन मंडावी अभी तक राज्य लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष थे। पहली बार चुनाव लड़ेंगे। यहाँ कांग्रेस के  बीरेश ठाकुर से उनका मुकाबला होगा। ये भी पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। दोनों ही दलों के प्रत्याशी के परिवार के सदस्य पहले विधायक रह चुके हैं।

केंद्रीय राज्य मंत्री विष्णुदेव साय का टिकट कटा

भाजपा ने रायगढ़ सीट से केंद्रीय राज्य मंत्री विष्णुदेव साय का टिकट काटकर जशपुर जिला पंचायत की अध्यक्ष गोमती साय को उम्मीदवार बनाया है। यहां धरमजयगढ़ से कांग्रेस के विधायक लालजीत सिंह राठिया से उनका मुकाबला होगा।

लोकसभा में कोई चर्चित चेहरे मैदान में नहीं

भाजपा ने इस बार लोकसभा में ‌किसी चर्चित चेहरे को मैदान में नहीं उतारा है। सेकेण्ड या थर्ड लाइन के नेताओं को लोकसभा में झोंक दिया है, कुछ को तो विधानसभा चुनाव लड़ने का भी अनुभव नहीं है। इस कारण भाजपा को यहां मुकाबले में कमजोर माना जाने लगा है। 2014 के लोकसभा में भाजपा को यहां की 11 में से 10 सीटें मिली थीं। उसके पहले के दो चुनावों में भी से 10 -10  सीटें मिली थीं।

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