लेकिन शुरू में जिस तरह खींचतान चली उसमें ऐसा आभास दिया गया जैसे महबूबा मुफ्ती की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात भाजपा के राज्य प्रभारी राम माधव के बिना हुई है। सूत्रों द्वारा यह भी बताया गया कि इस गतिरोध को तोडऩे के लिए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने खुद दखल देकर इस बैठक को अंजाम तक पहुंचाया था। इससे राम माधव नाराज भी बताए गए लेकिन इस पूरे प्रकरण में महबूबा मुफ्ती लाइन पर आ गईं और मामला सुलट गया। अब मंत्री पद बंटवारे में कमान वापस राम माधव के पास पहुंच गई। चित भी मेरी पट भी मेरी की तर्ज पर।
चित भी मेरी पट भी मेरी
जम्मू-कश्मीर में सरकार बनने और बीच में अटकने की अंतर्कथा भी कम दिलचस्प नहीं है। अब मामला जरूर भाजपा और पीडीपी के बीच मंत्री पद के बंटवारे पर जा पहुंचा है।

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