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केंद्र की 'आयुष्मान भारत योजना' का विरोध क्यों कर रहे हैं पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और ओडिशा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्सर हेल्थ सेक्टर से जुड़ी अपनी महत्वाकांक्षी ‘आयुष्मान योजना’ को...
केंद्र की 'आयुष्मान भारत योजना' का विरोध क्यों कर रहे हैं पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और ओडिशा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्सर हेल्थ सेक्टर से जुड़ी अपनी महत्वाकांक्षी ‘आयुष्मान योजना’ को लागू न करने को लेकर कई राज्य सरकारों पर निशाना साधते रहते हैं। इनमें पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और ओडिशा की सरकारें शामिल हैं। 10 जनवरी को पश्चिम बंगाल सरकार ने केंद्र को पत्र लिखकर इस योजना से खुद को अलग कर लिया है। रिपोर्ट है कि कर्नाटक सरकार भी ऐसा कर सकती है।

लेकिन सवाल है कि तीनों राज्य इस योजना से दूरी क्यों बना रहे हैं?

पश्चिम बंगाल

केंद्र की इस महत्वाकांक्षी योजना का पूरा नाम आयुष्मान भारत- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) है। असल में विवाद इस योजना की ब्रांडिंग को लेकर है। इसके लाभार्थियों को जो पत्र भेजे जाते हैं, उनमें प्रधानमंत्री मोदी की फोटो होती है। पश्चिम बंगाल सरकार का कहना है कि योजना में केंद्र और राज्य की 60:40 हिस्सेदारी है। ऐसे में राज्य को भी पत्रों में जगह मिलनी चाहिए। इसके अलावा योजना के आगे जुड़े ‘प्रधानमंत्री’ शब्द पर भी राज्य को आपत्ति है। 10 जनवरी को केंद्र को भेजे गए पत्र में ममता सरकार की तरफ से कहा गया कि योजना को सिर्फ ‘जन आरोग्य योजना’ कहा जाए।

इसके अलावा दूसरे भी कारण हैं। 2016 में पश्चिम बंगाल सरकार ने 'स्वास्थ्यसाथी' योजना लॉन्च की थी, जो एक परिवार को सालाना 5 लाख रुपए तक का हेल्थ कवर देती है, जो आयुष्मान भारत के बराबर ही है। केंद्र की योजना के तहत पश्चिम बंगाल में एक करोड़ लोगों का रजिस्ट्रेशन किया गया है जबकि राज्य की योजना के तहत 40 लाख लोग पहले से लाभ पा रहे हैं। राज्य के लिए केंद्र ने 176.56 करोड़ रुपए रिलीज किए हैं।

ओडिशा

केंद्र सरकार ने सितंबर 2018 में जब योजना लॉन्च की थी, उससे 40 दिन पहले ओडिशा की नवीन पटनायक सरकार ने बीजू स्वास्थ्य कल्याण योजना (बीएसकेवाई) लॉन्च की थी। यह योजना लाभ लेने वाले परिवार को 5 लाख रुपए तक का इंश्योरेंस और परिवार की महिला सदस्यों को 7 लाख रुपए इलाज के लिए देती है। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की तरफ से लाभार्थियों को दिए जाने वाले पत्र में राज्य की दूसरी योजनाओं निर्मया (मुफ्त दवा), निदान (मुफ्त डायग्नोसिस) और सहाय (कीमोथेरेपी, डायलिसिस) का भी जिक्र होता है।

तेलंगाना

इसी तरह तेलंगाना को भी योजना से समस्या है। कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के साथ हैदराबाद में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक हो सकती है। तेलंगाना में अविभाजित आंध्र प्रदेश के समय से 'आरोग्यश्री' नाम की योजना चल रही है। यह गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले परिवारों को गंभीर बीमारी के इलाज के लिए सालाना 2 लाख रुपए तक की आर्थिक मदद देती है। 2017-18 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, योजना के तहत 77.19 लाख लाभार्थी कार्ड रजिस्टर्ड हैं।

इन राज्यों के अलावा दिल्ली सरकार को योजना के नाम से समस्या है।

क्या है आयुष्मान भारत योजना?

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 25 सितंबर 2018 को 'आयुष्मान भारत- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना' की शुरुआत की थी। पीएम मोदी कई रैलियों में इसे ‘मोदी केयर’ भी बताते हैं। इसे दुनिया की सबसे बड़ी हेल्थ केयर योजना कहा जा रहा है। इस योजना के माध्यम से 10 करोड़ से ज्यादा परिवारों के लगभग 50 करोड़ लोगों को मुफ्त इलाज मिलने की व्यवस्था है।

आयुष्मान भारत योजना का लक्ष्य खासकर निम्न और मध्यम वर्ग के परिवारों को महंगे मेडिकल बिल से निजात दिलाना है। इस योजना के दायरे में गरीब, वंचित ग्रामीण परिवार और शहरी श्रमिकों की पेशेवर श्रेणियों को रखा गया है। नवीनतम सामाजिक आर्थिक जातीय जनगणना (एसईसीसी) के हिसाब से गांवों के ऐसे 8.03 करोड़ और शहरों के 2.33 परिवारों को शामिल किया गया है। सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत प्रत्येक परिवार को सालाना पांच लाख रुपये की हेल्थ कवरेज दी जाएगी और वे सरकारी या निजी अस्पताल में कैशलेस इलाज करा सकेंगे।

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