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राजनीति के फूस में गैंगरेप की चिंगारी

उत्तर प्रदेश की राजनीति का यही चरित्र है। एक ज़माने से यहां राजनीतिक उठापटक नकारात्मक मुद्दों पर ही होती आ रही है। दल कोई भी हो, मौक़ा कोई नहीं चूकता। बुलंदशहर में मां-बेटी के साथी हुआ सामूहिक दुष्कर्म भी अब इसी श्रेणी में आ खड़ा हुआ है।
राजनीति के फूस में गैंगरेप की चिंगारी

विपक्षी दल भाजपा, बसपा और कांग्रेस इसे हर क़ीमत पर भुनाने में लगे हैं तो उधर सत्तारूढ़ दल सपा के नेता मानवीय संवेदनाओं की भी परवाह नहीं कर रहे और अपनी ख़ामियों को छुपाने की गरज से पूरे मामले को ही राजनीतिक षड्यंत्र बता रहे हैं। इस मामले में भाजपा सब को पीछे छोड़ने की जल्दी में बलात्कार संबंधी सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों की भी परवाह नहीं कर रही। मंगलवार को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और मंत्रियों का एक अमला दलबल के साथ पीड़ितों के घर दुःख व्यक्त करने के बहाने पहुंच गया। यही नहीं पीड़ितों के घर के बाहर उन्होंने बक़ायदा प्रेस कांफ़्रेंस ही कर डाली।

बुलंदशहर गैंगरेप ने प्रदेश की राजनीति में भूचाल ला दिया है। आसन्न विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र लखनऊ से दिल्ली तक इस मामले में तूफान मचा हुआ है। बसपा सुप्रीमो मायावती कह रही हैं कि प्रदेश में जंगल राज है। बक़ौल उनके मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से प्रदेश नहीं संभल रहा अतः उन्हें इस्तीफ़ा दे देना चाहिए। कांग्रेस भी प्रदेश सरकार भंग करने की मांग कर रही है। भाजपा ने तो मामले की सीबीआई जांच की मांग ही कर डाली है। यह मामला संसद में स्वयं सत्तारूढ़ दल भाजपा की शह पर उठा । मंगलवार को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य, तीन केंद्रीय मंत्री, महेश शर्मा, डॉक्टर संजीव बालियन व कृष्णा राज समेत पार्टी का एक दल ख़ोड़ा स्थित पीड़ितों के घर जा पहुंचा। उनके आगमन की सूचना बक़ायदा मीडिया को भी दी थी और तमाम समाचार पत्रों के संवाददाता मौक़े पर पहुंच भी गए। मौर्य ने पीड़ित परिवार के घर के बाहर प्रेस कांफ़्रेंस भी की। बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के अनुरूप बलात्कार पीडिता की पहचान जाहिर नहीं की जा सकती। अदालत ने इसे दंडनीय अपराध की श्रेणी में रखा है। भाजपा नेताओं के इस कृत्य से पीड़ितों की पहचान अब छुपना असंभव होगा। हालांकि मौर्य ने दावा किया कि वे संवेदना व्यक्त करने आए हैं और वे पीड़ित परिवार के सदस्यों से अकेले में मिले मगर उनकी इस सफाई से पीड़ितों की पहचान अब छुप नहीं सकती। यूं भी पार्टी ने सोशल मीडिया पर पीड़ित के घर के बाहर खड़े होकर खिंचवाई तस्वीरें जारी की हैं। सूत्रों का दावा है कि राहुल गांधी भी शीघ्र पीड़ित परिवार से मिलने आ सकते हैं ।

उधर, इसी मामले में विवादित बयान देने वाले प्रदेश के शहरी विकास मंत्री आज़म खान बेशक अब अपने बयान से पलट गए हैं मगर पार्टी के कार्यकर्ताओं को लाइन तो उन्होंने दे ही दी है। यही कारण है कि पीड़ितों के दुःख को महसूस करने की बजाय पार्टी कार्यकर्ता अब खान की तरह मामले को राजनीतिक षड्यंत्र बताने में जुट गए हैं। पार्टी के एक राज्य मंत्री राकेश यादव ने भी पीड़ितों से मिल कर यही दावा किया। इस मुद्दे पर राजनीति का आलम यह है कि अब ख़ोड़ा में राजनीतिक दलों ने विरोध कैंडल मार्च और रैलियां भी शुरू कर दी हैं। इसकी पहल भी भाजपा की ओर से हुई।

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