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सोनिया चाहती हैं चुनाव में मोदी पर न हों निजी हमले, मुख्यमंत्रियों पर साधा जाए निशाना

चुनाव आयोग ने शनिवार को महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव और 18 राज्यों की 64 विधानसभा सीटों पर...
सोनिया चाहती हैं चुनाव में मोदी पर न हों निजी हमले, मुख्यमंत्रियों पर साधा जाए निशाना

चुनाव आयोग ने शनिवार को महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव और 18 राज्यों की 64 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की घोषणा की है। सभी चुनाव 21 अक्टूबर को एक साथ होंगे और मतगणना 24 अक्टूबर को होगी। झारखंड में चुनावों की तारीख अभी घोषित नहीं की गई है। नवंबर-दिसंबर में यहां चुनाव होने की उम्मीद है। बीते लोकसभा चुनावों के बाद विधानसभा चुनाव और उपचुनाव पहली बड़ी चुनावी कवायद है। कांग्रेस के पास इन चुनावों में भाजपा को रोकने का मौका है, जिसने इस साल मई में कांग्रेस को बुरा तरह हरा दिया था। अंतरिम कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के लिए आगे यही एक कार्य है और अब उन्हें पार्टी को नया आयाम देना होगा। उन्हें पार्टी नेताओं के पलायन को रोकना होगा और पुराने सहयोगियों के साथ नए को भी जोड़ना पड़ेगा। इसके अलावा कांग्रेस को अपनी जड़ता से बाहर आना होगा।

सोनिया की वापसी

लोकसभा चुनाव के नतीजों से हैरान ज्यादातर कांग्रेसियों ने पिछले चार महीनों में राहुल गांधी के पार्टी अध्यक्ष बने रहने की दलील दी। 10 अगस्त को पार्टी ने आगे बढ़ने की उम्मीद में पीछे जाने का फैसला किया, जिसके बाद 72 वर्षीय बीमार चल रहीं सोनिया गांधी वापस आईं और अंतरिम अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला। इस बीच कई कांग्रेस नेताओं ने पार्टी में अपने राजनीतिक भविष्य की अनिश्चितता को देखते हुए व्यावहारिक कदम उठाया और भाजपा के साथ चले गए।

मोदी-शाह ने तीन महीनों में तेजी से लिए फैसले

जब कांग्रेस चुनावों में अपनी हार के दबाव से ही जूझ रही थी तो भाजपा ने एक तुलनात्मक अध्ययन पेश कर दिया। आसानी से स्पष्ट जनादेश मिलने के बावजूद नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने आराम नहीं किया और अपने चुनावी वादों को पूरा करने में तेजी दिखाई। मोदी सरकार ने तीन महीनों के अंदर ही भाजपा का मतदाता आधार बढ़ाने वाले तीन तलाक कानून और अनुच्छेद 370 को हटाने जैसे फैसले लिए। महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, मनोहर लाल खट्टर और रघुबर दास ने अपनी सरकार को मोदी-शाह की जोड़ी के सिपाहियों के रूप में पेश करते हुए यात्राओं की शुरुआत की।

सोनिया की रणनीति, मोदी पर निजी हमले नहीं

बेशक चुनावों में भाजपा और उसके सहयोगी दलों का भाग्य साथ दे रहा हो, बावजूद इसके सोनिया के साथ कांग्रेस एक नई चुनावी रणनीति का प्रयास कर सकती है। कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर राहुल गांधी के 18 महीने के कार्यकाल में लिए गए फैसले कारगर नहीं हुए। 12 सितंबर को जब सोनिया गांधी पार्टी के शीर्ष और राज्य के नेताओं की बैठक बुलाई तो उन्हें वहीं निराशा देखने को मिली जो कभी कांग्रेस में 1996 से 2004 के बीच देखने को मिली थी। सोनिया ने पार्टी के नेताओं से बिना किसी डर के गांवों, कस्बों और शहरों में लड़ने के लिए सड़कों पर उतरने का आग्रह किया। उन्होंने माना कि पार्टी में और ढीलापन है और लोगों से जुड़े मुद्दों पर एक ठोस आंदोलन की जरूरत है। सोनिया का मानना है कि आगामी महाराष्ट्र और हरियाणा चुनाव में पीएम मोदी पर निजी हमले ना किए जाएं बल्कि राज्य के मुख्यमंत्रियों पर निशाना साधा जाए। सोनिया ने स्वीकार किया कि चुनावी राज्यों में हम अपनी खोई स्थिति को तभी हासिल करेंगे जब हम पार्टी के हितों को ध्यान में रखें।

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