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एनआइए को पुलिस जैसे अधिकार मिले, मानव तस्करी से लेकर साइबर आतंकवाद की भी करेगी जांच

लोकसभा में सोमवार को नेशनल इनवेस्टिगेटिव एजेंसी (एनआईए) संशोधन विधेयक पास हो गया है। इस विधेयक के पास...
एनआइए को पुलिस जैसे अधिकार मिले, मानव तस्करी से लेकर साइबर आतंकवाद की भी करेगी जांच

लोकसभा में सोमवार को नेशनल इनवेस्टिगेटिव एजेंसी (एनआईए) संशोधन विधेयक पास हो गया है। इस विधेयक के पास होने के बाद एनआईए को भारत में ही नहीं बल्कि विदेश में भी जांच करने का अधिकार मिल जाएगा। वह आतंकवाद से जुड़े मामलों के अलावा दूसरे तमाम तरह के अपराधों की जांच कर सकेगी। एनआईए को कई कानूनों में उल्लिखित अपराधों की भी जांच करने का अधिकार मिल जाएगा। एनआईए के पास पुलिस के समान पूरे अधिकार होंगे।
'बढ़ेगा एनआईए की जांच का दायरा'
गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि प्रस्तावित विधेयक से एनआईए की जांच का दायरा बढ़ाया जा सकेगा और वह भारतीय एवं भारतीय परिसंपत्तियों से जुड़े मामलों की जांच कर सकेगी जिसे आतंकवाद का निशाना बनाया गया हो। एनआईए ने 272 मामलों में प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू की। इनमें 52 मामलों में फैसले आए और 46 में दोष सिद्ध किया जा सका। रेड्डी ने बताया कि 99 मामलों में आरोप पत्र दाखिल हो चुका है।
मानव तस्करी और साइबर अपराध भी दायरे में
संशोधन विधेयक में मानव तस्करी, नकली नोट चलाने, प्रतिबंधित हथियारों के निर्माण और बिक्री, एक्सप्लोसिव्स सब्सटेंसेज एक्ट, 1908 के तहत अपराधों और साइबर आतंकवाद से जुड़े विषयों की जांच का अधिकार देने की बात भी कही गई है। एनआईए एटॉमिक एनर्जी एक्ट, 1962 और अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट, 1967 जैने कानूनों के तहत उल्लिखित अपराधों की जांच कर सकेगी।
भारत से बाहर एनआईए को जांच की शक्तियां
अधिनियम की धारा 3 की उपधारा 2 का संशोधन करके एनआईए के अधिकारियों को वैसी शक्तियां, कर्तव्य, विशेषाधिकार और दायित्व प्रदान करने की बात कही गई है जो अपराधों के जांच के संबंध में पुलिस अधिकारियों द्वारा न केवल भारत में बल्कि देश के बाहर भी प्रयोग की जाती रही है। इसमें भारत से बाहर किसी अनुसूचित अपराध के संबंध में एजेंसी को मामले का पंजीकरण और जांच का निर्देश देने का प्रावधान किया गया है।
विशेष अदालतें भी गठित होंगी
कानून में केंद्र सरकार को विशेष अदालतें गठित करने का भी अधिकार मिलेगा ताकि अनुसूचित अपराधों के मामलों पर केस चलाया जा सके। केंद्र सरकार विशेष अदालत बनाने से पहले उस राज्य के हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से सलाह करेगी।
विधेयक पारित होने से पहले इस पर चर्चा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष को जवाब देते हुए कहा कि सरकार की इस कानून के दुरुपयोग की कोई मंशा नहीं है। उन्होंने कहा कि इस कानून का इस्तेमाल आतंकवाद को खत्म करने के लिए किया जाएगा। लेकिन इस दौरान यह भी कतई नहीं देखा जाएगा कि अपराध किस धर्म के व्यक्ति ने किया है।
गृह मंत्री हैं तो डराइए मत: ओवैसी
चर्चा के दौरान जब सरकार की तरफ से भारतीय जनता पार्टी के सांसद और मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर सत्यपाल सिंह बोल रहे थे, तब यह नोकझोंक देखने को मिली। उनके भाषण के दौरान ओवैसी बीच में खड़े हुए और विरोध किया लेकिन इस बीच गृह मंत्री अमित शाह खड़े हुए और कहा कि सुनने की आदत डालिए। इस तरह नहीं चलेगा।
ओवैसी ने कहा कि आप गृह मंत्री हैं तो डराइए मत, जिस पर शाह ने कहा कि वह डरा नहीं रहे हैं, लेकिन अगर डर जेहन में है तो क्या किया जा सकता है। ‘राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (संशोधन) विधेयक 2019’ पर चर्चा में भाग लेते हुए बीजेपी के सत्यपाल सिंह ने कहा कि हैदराबाद के एक पुलिस प्रमुख को एक नेता ने एक आरोपी के खिलाफ कार्रवाई करने से रोका था और कहा कि वह कार्रवाई आगे बढ़ाते हैं तो उनके लिए मुश्किल हो जाएगी। इसके बाद बात बढ़ने पर शाह और ओवैसी में नोकझोंक हुई।
ए राजा के बोलने पर क्यों नहीं टोका: शाह
इस पर एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी अपने स्थान पर खड़े हो गए और कहा कि बीजेपी सदस्य जिस निजी वार्तालाप का उल्लेख कर रहे हैं और जिनकी बात कर रहे हैं वो यहां मौजूद नहीं हैं। क्या बीजेपी सदस्य इसके सबूत सदन के पटल पर रख सकते हैं?
सदन में मौजूद गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जब डीएमके सदस्य ए राजा बोल रहे थे तो ओवैसी ने क्यों नहीं टोका? वह बीजेपी के सदस्य को क्यों टोक रहे हैं? अलग-अलग मापदंड नहीं होना चाहिए।
पोटा को वोट बैंक की खातिर हटाया गया
शाह ने विपक्षी सांसदों द्वारा पोटा कानून के कथित दुरुपयोग की याद दिलाए जाने पर कहा कि इस कानून को 2004 में यूपीए सरकार की कैबिनेट ने पहली बैठक में राजनीतिक मकसद से हटाया था। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की एनआईए कानून के दुरुपयोग की कोई मंशा नहीं है। इसका इस्तेमाल आतंकवाद के खिलाफ किया जाएगा। मगर उसके खिलाफ कार्रवाई करते वक्त हम यह नहीं देखेंगे कि यह किस धर्म के व्यक्ति ने किया है। शाह ने आगे कहा कि तमिल संगठन भी आतंकवाद करते थे, तब भी कठोर कार्रवाई होती थी। किसी ने किसी का धर्म नहीं देखा और न देखना चाहिए। शाह ने कहा कि अगर एनआईए बिल पर संसद बंट गई, तो आतंकवादियों का मनोबल बढ़ेगा।

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