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फोन टेपिंग के आरोपों की सीबीआइ जांच कराएगी कर्नाटक सरकार, इनकी हुई थी जासूसी

जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन की पिछली सरकार के कार्यकाल में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं और दो-तीन पुलिस...
फोन टेपिंग के आरोपों की सीबीआइ जांच कराएगी कर्नाटक सरकार, इनकी हुई थी जासूसी

जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन की पिछली सरकार के कार्यकाल में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं और दो-तीन पुलिस अधिकारियों के कथित तौर पर फोन टेपिंग की जांच के लिए राज्य की भाजपा सरकार सीबीआइ को आदेश देने की योजना बना रही है। यह जानकारी एक अधिकारी ने दी है।

कुमारस्वामी के कार्यकाल हुई थी फोन टेपिंग

अधिकारी ने बताया कि किन-किन के फोन किसके आदेश पर और क्यों टेप किए गए, इसकी जांच मुख्यमंत्री बी. एस. येदियुरप्पा ने सीबीआइ से कराने का फैसला किया है। आरोप है कि एच. डी. कुमारस्वामी सरकार के कार्यकाल में पिछले कुछ महीनों के दौरान भाजपा के राज्य स्तरीय नेताओं, जेडीएस और कांग्रेस के अयोग्य घोषित हुए बागी विधायकों और तीन वरिष्ठ आइपीएस अधिकारियों के फोन टेप किए गए।

पोस्टिंग के लिए पुलिस अफसरों ने की लॉबिंग

कहा जाता है कि बेंगलुरु पुलिस कमिश्नर भास्कर राव, उनके पूर्ववर्ती और कर्नाटक स्टेट रिजर्व पुलिस के अतिरिक्त महानिदेशक आलोक सिंह और एक अन्य एडीजीपी राज्य सतर्कता शाखा के प्रभावी कमल पंत बेंगलुरु पुलिस कमिश्नर बनने के लिए इस दौरान लॉबिंग कर रहे थे। कुमारस्वाम ने सिंह को चुना जिन्होंने 17 जून से एक अगस्त तक कुल 47 दिनों तक पद संभाला। इसके बाद दो अगस्त को राव को नियुक्त किया गया। इस पद के लिए पंत के बारे में विचार नहीं किया गया। कांग्रेस से जुड़े फराज अहमद पर आरोप है कि सिंह के स्थान पर राव को नियुक्त कराने में उनकी अहम भूमिका रही।

अंतरिम रिपोर्ट में टेपिंग खुली

संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) संदीप पाटिल की अंतरिम रिपोर्ट से पता चला कि मई और जून के दौरान राव और अहमद के बीतचीत की तीन बार टेपिंग की गई। इस रिपोर्ट के बाद येदियुरप्पा ने 14 अगस्त को मुख्य सचिव टी. एम. विजय भास्कर को जांच के आदेश दिए।

कांग्रेस नेताओं ने भी उठाई जांच की मांग

भास्कर राव, फराज, वरिष्ठ कांग्रेस नेता अहमद पटेल और अन्य की आवाज वाले टेप स्थानीय मीडिया में लीक होने के बाद कुमारस्वामी ने उनके फोन की टेपिंग के आदेश दिए जाने से इन्कार किया। येदियुरप्पा ने संवाददाताओं को बताया कि वह फोन टेपिंग के आरोपों की जांच के लिए सोमवार को सीबीआइ को अनुरोध करेंगे। विधानमंडल में कांग्रेस के नेता सिद्धारमैया और उनकी पार्टी के दूसरे नेताओं और सदस्यों ने जांच कराने की मांग की है।

विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव गिरने के बाद कुमारस्वामी ने 23 जून को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था। कांग्रेस और जेडीएस के 15 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था। बाद में उन्हें स्पीकर ने अयोग्य घोषित कर दिया। कुमारस्वामी ने 18 जुलाई को विश्वास प्रस्ताव पेश किया था। अयोग्य घोषित हुए जेडीएस के बागी विधायक ए. एच. विश्वनाथ ने भी कुमारस्वामी पर जासूसी कराने का आरोप लगाया था। राज्य में चौथी बार मुख्यमंत्री बने येदियुरप्पा गृह मंत्री भी हैं क्योंकि अभी तक उन्होंने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं किया है।

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