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येदियुरप्पा ने ध्वनि मत से साबित किया बहुमत, स्पीकर रमेश कुमार ने दिया इस्तीफा

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी. एस. येदियुरप्पा ने सोमवार को विधानसभा में बहुमत साबित कर दिया। उनके द्वारा...
येदियुरप्पा ने ध्वनि मत से साबित किया बहुमत, स्पीकर रमेश कुमार ने दिया इस्तीफा

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी. एस. येदियुरप्पा ने सोमवार को विधानसभा में बहुमत साबित कर दिया। उनके द्वारा प्रस्तुत विश्वास प्रस्ताव ध्वनि मत से पारित हो गया। सदन में संख्या बल भाजपा के पक्ष में देखकर विपक्ष ने विश्वास प्रस्ताव पर मत विभाजन की भी मांग नहीं की। इस तरह बिना मत विभाजन के विश्वास प्रस्ताव पारित कर दिया गया। इस बीच स्पीकर रमेश कुमार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।  

स्पीकर रमेश कुमार ने छोड़ा पद

कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा ने अपनी सरकार का बहुमत साबित कर दिया है। इसी बीच स्पीकर रमेश कुमार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कहा, ‘मैं पद को छोड़ना चाहता हूं और जो डिप्टी स्पीकर है अभी वह इस पद को संभालेंगे’।

एक लाइन का विश्वास प्रस्ताव पेश किया

येदियुरप्पा ने अपनी तीन दिन पुरानी सरकार का बहुमत साबित करने के लिए एक लाइन का विश्वास प्रस्ताव पेश किया था। विपक्ष ने मत विभाजन के लिए मांग नही की। इस वजह से विधानसभा स्पीकर के. आर. रमेश ने प्रस्ताव को ध्वनि मत से पारित घोषित कर दिया।

जीत में नहीं था कोई रोड़ा

चौथी बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने येदियुरप्पा पूरे विश्वास के साथ विधानसभा पहुंचे। कांग्रेस और जेडीएस के बाकी बागी विधायकों को भी रविवार को स्पीकर द्वारा अयोग्य ठहराने के बाद येदियुरप्पा की राह में कोई रोड़ा नजर नहीं आ रहा था। स्पीकर रमेश कुमार ने सभी बागी विधायकों को अयोग्य करार दे दिया है। इस वजह से भाजपा के लिए विश्वास मत हासिल करना आसान हो गया।

बागियों के अयोग्य होने से भाजपा को फायदा

स्पीकर रमेश कुमार ने 25 जुलाई को 3 बागी विधायकों आर शंकर (केपीजेपी विधायक जिसने कांग्रेस के साथ विलय किया था) और रमेश जर्किहोली (कांग्रेस), महेश कुमठल्ली (कांग्रेस) को अयोग्य ठहराया था। वहीं, रविवार को बाकी बचे बागी विधायकों को भी अयोग्य घोषित कर दिया था।

भाजपा के पक्ष में था संख्या बल

कर्नाटक विधानसभा में कुल 225 विधायक हैं। 17 विधायक अयोग्य करार होने के बाद विधानसभा का आंकड़ा 208 पर रह गया है। येदियुरप्पा को बहुमत साबित करने के लिए 105 विधायक चाहिए था। जबकि एक निर्दलीय विधायक के समर्थन के साथ बीजेपी का आंकड़ा 106 विधायक पर पहुंच गया। जबकि कांग्रेस और जेडीएस के पास महज 100 विधायक ही हैं। कांग्रेस के पास 66 और जेडीएस के पास 34 विधायक हैं। नंबर से साफ था कि बीजेपी की राह बिल्कुल आसान है। इसी वजह से येदियुरप्पा ने आसानी से विश्वास मत हासिल कर लिया।

राजनीतिक बदले की भावना से काम नहीं करेंगेः सीएम

मुख्यमंत्री ने कहा कि वह राजनीतिक बदले की भावना से कोई काम नहीं करेंगे। वह भूलने और माफ करने के सिद्धांत में विश्वास करते हैं। येदियुरप्पा ने कहा कि राज्य प्रशासन बुरी तरह चरमरा गया है। उनकी प्राथमिकता उसे दुरुस्त करने की है।

 

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