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पूर्व सांसद आत्महत्या मामला: प्राथमिकी रद्द करने संबंधी उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ याचिका खारिज

उच्चतम न्यायालय ने पूर्व सांसद मोहन डेलकर को 2021 में आत्महत्या के लिए कथित रूप से उकसाने के मामले में...
पूर्व सांसद आत्महत्या मामला: प्राथमिकी रद्द करने संबंधी उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ याचिका खारिज

उच्चतम न्यायालय ने पूर्व सांसद मोहन डेलकर को 2021 में आत्महत्या के लिए कथित रूप से उकसाने के मामले में केंद्र शासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव के प्रशासक प्रफुल खोड़ा पटेल सहित नौ लोगों के खिलाफ सोमवार को प्राथमिकी बहाल करने से इनकार कर दिया।

प्रधान न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने पटेल सहित नौ लोगों के खिलाफ मामला रद्द करने संबंधी आठ सितंबर, 2022 के मुंबई उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली दिवंगत सांसद के बेटे अभिनव डेलकर की अपील खारिज कर दी।

पीठ ने अभिनव की ओर से पेश हुईं वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा, राज्य सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और कुछ आरोपियों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी की दलीलें सुनने के बाद चार अगस्त को याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।

दादरा और नगर हवेली से सात बार सांसद रहे डेलकर की मृत्यु के बाद प्राथमिकी दर्ज की गई थी। वह 2021 में मुंबई के एक होटल में मृत पाए गए थे। उनके कथित सुसाइड नोट में उत्पीड़न और धमकी का विस्तार से विवरण था, जिसके बाद शीर्ष नौकरशाहों और राजनीतिक हस्तियों सहित कई लोगों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की गई थी।

सुनवाई के दौरान पीठ ने इस बात पर विचार किया कि क्या रिकॉर्ड में मौजूद सामग्री जिसमें कथित 30-पृष्ठ का सुसाइड नोट भी शामिल है, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत आरोपों को बनाए रखने के योग्य है।

प्रधान न्यायाधीश ने पूछा, ‘‘क्या उस व्यक्ति के पास सोचने और 30 पन्नों का सुसाइड नोट लिखने का समय था। क्या हम कह सकते हैं कि यह (आत्महत्या) क्षणिक आवेग में हुई थी?’’ उन्होंने कहा कि तनाव या उत्पीड़न के प्रति व्यक्तिगत प्रतिक्रियाएं भिन्न हो सकती हैं।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘कोई संवेदनशील व्यक्ति आत्महत्या कर सकता है, जबकि कठोर हृदय वाला व्यक्ति ऐसा नहीं कर सकता।’’ अरोड़ा ने कहा कि घटना के समय डेलकर की मानसिक स्थिति सार्वजनिक अपमान के कारण उत्पन्न गहरे अवसाद की भावना से प्रेरित थी। उन्होंने कहा, ‘‘वह व्यथित थे क्योंकि उन्हें लगता था कि उनकी सार्वजनिक छवि बर्बाद हो गई है। देखिए उन्होंने अपनी पत्नी और बच्चों को क्या लिखा है… उनके परिवार का नाम, रुतबा उनके लिए बहुत मायने रखता है।’’

उच्च न्यायालय ने आठ सितंबर, 2022 को आरोपियों के खिलाफ ‘‘कानून के दुरुपयोग को रोकने’’ के वास्ते प्राथमिकी को रद्द करने के लिए इसे एक उपयुक्त मामला माना। इसने यह भी कहा था कि प्राथमिकी की सामग्री और घटना का संदर्भ यह बताने के लिए नाकाफी है कि आरोपियों ने डेलकर को आत्महत्या के लिए उकसाया।

डेलकर (58) दक्षिण मुंबई के मरीन ड्राइव स्थित एक होटल के कमरे में 22 फरवरी, 2021 को मृत पाए गए थे।

मार्च 2021 में डेलकर के बेटे अभिनव द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर पटेल और आठ अन्य लोगों पर मुंबई पुलिस ने आत्महत्या के लिए उकसाने और आपराधिक धमकी देने के आरोप में मामला दर्ज किया था।

आरोप लगाया गया था कि आरोपियों के उत्पीड़न के कारण सांसद ने आत्महत्या की, क्योंकि आरोपी उनके द्वारा संचालित शैक्षणिक संस्थानों पर नियंत्रण करना चाहते थे और उन्हें चुनाव लड़ने से रोकना चाहते थे।

आरोपियों ने पिछले साल प्राथमिकी रद्द कराने के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया था और दलील दी थी कि मामले में उन्हें फंसाया जा रहा है।

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