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कांग्रेस ने दासौ के सीईओ पर लगाया गलतबयानी का आरोप, कहा- राफेल डील दो सरकारों के बीच नहीं

कांग्रेस ने दासौ एविएशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) एरिक ट्रेपियर गलतबयानी का आरोप लगाते हुए...
कांग्रेस ने दासौ के सीईओ पर लगाया गलतबयानी का आरोप, कहा- राफेल डील दो सरकारों के बीच नहीं

कांग्रेस ने दासौ एविएशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) एरिक ट्रेपियर गलतबयानी का आरोप लगाते हुए कहा कि राफेल डील दो सरकारों के बीच नहीं है क्योंकि इसके लिए बातचीत में फ्रांस की सरकार कहीं शामिल नहीं थी। अगर यह सरकारों के बीच का समझौता है तो नरेंद्र मोदी सरकार और दासौ को तथ्यों के साथ जवाब देना चाहिए।

पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने एक प्रेस कांफ्रेस में कहा कि सरकार जितनी भी कोशिश कर ले, सच को नहीं दबा सकती।  उन्होंने ट्रेपियर के हालिया बयान का हवाला देते हुए कहा कि  दासौ के सीईओ ने जो कहा है वो झूठ है। उनकी गलतबयानी की तथ्य भी पुष्टि करते हैं।

'बिना कंपनी के गठन के संयुक्त उपक्रम कैसा'

कांग्रेस नेता ने कहा कि 28 मार्च, 2015 को रिलायंस डिफेंस का गठन हुआ। 24 अप्रैल, 2015 को इसकी इकाई रिलायंस एयरोस्ट्रक्चर का गठन हुआ। अगर 24 अप्रैल से पहले एरिक ट्रेपियर को कंपनी के गठन का पता नहीं था तो फिर संयुक्त उपक्रम कैसा हुआ?  सिब्बल ने कहा, ‘ट्रेपियर ने कहा है कि रिलायंस डिफेंस के पास जमीन थी  इसलिए उसके साथ डील की गई। जबकि जून, 2015 में रिलायंस ने जमीन के लिए आवेदन किया। 29 अगस्त, 2015 को जमीन आवंटित हुई। फिर दासौ को अप्रैल में कैसे पता चला कि उनके पास जमीन थी?’  

सिब्बल ने कहा, ‘ट्रेपियर ने कहा कि एचएएल के पास जमीन नहीं थी, इसलिए उनके साथ संयुक्त उपक्रम नहीं किया?  जबकि एचएएल ने बेंगलुरू हवाई अड्डे के पास जमीन के लिए आवेदन किया था और उसके पास वहां पहले से बहुत सारी जमीन थी।’  उन्होंने कहा कि फ़्रांस्वा ओलांद का बयान भी एक बड़ा तथ्य है। ट्रेपियर को सार्वजनिक रूप से कहना चाहिए कि ओलांद झूठ बोल रहे हैं।

'सच सामने लाकर रहेंगे'

उन्होंने कहा कि यह सरकारों के बीच की डील नहीं है क्योंकि फ्रांस में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। इस डील की बातचीत में ट्रेपियर और दासौ के दूसरे अधिकारी थे जबकि भारत की तरफ से रक्षा मंत्रालय के अधिकारी थे। फ्रांस की सरकार को सिर्फ मंजूरी देनी थी । जब फ्रांस की सरकार बातचीत में शामिल ही नहीं थी तो फिर यह सरकारों के बीच का समझौता कैसे हो गया?

सिब्बल ने कहा, 'प्रधानमंत्री मौन हैं। अब सुप्रीम कोर्ट करेगा लेकिन तथ्य जनता के बीच आने चाहिए।' उन्होंने कहा, ' प्रधानमंत्री जी भ्रष्टाचार का मतलब आप जानते हैं । अगर आपने कसम खा ली है कि सच नहीं बताएंगे तो हमने भी कसम खाई है कि हम सच सामने लाकर मानेंगे।'

हाल में ट्रेपियर ने एक इंटरव्यू में दावा किया है कि राफेल डील में कुछ भी गलत नहीं है और यह साफ-सुथरा है। ट्रेपियर ने सफाई देते हुए कहा था कि हमने अंबानी को खुद ही चुना। 

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