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बंगाल में कांग्रेस का नहीं खुला खाता, फिर भी कांग्रेस के नेताओं के लिए ममता बनी झांसी की रानी, क्या है माजरा?

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी मात के बाद अब उनके नेताओं की प्रतिक्रिया आनी शुरू...
बंगाल में कांग्रेस का नहीं खुला खाता, फिर भी कांग्रेस के नेताओं के लिए ममता बनी झांसी की रानी, क्या है माजरा?

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी मात के बाद अब उनके नेताओं की प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गई है। कांग्रेस के कई नेता टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी की शान में एक से बढ़कर एक कसीदे पढ़ रहे हैं। गुलाम नबी आजाद ने ममता को 'पूरब की शेरनी' करार दिया तो मनीष तिवारी ने 'झांसी की रानी'। इस बीच कपिल सिब्बल ने भी अपनी पार्टी को नसीहत दी है।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के रूप में ममता बनर्जी ने तीसरी बार शपथ लेने के बाद कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने टीएमसी सुप्रीमो को पूरब की शेरनी बताया है। राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता ने ट्वीट किया, 'वह वास्तव में पूरब की शेरनी है। ममता के लिए लड़ाई और सभी बाधाओं के बावजूद भारी जीत के लिए मेरी हार्दिक बधाई।'

वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने ममता बनर्जी को झांसी की रानी (अंग्रेजों से लड़ने वाली रानी) भी कहा। एक अन्य पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा, ‘ममता दीदी की जीत राहत और सुकून देने वाली है। बलिदान के बावजूद हमें, कांग्रेस को धैर्य रखना होगा, मगर दोनों के लिए, वास्तव में कई अन्य लोगों के लिए भाजपा को स्थायी चुनौती देने के लिए ड्राइंग बोर्ड पर लौटने की आवश्यकता है।’

गौरतलब है कि कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल चुनाव में शून्य स्कोर किया और अपने कई गढ़ भी खो दिए, जबकि पार्टी ने कहा है कि वह निश्चित रूप से सुधार के लिए प्रतिबद्ध है। 294 विधानसभा सीटों वाले पश्चिम बंगाल में कांग्रेस ने वाम और इंडियन सेक्युलर फ्रंट के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था। इसके बाद भी पार्टी प्रदेश में अपना खाता तक नहीं खोल पाई।

इस पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि कांग्रेस पार्टी को अपने प्रदर्शन को भी देखना चाहिए क्योंकि यह पश्चिम बंगाल में एक भी सीट को सुरक्षित नहीं कर सका और असम और केरल में भी विफल रहा। एएनआई से बात करते हुए सिब्बल ने कहा हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है। यह पार्टी असम और केरेला में विफल रही। पश्चिम बंगाल में एक भी सीट सुरक्षित नहीं कर सकी। अब जब पार्टी की ओर से आवाज उठाई जा रही है, तो उनके इस हार पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।

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