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कांग्रेस के इन चार ‘मास्टर स्ट्रोक’ के सामने नाकाम हुई भाजपा की रणनीति

कर्नाटक की सियासत में इस बार किसी भी पार्टी को जनादेश नहीं मिला। 104 सीट पाने वाली भाजपा बहुमत से सिर्फ...
कांग्रेस के इन चार ‘मास्टर स्ट्रोक’ के सामने नाकाम हुई भाजपा की रणनीति

कर्नाटक की सियासत में इस बार किसी भी पार्टी को जनादेश नहीं मिला। 104 सीट पाने वाली भाजपा बहुमत से सिर्फ आठ कदम दूर रही। राज्यपाल ने भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा को सरकार बनाने का न्योता भी दे दिया था। लोग मानकर चल रहे थे कि भाजपा जोड़तोड़ कर सरकार बनाने में कामयाब हो जाएगी। लेकिन कांग्रेस ने बाजी पलट दी। पार्टी ने सिलसिलेवार मास्टर स्ट्रोक लगाए। लिहाजा ढाई दिन के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को फ्लोर टेस्ट से पहले ही इस्तीफा देना पड़ा।

कांग्रेस के मास्टर स्ट्रोक पर एक नजर-

पहला मास्टर स्ट्रोक: बिना देर किए जेडीएस से मिलाया हाथ

चुनाव के नतीजे सामने आते ही पार्टी के दिग्गज नेताओं ने जेडीएस के कुमारस्वामी से मिलने में जरा भी देर नहीं की। कांग्रेस ने एचडी कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री बनाने का वादा भी कर दिया। जेडीएस ने कांग्रेस का समर्थन स्वीकार करते हुए सरकार बनाने का दावा किया। इस तरह वे 78+38= 116 हो गए।

दूसरा मास्टर स्ट्रोक: फ्लोर टेस्ट: 15 दिन से 24 घंटे

भाजपा को बहुमत साबित करने के लिए राज्यपाल ने 15 दिनों का वक्त दिया था। इधर दिल्ली में बैठे कांग्रेसी नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में दस्तक देकर मामले को कानूनी लड़ाई में बदल दिया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने येदियुरप्पा को बहुमत साबित करने के लिए 24 घंटे का वक्त तय कर दिया। हालांकि इस दौरान भी भाजपा के वकील समय बढ़ाने की मांग करते रहे।

तीन जजों की बैंच ने शनिवार 4 बजे बहुमत परीक्षण कराने, तुरंत प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करने, सभी चुने गए विधायकों को शपथ दिलाने, विधायकों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने और बहुमत साबित न होने तक येदियुरप्पा द्वारा कोई अहम नीतिगत निर्णय न लिए जाने को कहा।

अदालत ने बहुमत परीक्षण तक कर्नाटक विधानसभा में किसी एंग्लो इंडियन विधायक को मनोनीत करने से भी मना किया।

कोर्ट के इस फैसले से जोड़तोड़ का वक्त बिल्कुल नहीं मिल पाया और ये एक तरह से कांग्रेस-जेडीएस के लिए बड़ी जीत साबित हुई।

 तीसरा मास्टर स्ट्रोक: विधानसभा की कार्यवाही का सीधा प्रसारण

भाजपा विधायक केजी बोपैया को कर्नाटक विधानसभा में प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किए जाने के खिलाफ कांग्रेस-जनता दल (एस) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी।  हालांकि इसे कोर्ट ने खारिज कर दिया ले‌किन कार्यवाही का सीधा प्रसारण करवाने की व्यवस्था करवाकर कई गड़बड़ियों की आशंका को दूर किया।

सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि विश्वासमत हासिल करने के दौरान विधानसभा की कार्यवाही का सीधा प्रसारण किया जाएगा। ऐसा होने से पारदर्शिता बनी रहेगी।

चौथा मास्टर स्ट्रोक: अपने विधायकों को सुरक्षित रखने में कामयाब

कांग्रेस और जेडीएस ने भाजपा से अपने विधायकों को बचाने के लिए पूरी ताकत लगा दी। उन्हें पिछले चार दिनों से कड़ी निगरानी में रखा। यहां तक ‌कि उनको जोड़-तोड़ से बचाने के लिए हैदराबाद ले जाना पड़ा था। परीणाम आने के बाद 24 घंटे के अंदर ही कांग्रेस ने अपने विधायकों से दस्तखत करा लिए। फिर रातोंरात कांग्रेस ने अपने विधायकों को बस के जरिए हैदराबाद पहुंचाया। ले‌किन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दूसरे दिन ही उन विधायकों को हैदराबाद से ‌फिर बेंगलूरू वापस लाया गया।

इधर, भाजपा फ्लोर टेस्ट के कुछ घंटे पहले भी खुद को विश्वास मत हासिल होने को लेकर आश्वस्त दिखाती रही। लेकिन पार्टी को बड़ा झटका तब लगा जब कांग्रेस के गायब विधायक सदन में हाजिर हो गए। यानी कांग्रेस ने अपने विधायकों को टूटने से भी बचा लिया।

 

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