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विपक्षी एकता को झटका, ट्विटर से हटा पोस्टर, लालू की रैली में शामिल नहीं होंगी मायावती!

नीतीश कुमार के भाजपा के संग हाथ मिलाने के बाद कमजोर हुए महागठबंधन में इस सियासी उलटफेर से नई जान फूंकने की संभावना पर बीएसपी ने पानी फेर दिया है।
विपक्षी एकता को झटका, ट्विटर से हटा पोस्टर, लालू की रैली में शामिल नहीं होंगी मायावती!

रविवार को बहुजन समाज पार्टी नाम के ट्विटर अकाउंट पर विपक्षी दलों की एकजुटता को लेकर फोटो पोस्ट की गई थी, अब उस ट्वीट को हटा दिया गया है। जिसके बाद ट्वीट कर कहा गया कि कल इस एकाउंट से जारी किये पोस्टर से बसपा का कोई सम्बन्ध नही है, ये पोस्ट करनेवाले की निजी राय थी।


वहीं दूसरे ट्वीट में कहा गया कि बसपा और पोस्टर को लेकर किसी तरह की भ्रान्ति नही फैलाई जानी चाहिए पार्टी ने इस मुद्दे पर स्थिति स्पष्ट कर दी है। 


इसे भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों को एकजुट करने की कवायद के तौैर पर देखा जा रहा था। बहुजन समाज पार्टी ने सामाजिक न्याय के नाम पर विपक्ष को एकजुट होने की बात कही थी।


वहीं मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, लालू यादव द्वारा पटना में आयोजित विपक्षी पार्टियों के कार्यक्रम में भी बसपा सुप्रीमो मायावती नहीं जाएंगी। आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने 27 अगस्त को पटना में विपक्षी पार्टियों के नेताओं को बुलाया है। जिसमें कांग्रेस, सपा, टीएमसी सहित कई राजनीतिक दल के नेता मौजूद रहेंगे। इसके साथ ही मायावती और अखिलेश यादव का एक साथ एक मंच पर दिखाई देंने की चर्चा भी जोरो पर थी। लेकिन बसपा के इस रुख से नजारा बदल गया है।

बीएसपी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर फोटो पोस्ट की थी। इसमें कहा गया था कि सामाजिक न्याय के नाम पर विपक्ष एक हो। पोस्टर में कांग्रेस प्रनुख सोनिया गांधी, जदयू नेता शरद यादव, राजद नेता लालू यादव, तेजस्वी यादव पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ-साथ अखिलेश यादव के भी फोटो थे। महागठबंधन के लिए ना-नुकूर करने वाली बसपा सुप्रीमो की इस पहल से सियासी खलबली मच गई थी। 

भाजपा के द्वारा सिलसिलेवार एक के बाद एक सूबे में जीत से कई क्षेत्रीय दलों के लिए अस्तित्व बचाना भी बड़ी चुनौती दिखाई दे रही है। ऐसे में राजनीतिक दलों के सामने अपने वजूद को बचाए रखने के लिए एकजुटता के अलावा कोई चारा नजर नहीं आ रहा है। यही कारण है कि अब विपक्ष एक दूसरे से गिले शिकवे भुलाकर एक होकर एकजुट होने की पहल करने लगे हैं। ऐसे में मायावती का विपक्षी दलों के साथ नहीं जाने का फैसला विपक्षी एकता के लिए ेबड़ा झटका साबित होगा।

 

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