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भगवा पगड़ी और सोनिया-राहुल की तस्वीर नदारद, क्या संदेश देना चाहते हैं कांग्रेस के नाराज नेता

कांग्रेस के भीतर मतभेद की बातें अब खुलकर सामने आ रही हैं। यह पहला मौका नहीं जब पार्टी को अपने ही घर के...
भगवा पगड़ी और सोनिया-राहुल की तस्वीर नदारद, क्या संदेश देना चाहते हैं कांग्रेस के नाराज नेता

कांग्रेस के भीतर मतभेद की बातें अब खुलकर सामने आ रही हैं। यह पहला मौका नहीं जब पार्टी को अपने ही घर के दिग्गज नेताओं के साथ जूझना पड़ रहा हो। पिछले साल जी-23 नेताओं ने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर कांग्रेस के पूर्णकालिक अध्यक्ष और संगठन के चुनाव कराने की मांग उठाई थी, वहीं, अब गुलाम नबी आजाद की अगुवाई में जी-23 नेताओं में से आठ नेताओं ने जम्मू में बैठक साफ-साफ कहा है कि वो कांग्रेस के साथ हैं, लेकिन पार्टी की हालिया स्थिति उन्हें स्वीकार नहीं हैं। बैठक के दौरान यह नाराजगी नेताओं के बयानात में ही नहीं बल्कि कई संकेतों के तौर पर भी जाहिर हुई। यहां मौजूद तमाम वरिष्ठ नेता भगवा पगड़ी पहने नजर आए वहीं मंच पर सोनिया गांधी या राहुल गांधी के पोस्टर भी नदारद रहे। इसे लेकर कई राजनीतिक निहितार्थ निकाले जा रहे हैं।

गुलाम नबी आजाद समेत जी-23 के आठ नेताओं ने जम्मू में शांति सम्मेलन में भगवा पगड़ी पहनकर प्रकार से नई हलचल पैदा कर दी है। गुलाम नबी के अलावा भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा, राज बब्बर, मनीष तिवारी, विवेक तन्खा समेत कुछ और नेता भी इस बैठक में शामिल रहे। खबरों के मुताबिक गांधी ग्लोबल के इस मंच पर सोनिया और राहुल गांधी की तस्वीरें नदारद थीं। जानकारों का मानना है कि यह केवल इत्तेफाक नहीं था बल्कि सोची समझी रणनीति के तहत ऐसा किया गया।

नाराज नेताओं ने शनिवार को गांधी ग्लोबल फैमिली की ओर से आयोजित शांति सम्मेलन में कांग्रेस के लगातार कमजोर होने की बात कही थी। कपिल सिब्बल ने कहा कि यह सच बोलने का मौका है और हम सच ही बोलेंगे। सच्चाई तो ये है कि कांग्रेस हमें कमज़ोर होती दिख रही है और इसीलिए हम इकट्ठा हुए हैं और पहले भी इकट्ठा हुए थे और इकट्ठा होकर हमें इसे मजबूत करना है।

वहीं, इस घटनाक्रम के दूसरे दिन खुद गुलाम नबी आजाद ने पीएम मोदी की प्रशंसा की। आजाद ने रविवार को कहा कि उन्हें बहुत सारे नेताओं की बहुत सी अच्छी-अच्छी बातें पसंद आती हैं। जैसे कि हमारे प्रधानमंत्री हैं, वो कहते हैं कि मैं बर्तन मांजता था और चाय बेचता था। राजनीतिक तौर पर हम उनके खिलाफ हैं, मगर कम से कम असलियत नहीं छिपाते हैं। आपने अपनी असलियत छिपाई तो आप एक ख्याली और बनावटी दुनिया में रहते हैं।

 

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