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निर्मला सीतारमण का रक्षा मंत्री बनना फ्री थिंकर्स के लिए शुभ संकेत

मोदी सरकार में हुए फेरबदल के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।
निर्मला सीतारमण का रक्षा मंत्री बनना फ्री थिंकर्स के लिए शुभ संकेत

3 सितंबर को मोदी कैबिनेट में व्यापक बदलाव हुए। किसी भी सरकार में इस तरह का फेरबदल होना एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन इस दौरान हुई कुछ परिघटनाएं मोदी सरकार और भारतीय जनता पार्टी के ढर्रे को तोड़ती नजर आई।

इस दौरान सबसे ज्यादा चर्चित रहीं निर्मला सीतारमण। निर्मला सीतारमण को रक्षा मंत्रालय जैसी अहम जिम्मेदारी दी गई है। वे देश की पहली पूर्णकालिक महिला रक्षामंत्री बन गई हैं। इनसे पहले इंदिरा गांधी भी रक्षामंत्री की जिम्‍मेदारी संभाल चुकी हैं लेकिन उनके पास प्रधानमंत्री पद भी था। अब पहली बार सुरक्षा से जुड़ी संसदीय समिति में दो महिलाएं सुषमा स्‍वराज और निर्मला सीतारमण हो गई हैं।

निर्मला सीतारमण से जुड़ी खास बातें

निर्मला सीतारमण का जन्‍म तमिलनाडु में हुआ। 1980 में उन्‍होंने जेएनयू से एमए और एमफिल किया। बाद में 'गेट फ्रेमवर्क के अंदर भारत-यूरोप टेक्‍सटाइल व्‍यापार' पर पीएचडी की। इसके अलावा निर्मला ने लंदन में प्राइसवाटरहाउसकूपर्स रिसर्च में भी काम किया। इसके कुछ साल बाद वे पति के साथ हैदराबाद लौट आईं। फिर यहां उन्‍होंने एक स्‍कूल और पब्लिक पॉलिसी संस्‍थान खोला। निर्मला सीतारमन 2003 से 2005 तक राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्या रह चुकी हैं। राष्‍ट्रीय महिला आयोग में कार्यकाल खत्‍म होने के बाद वे 2006 में भाजपा से जुड़ गईं। 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले उन्‍हें प्रवक्‍ता बना दिया गया। हिंदी नहीं जानने के बाद भी निर्मला ने अपनी बोलने की शैली से लोगों को प्रभावित किया। फिर मई 2014 केन्द्र में भाजपा सरकार आने पर उन्‍हें वाणिज्‍य राज्‍य मंत्री बनाया गया। अब वे मोदी सरकार में रक्षा मंत्रालय की बागडोर सम्हाल ली हैं।

सियासी मायने

मोदी सरकार में हुए बदलाव के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। खांटी आरएसएस विचार वालों से इतर निर्मला सीतारमण और कई नौकरशाहों की हुई एंट्री इस बात की ओर इशारा कर रही है कि अब भाजपा सरकार में संघ विचार वालों के अलावा भी दूसरों को महत्ता दी जा सकती है। बता दें कि सीतारमण जेएनयू से पढ़ी-लिखी स्वतंत्र विचार वाली महिला के तौर पर जानी जाती हैं। संघ से उनकी कोई खास पृष्ठभूमि नहीं रही है। फिर भी मोदी सरकार में उनको तवज्जो मिलना स्वतंत्र विचार वालों के लिए शुभ संकेत के तौर पर देखा जा रहा है। इसके अलावा अल्फोंस कन्नथनम को भी मोदी मंत्रिमंडल में जगह दी गई। उन्होंने अपनी राजनीतिक पारी का आगाज भाजपा से बिल्कुल अलग राजनीतिक विचारधारा के साथ की थी। 2006 में वे सीपीएम के नेतृत्व वाली एलडीएफ के समर्थन से केरल के कंजिरापल्ली विधानसभा से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुने गए थे। लेकिन उन्हें भी पर्यटन मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार दिया गया है।

वहीं कई ऐसे मंत्रियों का कद घटाया गया जो कि खांटी आरएसएस बैकग्राउंड के माने जाते हैं। उमा भारती से नमामी गंगे जैसा अहम मंत्रालय ले लिया गया। पहले तो यह भी कयास लगाए जा रहे थे कि उनकी छुट्टी कर दी जाएगी हालांकि उन्हें स्वच्छता और पेयजल मंत्रालय दे दिया गया। मोदी सरकार के इन कदमों से लगता है कि अब भाजपा सरकार उस दिशा की ओर बढ़ रही है जहां केवल खांटी आरएसएस का तमगा लेना या भगवाधारी होना ही काफी नहीं रहेगा बल्कि स्वतंत्र विचार वालों की भी आमद हो सकेगी। बहरहाल यह कहा जा सकता है कि मोदी सरकार में हुए इस फेरबदल के अलावा भाजपा के सियासी समीकरण में भी समय के साथ बड़ा बदलाव हुआ है।  

 

 

 

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