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भाजपा की घट जाती 25 से ज्यादा सीटें, अगर राहुल, अखिलेश और मायावती ने दिखाई होती ये चालाकी

लोकसभा चुनाव में एनडीए को भारी बहुमत के साथ दोबारा सत्ता हासिल करने में कामयाबी मिली। भाजपा भी अकेले...
भाजपा की घट जाती 25 से ज्यादा सीटें, अगर राहुल, अखिलेश और मायावती ने दिखाई होती ये चालाकी

लोकसभा चुनाव में एनडीए को भारी बहुमत के साथ दोबारा सत्ता हासिल करने में कामयाबी मिली। भाजपा भी अकेले दम पर 300 का आंकड़ा पार गई लेकिन इस चुनाव में कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों को करारी हार झेलनी पड़ी है। इन नतीजों के बाद अब सियासी हल्के में यह बहस छिड़ी है कि यदि विपक्षी दल एक मजबूत गठबंधन के साथ मैदान में उतरते तो नतीजा कुछ और हो सकता था। खासतौर पर उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में एक मजबूत गठबंधन की कमी केन्द्र में सत्तारूढ़ भाजपा के लिए लाभदायक रही।

देश के सबसे बड़े सूबे यूपी की बात करें तो यहां सपा-बसपा-रालोद ने भाजपा के खिलाफ गठबंधन बनाकर चुनाव में हिस्सा लिया लेकिन कांग्रेस इस गठजोड़ के साथ नहीं रही। यदि इनके बीच गठबंधन होता तो...? चुनाव के परिणाम बता रहे हैं कि ऐसा होने पर प्रदेश में भाजपा विरोधी दलों से सांसदों की संख्या 25 या उससे भी अधिक हो सकती थी। ऐसा तब होता जब कांग्रेस को मिले वोट उस स्थिति में इस संयुक्त गठबंधन को ही मिलते। प्रदेश की कई ऐसी सीटें हैं जहां पर गठबंधन प्रत्याशी जितने मतों से चुनाव हारे हैं, उससे अधिक मत कांग्रेस को मिले हैं।

वैसे ही महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना के खिलाफ कांग्रेस और एनसीपी ने गठबंधन किया लेकिन बहुजन अघाड़ी समाज ने अलग चुनाव लड़कर राज्य में कम से कम 10 सीटों पर कांग्रेस-एनपीसी गठबंधन को नुकसान पहुंचाया है।

यूपी में क्या होते नतीजे?

सूबे में सपा-बसपा के साथ गठबंधन को लेकर  कांग्रेस ने कोई रूचि नहीं दिखाई। धौरहरा,बांदा, सुल्तानपुर, बाराबंकी, बस्ती, भदोही, चंदौली, संत कबीरनगर, मेरठ आदि सीटों पर गठबंधन प्रत्याशी जितने वोटों से हारे उससे ज्यादा मत इन सीटों पर कांग्रेस को मिले थे। यानी कांग्रेस के साथ आने पर परिणाम कुछ और होते।

-चंदौली में भाजपा प्रत्याशी महेंद्र नाथ पांडेय ने सपा प्रत्याशी संजय सिंह चौहान को महज 13,959 मतों से हराया। इस सीट पर कांग्रेस गठबंधन से जन अधिकारी पार्टी की प्रत्याशी शिवकन्या कुशवाहा को 22,190 मत मिले। यहां गठबंधन से जुड़ने पर भाजपा को हराया जा सकता था।

-मेरठ में भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र अग्रवाल ने बसपा के हाजी मोहम्मद याकूब को महज 4729 मतों से हराया। जबकि कांग्रेस प्रत्याशी हरेंद्र अग्रवाल को यहां 34,479 मत मिले। गठबंधन के साथ कांग्रेस का वोट जुड़ता तो बसपा प्रत्याशी की जीत पक्की हो जाती।

-सुल्तानपुर में भाजपा उम्मीदवार मेनका गांधी 14,526 के अंतर से बसपा प्रत्याशी चंद्रभद्र सिंह सोनू को हराया। इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी डा. संजय सिंह को 41,588 मत मिले। यहां भी कांग्रेस का साथ बसपा प्रत्याशी को जीता सकता था।

-संतकबीर नगर में भाजपा प्रत्याशी प्रवीण कुमार निषाद ने 35,749 मतों के अंतर से बसपा प्रत्याशी भीष्म शंकर को हराया। इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी भालचंद्र यादव को 1,28,242 मत मिले थे। इस सीट पर भी जीत हासिल हो सकती थी।

-धौरहरा में भाजपा प्रत्याशी रेखा वर्मा ने बसपा उम्मीदवार इलियास सिद्दीकी को 1,60,611 मतों के अंतर से हराया। इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी जितिन प्रसाद को 1,62,727 मत मिले। गठबंधन के साथ कांग्रेस होती तो इस सीट को भी निकाला जा सकता था।

-बदायूं में भाजपा प्रत्याशी डा. संघमित्रा मौर्य ने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव को 18,454 मतों के अंतर से हराया। इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी सलीम इकबाल शेरवानी को 51,896 वोट मिले। यहां भी कांग्रेस जीत दिला सकती थी।

-बस्ती में भाजपा प्रत्याशी हरीश द्विवेदी ने 30,354 मतों के अंतर से बसपा प्रत्याशी राम प्रसाद चौधरी को मात दी। यहां पर कांग्रेस प्रत्याशी राजकिशोर सिंह को 86,453 मत मिले। यहां भी कांग्रेस के साथ होने पर गठबंधन की जीत आसान होती।

-बाराबंकी में भाजपा उम्मीदवार उपेंद्र रावत ने 1,10,140 मतों के अंतर से सपा प्रत्याशी राम सागर रावत को हराया। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी तनुज पुनिया को यहां 1,59,575 मत मत मिले थे। कांग्रेस यहां भी गठबंधन को पार लगा देती।

-बांदा में भाजपा के आरके सिंह पटेल ने सपा के श्यामाचरण गुप्ता को 58,938 मतों से हराया। यहां कांग्रेस प्रत्याशी बाल कुमार पटेल को 75,438 मत मिले थे। कांग्रेस का वोट गठबंधन को मिल जाता तो सपा प्रत्याशी जीत जाता।

महाराष्ट्र में क्या होते नतीजे?

दलित नेता प्रकाश अंबेडकर के नेतृत्व वाले वंचित बहुजन अघाड़ी समाज ने राज्य में कम से कम 10 सीटों पर कांग्रेस-एनपीसी गठबंधन को नुकसान पहुंचाया है। यहां गठबंधन ने दो सीटे स्वाभिमानी पक्ष के लिए छोड़ी थी। नांदेड़, सोलापुर, सांगली, बुलधाना, परभणी, गढ़चिरौली, हिंगोली, अकोला, चंद्रपुर, हातकणंगले ऐसी सीटें हैं, जहां पर वंचित अघाड़ी समाज को 1.10 लाख से लेकर 2.97 लाख तक वोट मिले हैं। इन 10 सीटों में से छह सीटें ऐसी हैं जहां पर यदि कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन के साथ वंचित अघाड़ी समाज का वोट जुड़ जाता था, तो वह बड़ी आसानी से सीटें जीत सकती थी।

-नांदेड़ में भाजपा के उम्मीदवार प्रताप राव पाटिल ने कांग्रेस के अशोक शंकर राव चव्हाण को 40,148 वोटों के अंतर से हराया। भाजपा को 4,86,806 वोट मिले तो वहीं कांग्रेस के खाते में 4,46,658 वोट आए। अगर वंचित बहुजन अगाड़ी का साथ लिया जाता तो उनके 1,66,196 वोट आसानी से जीत दिला देता।

-सोलापुर में भाजपा के डॉ. जय सिध्देश्वर शैवाचार्य महास्वामीजी ने कांग्रेस के सुशील कुमार शिंदे को 158,608 वोटों के अंतर से हराया। भाजपा को यहां 5,24,985 वोट तो कांग्रेस को 3,66,377 वोट मिले। यहां भी वंचित बहुजन अगाड़ी के 1,70,007 वोट के सहारे भाजपा को मात दी जा सकती थी।

-बुलधाना में शिवसेना के प्रतापराव जाधव (521977) ने एनसीपी के डॉ राजेन्द्र भास्करराव (388690) को 133,287 वोटों के अंतर से मात दी। यहां वंचित बहुजन अगाड़ी के 172,627 वोटों से कामयाबी पाई जा सकती थी।

-परभणी में शिवसेना के संजय जाधव (538941) ने एनसीपी के राजेश उत्तमराव (496742) को 42199 वोटों से हराया। यहां भी वंचित बहुजन अगाड़ी के 149946 वोटों से कांग्रेस गठबंधन का काम बन सकता था।

-गढ़चिरौली में भाजपा प्रत्याशी अशोक नेते (519968) ने कांग्रेस प्रत्याशी नामदेव दल्लूजी उसेन्डी (442442) को 77,526 वोटों से हराया अगर वंचित बहुजन अगाड़ी को साथ लिया गया होता तो 111468 वोट भाजपा प्रत्याशी को हराने के लिए काफी थे।

-हातकणंगले में शिवसेना के धैर्यशील संभाजीराव (585776) ने स्वाभिमानी पक्ष के राजू शेट्टी (489737) को 96,039 वोटों के अंतर से पराजित किया। यहां भी वंचित बहुजन अगाड़ी के 123419 वोट कांग्रेस गठबंधन की ये सीट बचा सकते थे।

-सांगली में भाजपा के संजय काका पाटिल (508995) ने स्वाभिमानी पक्ष के विशाल प्रकाशबाबू (344643) को 164,352 वोटों के फासले से हराया। यहां भी  वंचित बहुजन अगाड़ी के 300234 वोटों से कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशी को बड़ी जीत मिल सकती थी।

 

 

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