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नेताओं को हो गया है चुनाव परिणाम का आभास, समझिए कैसी होगी नई सरकार

सत्तासीन भाजपा ‘फिर एक बार मोदी सरकार’ का ख्वाब देख रही है, तो वहीं कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल मोदी...
नेताओं को हो गया है चुनाव परिणाम का आभास, समझिए कैसी होगी नई सरकार

सत्तासीन भाजपा ‘फिर एक बार मोदी सरकार’ का ख्वाब देख रही है, तो वहीं कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल मोदी सरकार को बेदखल करने के लिए पुरजोर कोशिशों में लगे हुए हैं। इस बीच 543 सदस्यीय लोकसभा की 425 सीटों के लिए मतदान संपन्न हो जाने के साथ ही नई सरकार को लेकर अटकलें और तेज हो गई हैं। पांचवें चरण के मतदान संपन्न हो जाने के बाद विभिन्न राजनीतिक दलों के दिग्गज नेताओं के हाव-भाव बदले-बदले दिखाई दे रहे हैं। भाजपा नेता राम माधव, कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल, टीआरएस नेता के. चंद्रशेखर राव के बयानों में नई सरकार के आकार-प्रकार की झलक बखूबी देखने को मिल रही है। आइए, समझते हैं इन दिग्गज नेताओं के मुताबिक कैसी होगी नई सरकार?

सरकार बनाने के लिए भाजपा को पड़ सकती है सहयोगियों की जरूरत

नई सरकार की रूपरेखा को लेकर लगाए जा रहे कयासों की शुरुआत सत्तारूढ़ भाजपा के दिग्गज नेता के हालिया बयान से करते हैं। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने संकेत दिया है कि भाजपा अकेले अपने दम पर बहुमत हासिल नहीं कर पाएगी।

राम माधव ने इस बात की संभावना जताई है कि लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा को सहयोगियों की जरूरत पड़ सकती है। उन्होंने कहा कि इस लोकसभा चुनाव में भाजपा बहुमत से पीछे रह सकती है। राम माधव ने यह भी कहा, 'भाजपा को उत्तर भारत के उन राज्यों में संभावित तौर पर नुकसान हो सकता है, जहां 2014 में रिकॉर्ड जीत मिली थी। हालांकि दूसरी तरफ पूर्वोत्तर के राज्यों और ओडिशा व पश्चिम बंगाल में पार्टी को फायदा होगा।’

गैर भाजपा गैर कांग्रेस मोर्चा की कवायद

पांचवें चरण का मतदान संपन्न हो जाने के साथ ही गैर-भाजपा, गैर-कांग्रेस मोर्चे के लिए प्रयास तेज हो गए हैं। इस दिशा में पहले कदम के तहत तेलंगाना के मुख्यमंत्री और टीआरएस नेता के. चंद्रशेखर राव ने तिरुअनंतपुरम में केरल के मुख्यमंत्री और माकपा नेता पिनराई विजयन से रात के खाने पर मुलाकात की।

सूत्रों के मुताबिक, चुनाव परिणाम 23 मई को घोषित होने वाले हैं, लिहाजा केसीआर एक गैर-भाजपा, गैर-कांग्रेस सरकार के गठन के लिए विभिन्न पार्टियों के नेताओं से मुलाकात की योजना बना रहे हैं। राव ने ही पिछले साल मार्च में संघीय मोर्चे का विचार पेश किया था और भाजपा और कांग्रेस दोनों का एक विकल्प देने के लिए पहल शुरू की थी। उन्होंने उसके बाद टीएमसी, बीजेडी, सपा, जनता दल (सेकुलर) और डीएमके के नेताओं से मुलाकात की थी। उन्होंने वाईएसआर कांग्रेस पार्टी को भी प्रस्तावित मोर्चे में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था।

कांग्रेस के समर्थन से संयुक्त मोर्चा बनाएगा सरकार

वरिष्ठ वामपंथी नेता सुरावरम सुधाकर रेड्डी लोकसभा चुनाव के बाद केंद्र में संयुक्त मोर्चा सरकार के गठन का अनुमान लगा रहे हैं, जैसा लगभग दो दशक पहले हुआ था। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के महासचिव रेड्डी के मुताबिक, इस बार न तो यूपीए और न ही एनडीए को इतना बहुमत मिलेगा कि वे सरकार बना लें। रेड्डी ने कहा, ''इस बार संसद त्रिशंकु होगी।"

उन्होंने कहा, ''हमारा झुकाव भाजपा विरोधी सरकार के गठन को लेकर है। यह मोर्चो जिसका केसीआर (तेलंगाना मुख्यमंत्री) प्रस्ताव कर रहे हैं, वह यह छाप छोड़ने का प्रयास कर रहा है कि क्षेत्रीय दलों को बहुमत मिलेगा। उन्हें बहुमत नहीं मिलेगा।" उनके मुताबिक, उन्हें या तो भाजपा का साथ लेना होगा या फिर कांग्रेस का। उन्हें यूपीए या एनडीए में से किसी एक मोर्चे का समर्थन करना होगा।

रेड्डी ने कहा, ''यह पहले बने संयुक्त मोर्चा (सरकार) जैसा हो सकता है। उनका इशारा 1996 से 1998 में 13 दलों के गठबंधन से बनी सरकार की तरफ था जिसे कांग्रेस ने बाहर से समर्थन दिया था। रेड्डी ने दावा किया कि इस बात की संभावना है कि एनडीए को ज्यादा सीटें मिलें मगर वह सरकार बनाने के लिए जरूरी बहुमत से दूर रहेगी।

220 से 230 सीटों तक सिमट जाएगी भाजपा

भाजपा के वरिष्ठ नेता और सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने पिछले दिनों बयान दिया था कि भाजपा को इस बार चुनाव में बहुमत नहीं मिलेगा और भाजपा 220 से 230 सीटों तक सिमट जाएगी और उसे बहुमत जुटाने के लिए भारी संघर्ष करना पड़ेगा। साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया था कि पुलवामा हमले के बाद मोदी सरकार ने अगर बालाकोट में एयर स्ट्राइक नहीं किया होता तो पार्टी 160 सीटों पर सिमट जाती। स्वामी के मुताबिक, यदि भाजपा 220 से 230 सीटों तक सिमटती है तो शायद नरेंद्र मोदी फिर से प्रधानमंत्री न बन सकें। उन्होंने कहा, “मान लीजिए भाजपा 220 या 230 सीटों पर सिमट जाती है और एनडीए के सहयोगियों को 30 सीटें मिलतीं है तो आंकड़ा 250 तक जाएगा, भाजपा को फिर भी 30 सीटों की आवश्यकता होगी।”

नरेंद्र मोदी के फिर से प्रधानमंत्री बनने के प्रश्न पर सुब्रमण्यम स्वामी का मानना है कि यह अन्य सहयोगियों पर निर्भर करता है। बहुमत के लिए 30 से 40 अतिरिक्त सीटों की आवश्यकता पड़ेगी। सरकार बनाने के लिए बसपा और बीजू जनता दल (बीजेडी) जैसे दल समर्थन कर सकते हैं।

कांग्रेस को अपने दम पर बहुमत हासिल करने की संभावना नहीं

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल का कहना है कि कांग्रेस को अपने दम पर बहुमत हासिल करने की संभावना नहीं है, साथ ही उन्होंने कहा कि गठबंधन अगली सरकार बनाने की स्थिति में हो सकता है। सिब्बल ने कहा, “हम जानते हैं कि हमें बहुमत नहीं मिलेगा। हम जानते हैं कि हमें 272 सीटें नहीं हासिल होंगी, हम यह भी जानते हैं कि भाजपा को भी 160 से ज्यादा सीटें नहीं मिलेंगी।' उन्होंने कहा, 'हमें अपने दम पर 272 सीटें नहीं मिलेंगी। बहुमत मिलने की बात कहना मेरे लिए मूर्खता होगी और भाजपा को 160 से कम सीटें मिलेंगी।'

हालांकि उन्होंने कहा कि कांग्रेस की अगुआई वाले यूपीए को चुनाव में बढ़त हासिल होगी और यह सरकार बना सकता है।

सिब्बल ने यह भी कहा, 'हमारा गठबंधन एकजुट है। हमारे सभी गठबंधन 2014 से पहले के हैं और बरकरार हैं, चाहे यह राकांपा हो या द्रमुक। हमने दो और को जोड़ा है। इसमें कर्नाटक में जेडीएस व पश्चिम बंगाल में माकपा है।'

मायावती का संकेत

बसपा सुप्रीमो मायावती के हालिया बयान में भी कई सियासी मायने छुपे हुए हैं। अम्बेडकर नगर में चुनावी रैली के संबोधन में वोट की अपील के साथ मायावती ने धीरे से अपनी ख्वाहिशों का भी इजहार कर दिया।

उन्होंने कहा कि यदि सब कुछ ठीक रहा तो वो अम्बेडकर नगर लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतर सकती हैं, क्योंकि देश की सियासत का रास्ता अम्बेडकर नगर से होकर जाता है। उन्होंने पीएम मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि 'नमो-नमो' का दौर बीत चुका है और अब 'जय भीम' का नारा गूंज रहा है।

 

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