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NDA में नहीं फिट बैठ रहे नीतीश कुमार?, CM की नीति भाजपाइयों को मंजूर नहीं; फिर JDU-BJP के साथ रहने की क्या है मजबूरी

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछले दिनों जनसंख्या नीति का ऐलान किया था। वहीं,...
NDA में नहीं फिट बैठ रहे नीतीश कुमार?, CM की नीति भाजपाइयों को मंजूर नहीं; फिर JDU-BJP के साथ रहने की क्या है मजबूरी

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछले दिनों जनसंख्या नीति का ऐलान किया था। वहीं, केंद्र की मोदी सरकार भी 19 जुलाई से शुरू हो रहे मानसून सत्र में जनसंख्या नियंत्रण बिल पेश करेगी। लेकिन, ये कानून और नीति बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को रास नहीं आ रहा है। एक बयान में उन्होंने कहा है, "दूसरे राज्य जो करना चाहे करें लेकिन हमारी राय यह है कि सिर्फ क़ानून बनाने से जनसंख्या नियंत्रित हो जाएगी, ये संभव नहीं है। जब महिलाएं पूरी तरह पढ़ी लिखी होंगी तो प्रजनन दर कम होगी।" बिहार एनडीए में नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (जदयू) मुख्य घटक दल है। इस वक्त जदयू-बीजेपी-वीआईपी और हम की अगवाई वाली एनडीए सरकार है।

लेकिन, ये एक वाकया नहीं है जब नीतीश कुमार की राय भाजपा के अन्य नेताओं और अपने कैबिनेट मंत्रियों की रणनीतियों से अलग है। इससे पहले भी सीएए-एनआरसी जैसे मुद्दों पर दोनों की राय भिन्न रही है।

नीतीश एक तरफ जनसंख्या नियंत्रण पर कानून या नीति बनाए जाने की जरूरत को नकार रहे हैं। वहीं, उनके भाजपाइ मंत्री इसका समर्थन करते हुए इसे लागू करने की बात कह रहे हैं। बिहार में पंचायत चुनाव होने हैं। ऐसे में भाजपाइ पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी पंचायत चुनावों में दो बच्चों वाले कानून को लागू करने का मन बना चुके हैं। इनका कहना है कि जब ये कानून नगर निकायों चुनावों में लागू किए जा सकते हैं फिर पंचायत चुनावों में क्यों नहीं। नीतीश सरकार में सिर्फ सम्राट ही नहीं हैं जो इस कानून और नीति बनाए जाने की मांग कर रहे हैं। भाजपा कोटे के मंत्री नितिन नवीन का कहना है कि बिना कानून के जनसंख्या नियंत्रण करना मुश्किल है। इसे कैसे नियंत्रित किया जाए, ये हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।  इसमें केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह भी लगातार सुर मिला रहे हैं। ये वहीं सम्राट चौधरी हैं जो मार्च के महीने में विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा से सदन में भीड़ गए थे, उन्हें दायरे में रहने की नसीहत दे डाली थी। सिन्हा को सम्राट ने कहा था कि "ज्यादा व्याकुल होने की जरूरत नहीं है"। हालांकि, बाद में उन्होंने माफी मांग ली थी।

तो क्या नीतीश और जेडीयू के साथ कुछ मजबूरियां हैं जिसकी वजह से वो एनडीए का हिस्सा बने हुए हैं? जेडीयू प्रवक्ता अजय आलोक का मानना है कि कोई भी दल मजबूरी या चुनाव जीतने, सत्ता में आने के लिए ही गठबंधन करता है। सभी की अपनी-अपनी अलग राय होती है। नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही पार्टी अगला चुनाव भी लड़ेगी।

भाजपा के खिलाफ नीतीश की नाराजगी कई बार अब तक सरकार बनने के बाद से खुलकर सामने आ चुकी है। साल की शुरुआत में अरुणाचल प्रदेश जेडीयू इकाई के छह विधायक पार्टी छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे। इसके बाद जेडीयू ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा को नसीहत दी थी कि वो किसी भी फैसले को लेने के लिए स्वतंत्र है। वहीं, कैबिनेट विस्तार में हो रही देरी पर भी जेडीयू ने कहा था कि इसके लिए भाजपा जिम्मेदार है। जेडीयू प्रवक्ता अजय आलोक ने आउटलुक से कहा था कि उनके कोटे से अधिक मंत्री बनने हैं और वो लिस्ट देने में देरी कर रहे हैं।

दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश को लोजपा ने भारी नुकसान पहुंचाया है। इसके पीछे भाजपा की रणनीति बताई जा रही है। जेडीयू को महज 43 सीटें ही मिल पाई है। अरुणाचल मामले के बाद नीतीश ने यहां तक कह दिया था कि उन्हें पद का लोभ नहीं था। वहीं, पार्टी का कहना है कि वो कमजोरियों पर मंथन कर इसे दुरूस्त करने में जुटी हुई है।

फिलहाल जनसंख्या नियंत्रण को लेकर जेडीयू भाजपा आमने-सामने है। भाजपाइ मंत्रियों का कहना है कि कानून या नीति से ही इसे कंट्रोल किया जा सकता है। जबकि जेडीयू कोटे के मंत्री और सीएम नीतीश मानते हैं कि महिलाओं में शिक्षा के स्तर को बेहतर कर इसे कम किया जा सकता है और बिहार इस दिशा में लगातार आगे बढ़ रहा है।

 

 

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