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उत्तर प्रदेश में भी महागठबंधन के प्रयास

जमाना फार्मूले का है। राजनीति भी इससे अछूती नहीं। अब देखिए ना बिहार में गठबंधन का फार्मूला हिट हुआ तो अब उसे उत्तर प्रदेश में भी दोहराने की जुगत लगाई जा रही है। हालांकि शुरूआती दौर में बड़े खिलाड़ी अभी पर्दे के पीछे हैं मगर बातचीत के दौर बता रहे हैं कि बात तो बनकर ही रहेगी। बिहार के नायक नीतीश कुमार इस बार पूरी तरह स्वयं कमान संभाले हुए हैं, उनकी पार्टी जद (यू) के अध्यक्ष शरद यादव तो पिछली सीट पर ही बैठे हैं।
उत्तर प्रदेश में भी महागठबंधन के प्रयास

 पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रभाव वाली पार्टी राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया अजित सिंह भी महागठबंधन को लेकर खासे उत्साहित हैं। अपना दल की कृष्णा पटेल और पीस पार्टी के डॉक्ट‍र अय्यूब भी नीतीश कुमार से संपर्क बनाए हुए हैं। नीतीश कुमार सभी को अपने साथ बिठाकर कांग्रेस के लिए विकल्प सीमित करना चाहते हैं और देर सवेर ऐसी स्थितियां तैयार करने में लगे हैं कि कांग्रेस भी मजबूरन इस महागठबंधन में शामिल हो जाए। उत्तर प्रदेश में अपनी पहचान की लड़ाई लड़ रहे यह कमोबेश निष्प्रभावी दल अपने इसी महागठबंधनीय फार्मूेले से 2017 के विधानसभा चुनावों में सबको चौंका दें तो कोई बड़ी बात नहीं होगी। 

उत्तर प्रदेश की बड़ी पार्टी भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनाव में सहयोगी पार्टी अपना दल के साथ मिलकर प्रदेश से 73 सीटें जीतीं थी। असम में विधानसभा चुनावों के लिए भी पार्टी अध्यक्ष दो तिहाई सीटों का लक्ष्य निर्धारित कर चुके हैं। समाजवादी पार्टी अपने दम पर ही प्रदेश में सरकार चला रही है और मुख्य‍मंत्री अखिलेश यादव घोषणा कर चुके हैं कि उनकी पार्टी बिना गठबंधन के ही चुनाव मैदान में उतरेगी। बसपा भी अकेले सरकार बनाकर सत्ता का स्वाद चख चुकी है और वह भी किसी गठबंधन की जरूरत महसूस नहीं करती। ऐसे में प्रदेश में अपनी पहचान की लड़ाई लड़ रहे कांग्रेस समेत अन्य तमाम दलों के लिए गठबंधन नई ऊर्जा ही प्रदान करता नजर आता है। रालोद के महासचिव त्रिलोक त्यागी कहते हैं कि प्रदेश में सपा शासन के खिलाफ लोगों में व्याकुलता है और उसी को आवाज देने की कोशिशें महागठबंधन के रूप में हो रही हैं। बकौल उनके सपा और भाजपा दोनों एक ही तरह की राजनीति कर रहे हैं और हम प्रदेश के लोगों को उनसे मुक्ति दिलाना चाहते हैं। जद (यू) के महासचिव और सांसद केसी त्यागी कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में भाजपा ही बड़ा खतरा है और सपा व बसपा अपने अहंकार के चलते उसे कम करके आंक रही हैं। अत: ऐसे में नीतीश जी ने अन्य दलों को एक मंच पर लाने का बीड़ा उठाया है। उधर, कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता‍ राजीव त्यागी कहते हैं कि कांग्रेस जाति व धर्म की राजनीति के खिलाफ है और यदि ऐसे में धर्मनिरपेक्ष ताकतें एक होती हैं तो उसका स्वागत किया जाना चाहिए। जहां तक कांग्रेस का सवाल है वह अपने दम पर और जरूरत पड़ी तो सहयोगियों के साथ मिलकर जनता के बीच जाएगी।
गौरतलब है कि महागठबंधन की तैयारियों को लेकर अजित सिंह के घर पर एक लंबी बैठक के बाद आने वाले दिनों में एक और बैठक की तैयारी हो रही है। जिसमें आगे की रणनीति पर विचार किया जाएगा। अगर बिहार की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में महागठबंधन का फार्मूला सफल रहा तो प्रदेश की सियासत में एक बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।

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