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कल की वोटिंग की सबसे हॉट सीट भोपाल, दिग्विजय और प्रज्ञा में जानें कौन पड़ेगा भारी

12 मई यानी रविवार को होने जा रहे छठे चरण के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की गढ़ कही जाने वाली भोपाल सीट पर...
कल की वोटिंग की सबसे हॉट सीट भोपाल, दिग्विजय और प्रज्ञा में जानें कौन पड़ेगा भारी

12 मई यानी रविवार को होने जा रहे छठे चरण के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की गढ़ कही जाने वाली भोपाल सीट पर प्रदेश ही नहीं पूरे देश की नजरें टिकी हुई हैं।  इस सीट पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह और भाजपा की साध्वी प्रज्ञा सिंह के बीच कड़ा मुकाबला है। चुनावी माहौल के बीच दिग्विजय और साध्वी में हिंदू आतंकवाद के मुद्दे पर निजी लड़ाई छिड़ी हुई है। दिग्विजय सिंह के लिए चुनौती इसलिए भी बड़ी है, क्योंकि 8 बार से यह सीट भाजपा जीत रही है। ऐसे में उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है कि वह भाजपा के गढ़ में सेंध लगा पाएंगे। 

चुनावी मैदान में कट्टर हिंदुत्व की छवि वाली साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को उतारने के बाद दिग्विजय सिंह भी अपनी कथित एंटी हिंदू छवि को तोड़ने की पूरी कोशिश की। इसके लिए अभी हाल ही में सिंह ने साधु-संतों का सहारा लिया। हिंदु वोटरों को लुभाने के लिए दिग्विजय ने साधु-संतों के हठ योग से लेकर भोपाल में एक बड़ी शोभायात्रा भी निकाली। रोड शो की तरह हुई इस शोभायात्रा में करीब 7 हजार साधु-संत शामिल हुए। इससे पहले भी उन्होंने मध्य प्रदेश में नर्मदा यात्रा भी की थी। साथ ही, सिंह कई मंदिरों के चक्कर भी लगाते नजर आए।

 

प्रतिष्ठित संसदीय सीटों में शुमार भोपाल में जहां 8 मई की सुबह दिग्विजय के समर्थन में साधु-संतों ने रोड शो किया। वहीं, बीजेपी भी इस दिशा में ताकत झोंकने में पीछे नहीं हटी। इसी दिन शाम को पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने प्रज्ञा ठाकुर के समर्थन में रोड शो किया। इस दौरन शाह के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रज्ञा ठाकुर, भाजपा उपाध्क्ष विनय सहस्त्रबुद्धे समेत अनेक स्थानीय नेता मौजूद थे। रोड शो में महिलाएं और युवा भी विशेष वेशभूषा में शामिल हुए और पीएम नरेंद्र मोदी के पक्ष में नारे लगाए।

प्रज्ञा ठाकुर लगातार आरोप लगाती रही हैं कि दिग्विजय ने हिंदुओं को बदनाम करने के लिए 'हिंदू आतंकवाद' शब्द का प्रयोग किया। तमाम ग्राउंड रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनका यह दांव जमीन पर असर करता दिख रहा था कि इसी बीच दिग्विजय ने भी उनकी काट के लिए ट्रंप कार्ड चल दिया। सिंह ने हिंदुत्व, राष्ट्रवाद और कथित हिंदू आतंकवाद को काउंटर करने के लिए पिछले दिनों साधुओं का सहारा लिया। भोपाल में 7 मई को कंप्यूटर बाबा की अगुआई में दिग्विजय के समर्थन के लिए साधुओं ने धूनी रमाई। इसके साथ ही सैकड़ों साधु-संत हठयोग पर भी बैठे।

जब दिग्विजय ने प्रज्ञा की काट के लिए चला ट्रंप कार्ड

मालेगांव ब्लास्ट की आरोपी और भाजपा उम्मीदवार प्रज्ञा ठाकुर की छवि कट्टर हिंदू की है। पिछले दिनों पीएम मोदी समेत भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा था कि कांग्रेस ने जिस तरह 'हिंदू आतंकवाद' का जिक्र कर हिंदुओं को बदनाम करने की कोशिश की, प्रज्ञा ठाकुर उसी का जवाब हैं। वह हमारे देश की संस्कृति का प्रतीक हैं।

भाजपा नेता दिग्विजय सिंह पर 'हिंदू आतंकवाद' शब्द का प्रयोग करने के आरोप लगाते रहे हैं। ऐसे में भाजपा उनकी छवि एंटी हिंदू दिखाने की कोशिश रही। इस बीच भाजपा ने दिग्विजय के ‘ओसामा जी’ वाले बयान को भी बड़ा मुद्दा बनाया था। जिसके बाद दिग्विजय सिंह ने साधुओं के जरिये अपनी कथित एंटी हिंदू छवि को तोड़ने की कोशिश की। दिग्विजय के इस कदम को हिंदू वोटों को अपनी तरफ खींचने की पहल के तौर पर देखा गया। यह कांग्रेस का वही सॉफ्ट हिंदुत्व था, जिसकी चर्चा पिछले दिनों बीच-बीच मे होती रही।

एक के बाद एक बयान देकर सुर्खियों में डटी रहीं प्रज्ञा ठाकुर 

भोपाल सीट से प्रत्याशी घोषित होने के बाद मैदान संभालते ही साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा था 'एटीएस चीफ हेमंत करकरे को उनका श्राप लगा।' चुनाव आयोग ने आपत्ति की, तो तुरंत माफी मांग ली। मगर, तब तक मामला आग पकड़ चुका था। कांग्रेस, आईपीएस एसोसिएशन, शहीद करकरे के परिजन, सभी विरोध में उतर आए। पार्टी भी साध्वी के निजी विचार कहकर एक तरफ हो गई। फिर साध्वी भी चुप हो गईं, लेकिन इस बीच किसी न किसी के बयान से मुद्दा सुलगता रहा। मामला शांत हो ही रहा था कि तब तक लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के मराठी चैनल को दिए एक घंटे के इंटरव्यू से विवाद फिर गहरा गया। महाजन ने कहा, 'करकरे शहीद हैं, लेकिन एटीएस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े होते हैं।'  

साध्वी के बयान पर विवाद से संभले दिग्विजय सिंह

करकरे के बाद साध्वी एक और नया बयान दे चुकी थीं। वो था- 'बाबरी मस्जिद का ढांचा ढहाने पर उन्हें गर्व है’। इस बयान से एक बार फिर खासी चर्चा में आईं साध्वी को इस बार एफआईआर का सामना करना पड़ा। मामला दर्ज होने के बाद चुनाव आयोग ने 72 घंटे के लिए प्रचार पर पाबंदी लगा दी। किसी प्रत्याशी पर आयोग की इतनी सख्ती मध्य प्रदेश में पहली बार हुई। इसके विपरीत लगता है कि कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पहले से ज्यादा संभल गए हैं।

अक्सर अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहने वाले दिग्विज सिंह ऐसे घटनाक्रमों के बीच कुछ ज्यादा ही चुप नजर आए। हालांकि '15 लाख किसके खाते में आए?’ इस सवाल के जवाब में सर्जिकल स्ट्राइक की प्रशंसा करने वाले युवा को मंच से नीचे उतारने का वीडियो वायरल होते ही वे भी विवादों में आ गए थे। लेकिन, उसके बाद से उनकी चुप्पी में भी कई राज तलाशे गए।

बार-बार भावुक हुईं साध्वी

विवादित बयानों के बीच साध्वी का एक और रूप लोगों के सामने तब आया जब जेल में अपने साथ हुए जुल्म की कहानी सुनाने से लेकर साध्वी उमा के गले लगकर रोने के साथ ही कई बार भावुक हो चुकी हैं। दुष्कर्म पीड़िता के घर पहुंचकर भी वे आंसू नहीं रोक पाईं।

प्रचार मैदान में उतरने के बाद 18 अप्रैल को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान साध्वी यह कहकर रो पड़ीं कि जेल में मुझे बेल्ट से मारकर घाव पर नमक डालते थे। इसके बाद 30 अप्रैल को उमा भारती से मिलने पहुंची साध्वी प्रज्ञा उनके गले लगकर रो पड़ीं। लगभग 30 सेकंड का यह दृश्य सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ जिसे लोगों ने शेयर भी किया। एक मई को भोपाल में एक नाबालिग की दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी। तब भी साध्वी पीड़िता से घर पहुंचीं। वहां भी रुआंसी हो गईं। वहां से आकर ट्वीट किया 'तेरा बदला हम लेंगे बेटी'।

एक समय में कांग्रेस का गढ़ मानी जाती ये सीट

1984 से पहले यह सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी। लेकिन, गैस त्रासदी के बाद हुए चुनाव में कांग्रेस इस सीट पर लोकसभा का चुनाव नहीं जीत पाई है। गैस त्रासदी के एक महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव में इस सीट से कांग्रेस के केएन प्रधान ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद से अब तक इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है।

इस सीट पर ऐसा रहा 2014 का जनादेश

2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के आलोक संजर ने कांग्रेस के प्रकाश मंगीलाल शर्मा को पराजित किया था। आलोक संजर को इस सीट में 7,14,178 (63.19) फीसदी वोट मिले थे। वहीं, प्रकाश मंगीलाल को 3,43,482 (30.39 फीसदी) वोट मिले थे। आलोक संजर ने प्रकाश मंगीलाल को 3,70,696 वोटों से हराया था।

2009 का जनादेश

इससे पहले 2009 के चुनाव में बीजपी के कैलाश जोशी ने जीत हासिल की थी। उन्होंने कांग्रेस के सुरेंद्र सिंह ठाकुर को हराया था। इस चुनाव में कैलाश जोशी को 3,35,678 वोट मिले थे. वहीं सुरेंद्र सिंह ठाकुर को 2,70,521 वोट मिले थे। कैलाश जोशी करीब 65 हजार वोटों से विजयी रहे थे।

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