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ये शख्स दो दशक से शहीदों के परिवारों को लिख रहे हैं चिट्ठी, जानें क्यों उनके घरों से इकट्ठा करते हैं मिट्टी

गुजरात के सूरत में रहने वाले जितेंद्र सिंह एक प्राइवेट कंपनी में सिक्योरिटी गार्ड हैं। सिंह पिछले दो...
ये शख्स दो दशक से शहीदों के परिवारों को लिख रहे हैं चिट्ठी, जानें क्यों उनके घरों से इकट्ठा करते हैं मिट्टी

गुजरात के सूरत में रहने वाले जितेंद्र सिंह एक प्राइवेट कंपनी में सिक्योरिटी गार्ड हैं। सिंह पिछले दो दशक से देश के बहादुर वीर जवानों के परिवारों को पत्र लिख रहे हैं। अपने चिट्ठी वाले पोस्टकार्ड पर जीतेंद्र बड़े ही प्यार से भारतीय तिरंगे को स्केच करते हैं और उसके बगल में सत्यमेव जयते लिखते हैं।

शुक्रवार को न्यूज़ एजेंसी एएनआई से बात करते हुए सिक्योरिटी गार्ड सिंह ने कहा कि 1999 के कारगिल युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों की वीर गाथा ने उन्हें ये लेटर लिखने को प्रेरित किया है। उन्होंने बताया कि कारगिल युद्ध को 20 साल हो चुके हैं। इस युद्ध में मेरे गांव के कई सैनिक और सैन्य अधिकारी शहीद हुए थे। मैंने उनकी वीरता की कई कहानियां सुनी है जो मुझे प्रेरित करती हैं कि मैं उनके परिवारों को चिट्ठियां लिखूं।

शहीदों के परिवार मुझसे बेटे की तरह व्यवहार करते हैं: सिक्योरिटी गार्ड

राजस्थान के भरतपुर जिले के रहने वाले जितेंद्र ने बताया कि उन्हें कभी-कभी उनके उन शहीदों के परिवारों से चिट्ठी के जवाब भी मिलते हैं जिसे पाकर वे काफी भावविभोर हो जाते हैं। कोई परिवार तो उनकी याद में चिट्ठियां पाकर खुश होता है कोई रोता है तो कोई उनकी यादों में खो जाता है। मैंने 40-50 सैनिकों के घर पर जाकर उनके परिवार से मुलाकात की है। उनके परिवार मुझसे बेटे की तरह व्यवहार करते हैं। मैं जिनके भी घर जाता हूं हर उस शहीद के घर से कुछ मिट्टी उठाकर लाता हूं ताकि उस मिट्टी से मैं शहीद स्मारक बना सकूं।

एक कहानी ने मुझे अंदर तक झकझोर कर रख दिया

37 वर्षीय जितेंद्र कहते हैं, मैं अखबारों में और चैनलों में उनकी वीरता की कहानी सुनता हूं, उनमें से कई कहानियां दिल को छू जाती हैं। ऐसी ही एक कहानी ने मुझे अंदर तक झकझोर कर रख दिया। एक 95 साल के बुजुर्ग चुन्नी सिंह जिसे 65 साल के बाद पेंशन मिली। ऐसे ही दूसरे लक्ष्मण सिंह जिसके तीन बेटे हैं उसने लड़ते-लड़ते अपनी जान दे दी।

देश के लिए कुर्बान हो जाने वाले शहीदों का डेटा रिकॉर्ड करने के लिए रजिस्टर मेंटेन करते हैं

सिंह एक रजिस्टर मेंटेन करते हैं जिसमें देश के लिए कुर्बान हो जाने वाले हर उस शहीद का डेटा रिकॉर्ड होता है। इसके लिए उसे कैसी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, गुर्जर ने बताया कि 2004 में पोस्टकार्ड सस्ते होते थे लेकिन अब वे 66 फीसदी महंगे हो गए हैं।

हर महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पोस्टकार्ड का प्राइस कम करने के लिए लेटर लिखता हूं

सिंह ने बताया, ‘मैं एक छोटे से प्राइवेट स्कूल में काम करता था। बढ़ती महंगाई ने मुझे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेटर लिखने को प्रेरित किया। मैं हर महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पोस्टकार्ड का प्राइस कम करने के लिए लेटर लिखता हूं लेकिन अभी तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई’।  

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